
कलावा या मौली को हिंदू धर्म में एक पवित्र रक्षा सूत्र माना जाता है जिसका उपयोग पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में होता है। इसे भगवान के आशीर्वाद और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। कलावा सिर्फ हाथ की कलाई पर ही नहीं बल्कि घर के कुछ स्थानों पर भी बांधना बहुत शुभ माना गया है। यह धागा घर में सकारात्मकता और देवी-देवताओं की कृपा बनाए रखने में सहायक होता है। इसके अलावा, शास्त्रों के अनुसार घर के मंदिर में कलावा रखना या बांधना एक शुभ और कल्याणकारी कार्य है। मंदिर में कलावा रखने से घर में दिव्य और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और घर में मौजूद ग्रह एवं वास्तु दोषों का नाश होता है। हालांकि अक्सर कई लोग मंदिर में कलावा रखते समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
अगर आपके मंदिर में शिखर है तो उस पर कलावा बांधना घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है। छोटी मूर्तियों या चित्रों के गले में या आसन पर भी कलावा बांधा जा सकता है। यह दर्शाता है कि आप भगवान को वस्त्र स्वरूप में यह रक्षा सूत्र अर्पित कर रहे हैं।

पूजा में उपयोग होने वाले पवित्र कलश या गणेश जी की प्रतिमा पर कलावा बांधना भी शुभ होता है। अगर आप मंदिर में कलावा रख रहे हैं तो उसे कभी भी खाली न रखें बल्कि लाल या पीले रंग के कपडे में लपेट कर ही रखें। इससे कलावे की शुद्धता एवं पवित्रता बनी रहती है।
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अगर आप कलावे को मंदिर में रखते हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि सभी देवी-देवताओं को स्नान कराने के बाद या फिर आपके मंदिर में जो भी देवी-देवता स्थापित हैं उन्हें स्नान कराने के बाद, कलावे को भी शुद्ध जल से स्नान कराएं ताकि सकारात्मक ऊर्जा प्रावाहित हो सके।
इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर कलावा मंदिर में रखा है तो रोजाना उसमें से छोटे-छोटे भागों को तोड़कर वस्त्र के रूप में देवी-देवताओं या अपने इष्ट देव को अर्पित करें। इससे गर के दोष दूर होते हैं और ग्रहों की अशुभता का भी नाश हो जाता है। शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
कलावे को देवी-देवताओं को अर्पित करने से उनका आशीर्वाद पूरे परिवार पर बना रहता है। किसी भी पूजा या अनुष्ठान के दौरान हाथ में बांधने से पहले इसे भगवान के चरणों या प्रतिमा के पास रखकर अभिमंत्रित करना चाहिए। इससे यह दिव्य कवच के समान हो जाता है।

जिस कलावे का रंग उतर गया हो या वह फटा हो या मैला हो गया हो, तो उसे मंदिर में नहीं रखना चाहिए। पुराने कलावे को सम्मानपूर्वक मंगलवार या शनिवार के दिन उतारकर पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए या बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
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हमेशा पूजा में उपयोग के लिए या भगवान को अर्पित करने के लिए नया और स्वच्छ कलावा ही मंदिर में रखें। मंदिर के अलावा, आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर भी कलावा रख सकते हैं। इससे धन लाभ के योग बनते हैं।
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