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Why Varanasi is called kashi and banaras

जानिए बनारस, वाराणसी और काशी के नाम का क्या है इतिहास?

बनारस को भारत का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शहरों में से एक है। आइए इसके नाम के इतिहास के बारे में जानते हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-06-04, 17:00 IST

(Varanasi Name) भारत का प्राचीन शहर बनारस है। इसका आधिकारिक नाम वाराणसी हो गया है। हालांकि रोचक बात यह है कि मुगलों और अंग्रेजों के जमाने में इस पवित्र शहर का नाम बनारस ही था। वहीं डायना एल सेक की किताब के अनुसार बनारस को सिटी ऑफ लाइट कहा जाता है। वाराणसी का सबसे प्राचीन नाम काशी है। ये नाम करीब 3000 बरसों से बोला जा रहा है। तब काशी के बाहरी इलाकों में ईसा से 600 साल पहले बुद्ध पहुंचे। बुद्ध की कहानियों में भी काशी नगरी का जिक्र आता रहा है। वैसे तो बनारस के कई नाम हैं। जिसमें वाराणसी, काशी, आनंदवन, अविमुक्त क्षेत्र, मोक्षपुरी, कामरोपण, त्रिपुरारि, विश्वनाथपुरी आदि नाम शामिल हैं।

स्कंद पुराण में बनारस को "शिव की नगरी" भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने बनारस में मोक्ष प्राप्त की थी। अब ऐसे में बनारस के नाम का इतिहास क्या है और इसकी पौराणिक कथा क्या है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 

बनारस नाम कैसे पड़ा?

ghats of banaras

बनारस नाम 'वरुणा और 'असि नामक दो नदियों से मिलकर बना है। संस्कृत में, 'वाराणसी' का अर्थ 'दो नदियों के बीच का स्थान' होता है।

वाराणसी का इतिहास क्या है?

प्राचीन काल में यह शहर 'काशी' के नाम से जाना जाता था। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शहरों में से एक था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव यहां निवास करते हैं। काशी एक महत्वपूर्ण शिक्षा और संस्कृति का केंद्र भी था। यह शहर मोक्ष के लिए भी जाना जाता है। वहीं मध्यकाल में, मुस्लिम शासकों ने इस शहर पर विजय प्राप्त की। उन्होंने इसका नाम 'बनारस' रखा। उसके बाद आधुनिक काल में बनारस ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। आजादी के बाद 24 मई 1956 को इस शहर का आधिकारिक नाम वाराणसी हुआ। 

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काशी की पौराणिक कथा 

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पौराणिक के अनुसार, 'काशी' नाम ऋषि 'कश्यप' के नाम पर पड़ा। कहा जाता है कि उन्होंने इस क्षेत्र में तपस्या की थी और शहर की स्थापना की थी। वहीं काश का अर्थ है 'प्रकाश'। इसलिए काशी को प्रकाश का शहर भी कहा जाता है। वहीं दूसरी कथा के अनुसार, काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है। कैलाश के बाद भगवान शिव का निवास स्थान काशी ही माना जाता है। काशी के कण-कण में शिव वास करते हैं। यही जीवन का प्रारंभ और अंत भी होता है।

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भगवान शिव का बनारस से है गहरा संबंध

ghats of kashi name

इस शहर को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इतना ही नहीं, यहां काशी विश्वनाथ मंदिर है। जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भगवान शिव के प्रकाश के स्तंभ का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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Image Credit- HerZindagi

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