मथुरा! इस खूबसूरत शहर का नाम सुनते ही सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के बारे में ही विचार आता है। यमुना तट के किनारे में स्थित यह शहर एक नहीं बल्कि पवित्र मंदिर और पौराणिक कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। कृष्ण जन्माष्टमी या फिर किसी विशेष अवसर पर इस शहर में देश के लगभग हर कोने से भक्त पहुंचते हैं। यहां कई लोग मंदिर दर्शन के लिए आते हैं तो कई लोग पौराणिक तथ्यों के बारे में जानने के लिए आते हैं।
ऐसे में अगर आप भी श्री कृष्ण से जुड़े हर रहस्य और इतिहास को जानना चाहते हैं तो आपको हमारे साथ ज़रूर जुड़ना चाहिए। क्योंकि हर हफ्ते हम आपको भगवान कृष्ण से जुड़ी कुछ अनोखी कहानियों से अवगत कराने वाले हैं। इस कड़ी में आज हम आपको कृष्ण जन्मस्थली से जुड़े कुछ दिलचस्प कहानी और इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
कृष्ण जन्मस्थली
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब कारागृह के द्वार अपने आप ही खुल गए थे और उस समय सभी सिपाही भी निद्रा में थे। लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिस कारागृह में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था वहां आज क्या है? आपको बता दें कि आज वहां एक भव्य मंदिर और उस कारागृह में आज भी कृष्ण जी की मूर्ति है।
कृष्ण के बचपन की लीला
यह हम सभी जानते हैं कि भगवान कृष्ण बचपन में बहुत ही नटखट थे। बचपन में वो इतना शरारत करते थे कि हर बार उनकी शिकायत यशोदा मैया के पास पहुंच जाती थी। श्री कृष्ण जी अपने मित्रों के साथ मिलकर गांव वालों का पूरा माखन चुरा लिया करते थे और उनकी चोरी की शिकायत गांव वाले यशोदा माता के पास लेकर आते थे। इस नटखट आदत की वजह से वो हमेशा डांट खाते थे।
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मर्दन लीला (कालिया नाग का वध)
श्री कृष्ण के बचपन की लीलाओं में से कालिया नाग एक प्रसिद्ध लीला है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण यमुना के किनारे अपने मित्रों के साथ गेंद खेल रहे थे। खेलने के दौरान ही गेंद यमुना नदी में चली गई और सभी मित्रों ने गेंद लाने के लिए उनसे आग्रह किया। इसके बाद वो यमुना नदी में गेंद लाने के लिए कूद गए। जब वो नदी में कूदे तो उन्हें कालिया नाग का सामना करना पड़ा। श्री कृष्ण ने इस जहरीले कालिया नाग का वध करके गेंद को बाहर लेकर निकलें।
गोवर्धन पर्वत की लीला
गोवर्धन पर्वत की कहानी भी कृष्ण की लीलाओं में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार इंद्रदेव ने गुस्सा होकर गांव पर तेज बारिश कर दी। ऐसे में गांव वालों को बचाने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और सभी मथुरा निवासी इस पर्वत के नीचे शरण के लिए रुके थे। कहा जाता है कि सात दिनों तक श्री कृष्ण ने पर्वत को उठाकर रखा था।
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कृष्ण-राधा और गोपियों की रासलीला
यह तो हम सभी जानते हैं कि राधा और कृष्ण जी का एक खास रिश्ता था। राधा के साथ-साथ गांव की गोपियों के साथ भी उनका प्यार था और वो उन्हें खूब मानती भी थी। कृष्ण की बंसी की धुन पर राधा के साथ-साथ अन्य गोपियां भी खूब नाचती थी। मथुरा की लगभग सभी गलियों में कृष्णा-राधा और गोपियों की रासलीला आज भी चर्चित है। गांव की लगभग सभी गोपियां के लिए श्री कृष्ण बेहद ही प्यारे थे इसलिए उनसे जल्दी की आकर्षित हो जाते थे।
निधिवन में श्री कृष्ण की लीला
आज भी मथुरा की हर गलियां किसी न किसी कारण श्री कृष्ण से जुड़ी हुई हैं। श्री कृष्ण का जिक्र निधिवन को लेकर बहुत होता है। पौराणिक मान्यता है कि निधिवन एक अलौकिक वन है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण जी राधा और अन्य गोपियों के साथ इसी वन में रास-लीला रचाते थें। स्थानीय लोगों का मानना है कि आज भी जन्माष्टमी के दिन वृंदावन के इस जंगल में श्री कृष्ण और राधा रास-लीला रचाने आते हैं। इसी जंगल के पास यमुना घाट पर वो गोपियों के साथ खेला करते थे।
बांके बिहारी मंदिर
बांके बिहारी मंदिर बांसुरी बजाते हुए श्री कृष्ण का ही एक मुद्रा है। कहा जाता है कि यह बिहारी जी की काले रंग की प्रतिमा है। ऐसा माना जाता है कि एक दिन उनके शिष्य हरिदास जी ने श्री कृष्ण की भक्ति में डूबकर भजन गाने लगे और इससे प्रसन्न होकर इसी स्थान पर कृष्ण और राधा की जोड़ी प्रकट हुई थी।
राधा जी की जन्मस्थली
बरसाना में ही भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था। यहां राधा का विशाल मंदिर है। होली और राधाष्टमी के मौके पर यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। सिर्फ बरसाना में ही नहीं बल्कि बांके बिहारी मंदिर या कृष्ण जन्मस्थली पर भी लाखों भक्त होली खेलने और जन्माष्टमी पर्व मनाने के लिए पहुंचते हैं। आपको बता दें कि मथुरा में आप प्रेम मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, बिड़ला मंदिर और श्री जुगल किशोर जी मंदिर आदि कई मंदिर घूमने के लिए जा सकते हैं।
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