image

आखिर क्यों इस मंदिर में मामा-भांजे एक साथ नहीं करते सकते हैं प्रवेश? जानें क्या है मान्यता

Unique Temple: एक मंदिर है छत्तीसगढ़ में जहां मामा और भांजा साथ में न तो प्रवेश कर सकते हैं और न ही दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि अगर गलती से भी मामा-भांजा साथ में इस मंदिर में प्रवेश कर जाएं तो दोनों के जीवन में कुछ न कुछ अशुभ घटित होता ही है। 
Editorial
Updated:- 2025-11-11, 15:26 IST

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो न सिर्फ रहस्यमयी हैं बल्कि इनसे जुड़ी परम्पराएं भी बहुत अनूठी हैं। ठीक ऐसा ही एक मंदिर है छत्तीसगढ़ में जहां मामा और भांजा साथ में न तो प्रवेश कर सकते हैं और न ही दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि अगर गलती से भी मामा-भांजा साथ में इस मंदिर में प्रवेश कर जाएं तो दोनों के जीवन में कुछ न कुछ अशुभ घटित होता ही है। अब यह कितना सच या फिर कितनी किंवदंतियां हैं इस बारे में तो स्थानीय लोग ही जानते हैं। तो चलिए क्या है कौन सा है ये मंदिर, क्या कथा है इसकी और आखिर क्यों इस मंदिर में मामा-भांजा सात में नहीं जा सकते हैं, इन सभी के बारे में जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से। 

किस मंदिर में मामा-भांजा प्रवेश नहीं कर सकते हैं? 

यह ऐतिहासिक मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के बारसूर नामक स्थान पर स्थित है। बारसूर, जिसे कभी छिंदक नागवंशियों की राजधानी माना जाता था, वहां कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जिनमें से मामा-भांजा मंदिर सबसे अनोखा है। इस मंदिर के नाम और अजीबोगरीब नियम के पीछे एक प्रसिद्ध स्थानीय कहानी है।

mama bhanja temple story

कथा के अनुसार, इस मंदिर के निर्माण का कार्य दो कारीगरों मामा और भांजे को सौंपा गया था। ये दोनों कारीगर कला और शिल्प में बहुत निपुण थे लेकिन उनमें श्रेष्ठता की भावना को लेकर एक हल्का-सा अहंकार था। दोनों ने मिलकर संकल्प लिया था कि वे एक ऐसा अद्भुत और भव्य मंदिर बनाएंगे जिसे देखकर पूरी दुनिया दंग रह जाएगी।

यह भी पढ़ें: क्या जिस रास्ते से हनुमान मंदिर जाते हैं उसी रास्ते से लौटकर नहीं आना चाहिए?

मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और दोनों ने अपनी पूरी कला और क्षमता लगा दी। काम पूरा होने के करीब था तभी दोनों के बीच यह बात शुरू हो गई कि मंदिर का शिल्पकार कौन बड़ा कहलाएगा मामा या भांजा। इसी दौरान, दोनों ने एक शर्त लगाई कि जो भी मंदिर का काम पहले पूरा करेगा उसी का नाम इतिहास में महान शिल्पी के रूप में दर्ज होगा।

भांजे ने अपनी युवा ऊर्जा और चतुराई से मामा से पहले मंदिर का काम पूरा कर लिया। जब मामा ने देखा कि भांजे ने उनसे पहले मंदिर बना दिया है और वह शिल्पकार के रूप में श्रेष्ठ कहलाएगा तो मामा को बहुत क्रोध आया। क्रोध और ईर्ष्या में आकर मामा ने भांजे का सिर काट दिया। बाद में जब मामा का क्रोध शांत हुआ तो उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। 

mama bhanja temple katha

इसी दुख और प्रायश्चित के प्रतीक के रूप में यह परंपरा बन गई कि जिस मंदिर के लिए मामा ने अपने ही भांजे को मार डाला,वहां मामा और भांजा एक साथ प्रवेश नहीं करेंगे और न ही एक-दूसरे के साथ भगवान के दर्शन करेंगे। इसके अलावा, मंदिर का वास्तविक महत्व इसकी अद्वितीय स्थापत्य कला में निहित है। यह मंदिर छिंदक नागवंशी शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।

यह भी पढ़ें: Radha Rani Ka Mandir: राधा रानी के इस मंदिर में श्री जी से भी पहले क्यों लगाया जाता है मोर को भोग?

मंदिर की दीवारों पर खजुराहो शैली की नक्काशी देखने को मिलती है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी संरचना में मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं, युद्ध के दृश्यों, नृत्य करती अप्सराओं और पशु-पक्षियों की बारीक और सजीव नक्काशी है जो उस काल के कारीगरों की अद्भुत कला को दर्शाती है।

हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

;