image

कौन हैं बेमाता? क्या सच में छठी के दिन तय होता है नवजात बच्चे का भाग्य?

नवजात बच्चे की छठी पर बेमाता की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन माता बच्चे का भाग्य लिखती हैं। इसलिए कई सारे घरों में इनकी पूजा भी सबसे ज्यादा विशेष होती है। इसकी जानकारी आर्टिकल में पंडित जी से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-11-18, 19:29 IST

हिंदू धर्म में कई सारे संस्कार ऐसे होते हैं, जिनके करने का तरीका हर किसी का अलग होता है, लेकिन इसका अर्थ और महत्व एक ही होता है। खासकर बच्चे के जन्म के बाद होने वाले शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। छठी के फंक्शन से शुरूआत होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बेमाता जिन्हें कई जगह पर छठी माता भी कहते हैं वो बच्चे का भाग्य लिखती हैं। क्या यह सच है? इसके बारे में हमने पंडित जन्मेश द्विवेदी से जानकारी प्राप्त की क्या ऐसा होता है? साथ ही इसका प्रभाव बच्चे के जीवन में क्या पड़ता है। आइए आपको आर्टिकल में इसके बारे में बताते हैं।

कौन हैं बेमाता?

बेमाता प्रकृति देवी का ही एक अंश मानी जाती है। भागवत पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, षष्ठी देवी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं और इन्हें 'देवसेना' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बेमाता यानी षष्ठी देवी का मुख्य कार्य बच्चों की रक्षा करना, उन्हें दीर्घायु प्रदान करना, और उनके जन्म के छठे दिन उनका भाग्य, कर्म और लेखा-जोखा लिखा जाता है। इसलिए इनकी पूजा सबसे पहले की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह बच्चे के पास हर समय रहती हैं, ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर रहे।

1 - 2025-11-18T140538.176

छठी के दिन कैसे लिखा जाता है नवजात बच्चे का भाग्य?

  • बच्चे के भाग्य का लेखा-जोखा सिर्फ उसके कर्मों पर निर्भर करता है।
  • ऐसे में कई सारे घरों में मिट्टी से बेमाता की मूर्ति को बनाया जाता है।
  • इसके बाद इन्हें पीले कपड़े पहनाते हैं और इसके बाद इन्हें श्रृंगार करवाते हैं।
  • फिर इनके सामने बच्चे का सिर झुकाते हैं और देवी के सामने किताब और कलम रखते हैं, जिसमें भाग्य लिखा जाता है।
  • इसमें उसका स्वास्थ्य, आयु, यश, धन और मृत्यु का समय तक शामिल होता है।
  • इस रात घर में और बच्चे के आसपास पूरी पवित्रता रखी जाती है।
  • परिवार के सदस्य रातभर जागते हैं और पारंपरिक गीत गाकर देवी का स्वागत करते हैं।
  • फिर बच्चे को माता के सामने जले हुए दीए से काजल बनाकर बच्चे को लगाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे बच्चे की आंखें बड़ी और मजबूत बनती है।
  • इसके बाद इनकी मूर्ति को बच्चे के कमरे में रखा जाता है।
  • इससे माता बच्चे के पास ही रहती है।

bemata

 

इसे भी पढ़ें: 18 या 19 नवंबर कब मनाई जाएगी Margashirsha Masik Shivratri, यहां जानें सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

बेमाता की पूजा करने के क्या लाभ होते हैं?

बेमाता की पूजा छठी के दिन ही होती है। ऐसे में कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से बच्चे का भाग्य अच्छा होता है। बच्चे और मां की रक्षा होती है। साथ ही किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा दोनों के पास नहीं आती है। साथ ही बच्चे का स्वास्थ्य, आयु, यश और धन की कामना करते हैं। इससे बच्चे को आगे के जीवन में किसी तरह की परेशानियां नहीं होंगी।

बेमाता की पूजा करने का तरीका हर जगह पर अलग-अलग होता है, लेकिन यह जरूरी होता है। इसी दिन से बच्चे के अच्छे भाग्य की कामना भी की जाती है, ताकि बच्चे के जीवन में किसी तरह की परेशानी न हो। आप भी पूजा-पाठ करते समय सभी जरूरी चीजों का ध्यान रखें।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- Freepik

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;