
<strong>Bhagwan Shiv Ke Prateek:</strong> भगवान शिव की वेशभूषा सबसे भिन्न और निराली है। जब भी भगवान शिव के बारे में जानना हो, उनके रूप के बारे में जानना हो तो उनके कुछ खास प्रतीक चिह्न हैं जिनके जरिये यह पहचाना जा सकता है कि आपके आसपास भगवान शिव का वास बना हुआ। हालांकि ज्योतिष में तो इन प्रतीकों को घर पर रखने का भी खासा महत्व बताया गया है। <strong>ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स</strong> का कहना है कि भगवान शिव के ये प्रतीक आपके और हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं और हम सभी को यह संकेत देते हैं कि भगवान की कृपा पर बनी हुई है। भगवान शिव के इन प्रतीकों का अपना अलग-अलग महत्व है और इनसे जुड़ा अपना-अपना रहस्य भी है। तो चलिए जानते हैं भोलेनाथ महादेव के इन प्रतीक चिह्नों और इनसे मिलने वाले संकेतों के बारे में।


भगवान शिव के मस्तक पर अर्ध चंद्र स्थापित है जो समय का प्रतीक माना जाता है। हमारे जीवन से इसका संबंध यह है कि जिसने अपने चंचल मन को थोड़ा भी सीमित कर लिया उसके भीतर भगवान शिव (भगवान शिव के आगे क्यों नहीं लगता श्री) की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।

भगवान शिव की तीन आंखें हैं। तीसरी आंख का अर्थ है उन चीजों का अनुभव करना जिन्हें सामान्य दृष्टि से देखा ना जा सके। हमारे जीवन से इसका संबंध यह है कि जिसने भी अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप से थोड़ा भी भिन्न किया उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।
इसे जरूर पढ़ें: Lord Shiva Temple: इस स्थान पर होती है शिवलिंग की रात में पूजा, जानें रोचक कथा

भगवान शिव का त्रिशूल न सिर्फ शस्त्र है बल्कि मानव शरीर में मौजूद नाड़ियों का सूचक माना जाता है। इसका हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी सही ज्ञान अर्जित किया और उस ज्ञान का सांसारिक उन्नति के लिए प्रयोग किया उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।

रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आसुओं से हुई है। रुद्राक्ष निर्माण के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। रुद्राक्ष (रुद्राक्ष धारण करने के नियम) का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी अपनी कला या प्रभु भक्ति से अपने भीतर किसी नवीन शक्ति का निर्माण किया उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।

भगवान शिव के गले में विराजमान सर्प समय चक्र को दर्शाता है। सर्प का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी भूत, वर्तमान और भविष्य में भी प्रभु भक्ति को चुन हर जीव की सेवा की है उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।

भगवान शिव का डमरू इस अबत का प्रतीक माना जाता है कि अपने अवगुणों पर विजय कैसे पाई जाए। डमरू का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी अपने अवगुणों को दूर करने का प्रयास किया हो और उसमें थोड़ा भी सफल हुआ हो तो उस व्यक्ति में भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।
इसे जरूर पढ़ें: भगवान शिव के इस स्तुति पाठ से निखरता है आपका टैलेंट

भागवान शिव को बाघाम्बर कहा जाता है क्योंकि वह मृत बाघ की छाल के आसन पर बैठते हैं जी इस बात का प्रतीक है कि अपनी शक्ति पर अहंकार न करें। बाघ की छाल का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी अपनी अहंकार को त्याग दिया उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।

भगवान शिव का त्रिपुंड तिलक उनके मस्तक पर धारित 27 देवताओं और ध्यान का प्रतीक माना जाता है। त्रिपुंड का हमारे जीवन से यह संबंध है कि जिसने भी अपने भीतर 36 में से 27 गुणों को ध्यान शक्ति को जागृत किया है उसमें भगवान शिव की ऊर्जा का स्रोत उत्पन्न हो चुका है।
तो ये थे भगवान शिव के वो 8 प्रतीक चिह्न जो देते हैं कई संकेत। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Freepik, Wikipedia, Pinterest