हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई ऐसी बातें बताई गई हैं जिनके अपने अलग मतलब हैं और हर एक कथा का कुछ न कुछ महत्व जरूर है। मुख्य रूप से रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में सभी पात्रों का एक अलग वर्णन है जो उनकी एक अलग पहचान दिखाता है।
महाभारत में ऐसा ही एक पात्र है कंस का। कंस को श्री कृष्ण के मामा और एक शक्तिशाली असुर के रूप में जाना जाता है। उसकी क्रूरता इस बात से साफ़ दिखाई देती है कि उसने अपनी मृत्यु के भय से अपनी ही बहन के बच्चों को जान से मार दिया।
लेकिन शायद आपके मन में भी एक ख्याल जरूर आता होगा कि यदि कंस को अपनी बहन देवकी की आठवीं संतान से मृत्य का भय था तो उसने अपनी रक्षा के लिए देवकी और उनके पति वासुदेव को जान से क्यों नहीं मारा? यदि कंस उन्हें ही समाप्त कर देता तो देवकी की संतान ही न होती और उसके लिए मृत्यु का भय ख़त्म हो जाता। आइए जानें इसके पीछे के रहस्य के बारे में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
कंस अपनी ही बहन के पुत्रों को क्यों मारना चाहता था
यदि हम धार्मिक कथाओं की मानें तो कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था, लेकिन जब उनका विवाह वसुदेव के साथ हुआ और कंस उनकी विदाई कर रहा था उसी समय एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी में यह कहा गया कि कंस जिस बहन को इतने प्रेम से विदा कर रहा है उसी का आठवां पुत्र कंस की मृत्यु का कारण बनेगा।
इस आकाशवाणी को सुनते ही कंस ने अपनी बहन और उनके पति को बंदी बना लिया और कहा कि उनके सभी पुत्रों को जन्म के तुरंत बाद ही कंस को सौंप दिया जाए।
इसे जरूर पढ़ें: आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन
कंस ने देवकी और वासुदेव को क्यों नहीं मारा
कथाओं के अनुसार जैसे ही आकाशवाणी हुई उस समय खुद के मृत्यु भय से उसने अपनी बहन देवकी को मारने का निर्णय लिया। जैसे ही कंस ने देवकी की तरफ तलवार उठाई उनके पति ने आग्रह किया कि वो देवकी को न मारें और स्वयं वासुदेव ही अपनी सभी संतानों को जन्म के तुरंत बाद कंस को सौंप देंगे।
वासुदेव ने अपनी पत्नी की रक्षा के लिए ही कंस को अपने सभी आठ बच्चों को सौंपने का वचन दिया। कंस जानता था कि वासुदेव हमेशा अपनी बात पर अडिग रहेंगे इसलिए वो देवकी के जीवन को छोड़ने के लिए तैयार हो गया।
कंस ने किया देवकी के 6 पुत्रों का वध
कंस ने देवकी के 6 पुत्रों को उनके जन्म के तुरंत बाद ही मार दिया। वहीं देवकी के सातवें पुत्र को योगमाया ने देवकी के गर्भ से रेवती के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया और वह आगे चलकर बलराम बने। वहीं जब देवकी के आठवें पुत्र के रूप में कृष्ण जी का जन्म हुआ तब वासुदेव ने उन्हें यशोदा और नंद बाबा के घर पहुंचा दिया और कृष्ण जी कंस के प्रकोप से बच गए।
कंस ने सिर्फ आठवें पुत्र को ही क्यों नहीं मारा
यदि हम पौराणिक कथाओं की बात करें तो आकाशवाणी सुनने के बाद कंस ने यह निर्णय लिया कि वो देवकी के आठवें पुत्र का ही वध करेंगे, लेकिन उसी समय नारद जी प्रकट हुए और उन्होंने कंस को भ्रमित कर दिया कि देवकी का आठवां पुत्र गिनती के हिसाब से पहला भी हो सकता है। तब कंस को यह विचार आया कि यदु वंश के सभी लोग देवता थे और देवकी के गर्भ से पैदा हुए बच्चों में से कोई भी विष्णु का अवतार हो सकता है। मृत्यु के डर से, कंस ने वासुदेव और देवकी को जंजीरों से जकड़ लिया और उनके सभी पुत्रों का वध कर दिया।
इसे जरूर पढ़ें: महाभारत का ये रहस्यमयी पात्र बना था भीष्म की मृत्यु का कारण
श्री कृष्ण ने किया कंस का वध
चूंकि कंस के अत्याचार ने सभी को परेशान कर दिया था और इसलिए ही श्री कृष्ण ने विष्णु जी के अवतार के रूप में जन्म लिया था। आगे चलकर कृष्ण ने ही कंस का वध किया और सबको उसके अत्याचार से मुक्त कराया।
इस प्रकार देवकी और वासुदेव की जगह कंस ने उनके पुत्रों का वध किया और कालांतर में देवकी के आठवें पुत्र श्री कृष्ण ने कंस का वध कर दिया। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों