महर्षि, ऋषि, मुनि, साधु और संत में क्या होता है फर्क? उनके कर्मों से कीजिए पहचान

हिंदू धर्म के वेद, पुराण और ग्रंथों में हमने महर्षि, ऋषि, मुनि, साधु और संत के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है। लेकिन, क्या आप इनके बीच के फर्क को जानते हैं। 
difference between maharishi rishi muni sadhu and saint
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भारत को प्राचीन काल से धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र माना जाता रहा है। इस देश में लोग दुनिया की मोह-माया छोड़कर धर्म, ज्ञान और कल्याण की राह में चलने के लिए आते हैं। भारत में सनातन धर्म की परंपरा बहुत सम्मानित मानी जाती रही है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ज्ञान दिया जाता रहा है। वहीं हमने वेद, पुराणों और ग्रंथों में महर्षि, ऋषि, मुनि, साधु और संतों के बारे में काफी कुछ सुना और पढ़ा हुआ है। वहीं, अक्सर हमारे मन में ख्याल आता है कि इन सब में आखिर फर्क क्या होता है, क्योंकि ये सभी लोग वैराग्य को अपनाते हैं और लोक-कल्याण में लग जाते हैं।

आज हम आपको इस आर्टिकल में महर्षि, ऋषि, मुनि, साधु और संत के बारे में फर्क बताने जा रहे हैं।

महर्षि कौन होते हैं?

महर्षि दो शब्दों से मिलकर बना है, महा का मतलब महान और ऋषि का मतलब होता है एक ऐसा इंसान जो ध्यान, तप और ज्ञान से अध्यात्म की तरफ चला जाताIm है। महर्षि का मतलब होता है बहुत महान ऋषि। महर्षि वे ऋषि होते हैं, जिनके पास दिव्य चक्षु होते हैं। दिव्य चक्षु का मतलब होता है कि जो दुनिया को केवल आंखों से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समझ और अनुभव से देखते हैं। आर्य समाज संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती को आधुनिक भारत का अंतिम महर्षि माना जाता है।

ऋषि कौन होते हैं?

who is a maharishi

ऋषि शब्द ऋष धातु से लिया गया है जिसका मतलब होता है देखना या जानना। ऋषि वे महान ज्ञानी लोग होते हैं, जो कठिन तप, ध्यान और साधना करके गहरे आध्यात्मिक ज्ञान को पाते हैं। प्राचीन काल में ये लोग वेद जैसे पवित्र ग्रंथों की रचना भी करते थे। उन्होंने अपने ज्ञान को वेदों के मंत्रों के रूप में लिखकर दुनिया के साथ साझा किया था। जैसे- ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, सप्तऋषि आदि।

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मुनि कौन होते हैं?

मुनि शब्द संस्कृत के मुन से लिया गया है जिसका मतलब होता है कि सोचना, विचार करना या ध्यान करना। मुनि वे ज्ञानी लोग होते हैं, जो ज्यादातर समय मौन यानी चुप रहते हैं और अपने अंदर की दुनिया में झांकते हैं और खुद को जानने की कोशिश करते हैं। मुनियों के पास वेद और ग्रंथों का ज्ञान होता है। आपको बता दें कि गौतम बुद्ध को शाक्यमुनि कहा जाता है।

साधु कौन होते हैं?

साधु शब्द को साध से निकला गया है जिसका अर्थ होता है पूरा करना। ये ऐसे इंसान होते हैं, जो दुनिया की भाग-दौड़ से दूर होकर, ज्यादातर समय भगवान की भक्ति और साधना में बिताते हैं। ये लोग अपने मन को शांत करने और आत्मा की शुद्धि के लिए परिवार और समाज का त्याग कर देते हैं। साधु आमतौर पर आपको लंबे बाल और लंबी दाढ़ी में ही दिखाई देते है, क्योंकि वे भौतिक संसार को त्याग चुके होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, साधु का मतलब होता है जो इंसान अपनी इच्छाओं, गुस्से, लालच और मोह-माया को त्याग देता है।

संत कौन होते हैं?

rishi vs muni vs sadhu

संत ऐसे व्यक्तियों को कहा जाता है, जो सच बोलते हैं, सही काम करते हैं और दूसरों के भले के लिए जीवन जीते हैं। संत किताबों या वेदों से नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव और सच्चे जीवन आचरण से ज्ञान हासिल करते हैं। ये लोग दुनिया से अलग नहीं होते हैं, बल्कि दुनिया में रहकर ही लोगों को भक्ति की राह दिखाते हैं। आपको संत कबीरदास, संत तुलसीदास के बारे में तो पता ही होगा।

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Image Credit - freepik, wikipedia

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