मंदिर में प्रवेश करने के कई नियम हैं और हम उन नियमों का पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले ध्यान में रखी कुछ बातें हमारे जीवन में समृद्धि लाती हैं।
मंदिर में प्रवेश के समय घंटा बजाना, जूते चप्पलों को मंदिर के बाहर ही रखना, सिर ढककर पूजा करना जैसे कुछ नियम हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं और हम उनका अनुसरण करते चले आ रहे हैं।
ऐसे ही एक नियमों में से है मंदिर में प्रवेश करते समय झुककर सीढ़ियों को छूना और फिर अंदर जाना। दरअसल ये एक ऐसा नियम है जिसका हम बिना वजह जाने ही पालन करते आ रहे हैं और शास्त्रों में भी इसके बारे में बहुत कुछ बताया गया है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें इस प्रथा के पीछे के कारणों के बारे में।
मान्यता है कि जब हम किसी को सम्मान देते हैं तब उसके सामने झुककर प्रणाम करते हैं या फिर उसके पैर छूते हैं और उसे नमस्कार करते हैं। ऐसे ही मंदिर में प्रवेश करते समय हम झुककर सीढ़ियों को प्रणाम जरूर करते हैं क्योंकि यह वो पहला चरण होता है जब हम ईश्वर के प्रति सम्मान दिखाते हैं।
यह भी कहा जाता है कि जब हम सीढ़ियों का स्पर्श करते हैं तो अपनी कई बुराइयों को मंदिर के बाहर ही छोड़कर भीतर साफ़ मन से प्रवेश करते हैं।
इसे जरूर पढ़ें: मंदिर जाते समय घर से ले जाएं जल का लोटा, पूजा का मिलेगा संपूर्ण फल
मंदिर की सीढ़ियों को झुककर छूने से हमारे भीतर का सारा अहंकार समाप्त हो जाता है। कहा जाता है कि मंदिर में प्रवेश के दौरान यदि आपके मन में किसी भी तरह का घमंड है तो आपको पूजा का फल नहीं मिल सकता है, इसलिए प्रवेश द्वार की सीढ़ियों को झुकककर प्रणाम करने की सलाह दी जाती है। सीढ़ियों को झुकककर छूने से अहंकार का नाश होता है और मन साफ हो जाता है जिससे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
यह विडियो भी देखें
मंदिर की सीढ़ियां वो स्थान हैं जहां से हम इस पवित्र स्थान पर प्रवेश करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब हम इनके आरंभ में भी झुककर प्रणाम करते हैं तो ये इस बात को दिखाता है कि हम ईश्वर के पास अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना कर रहे हैं। यह आपको ईश्वर से जोड़ने का तरीका होता है और इससे आपको प्रभु कृपा प्राप्त होती है।
मंदिर प्रवेश के पूर्व ही जब आप सीढ़ियों में झुककर प्रणाम करते हैं और सीढ़ियों के पैर छूते हैं तो ये आपके आत्मसमर्पण के संकेत देता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रवेश से पहले ही आपकी आत्मा और शरीर सबकुछ ईश्वर को समर्पित हो जाता है।
आत्मसमर्पण की भावना ईश्वर के पास आपकी कामना पूर्ण करने का सन्देश देती है और पूजा का फल मिलता है। जब हम ईश्वर की भक्ति में ही सब कुछ न्योछावर कर देते हैं तब प्रभु की कृपा मिलती है।
इसे जरूर पढ़ें: Astro Tips: जानें मंदिर जाते समय घंटा बजाना क्यों है जरूरी ?
शास्त्रों की मानें तो मंदिर द्वार की पहली सीढ़ी ही आपको मुख्य मंदिर और मूर्तियों से जोड़ती है। मान्यता है कि हिंदू मंदिरों की सीढ़ियों में भी देवी देवताओं का वास होता है, इसलिए ये पूजन शुरू करने का पहला स्टेप माना जाता है। (पूजा करते समय सिर क्यों ढका जाता है)
मंदिर में प्रवेश करने के अन्य नियमों में से प्रमुख है मंदिर का घंटा बजाना। मंदिर का घंटा बजाने से हमारी प्रार्थना स्वीकार हो जाती है। ऐसे ही नियमों में से एक है सिर ढककर पूजा करना और यह भी सम्मान दिखाने का एक तरीका है। इसके साथ ही मंदिर में जूतों का प्रवेश न करना क्योंकि जूते गंदे होते हैं और इनका प्रवेश ईश्वर का अपमान करने जैसा है।
इस प्रकार अगर आप मंदिर में प्रवेश के समय सीढ़ियों का स्पर्श करेंगे तो आपके जीवन में सकारात्मकता बनी रहेगी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
images: unsplash.com
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।