महाभारत की कुछ कथाएं ऐसी हैं जिनके रहस्य अपने आप में एक गाथा कहते हैं। ऐसे ही महाभारत में अर्जुन से जुड़ी कई गाथाएं हैं। महाभारत का महान योद्धा यानी अर्जुन अपने पूरे जीवनकाल में 1 साल के लिए महिला बनकर रहे थे। कुछ कथाएं कहती हैं कि उन्हें स्त्री और पुरुष दोनों बनकर रहने का श्राप मिला था और इसलिए वो ट्रांसजेंडर बने थे और कुछ मानती हैं कि वो महिला रूपी अवतार में थे।
आपको याद होगा कि जितनी भी महाभारत के टीवी सीरियल आए हैं उन सभी में यही हुआ है और अर्जुन को महिला का रूप लेना ही पड़ा है। पर आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? महाभारत और पद्म पुराण दोनों में इसका जिक्र है, लेकिन कथाएं अलग-अलग हैं।
महाभारत के अनुसार अर्जुन क्यों बने थे महिला?
महाभारत में अर्जुन को एक साल के लिए बृहन्नला का रूप लेना पड़ा था। ये समय था पांडवों के 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास का जहां अगर कौरव उन्हें ढूंढ लेते तो उन्हें वापस वन में जाना पड़ता। ये समय था तब का जब पांडव अपना सब कुछ हार चुके थे और उन्हें छुपकर 1 वर्ष के लिए रहना था। उस वक्त सभी पांडवों और खुद द्रौपदी ने अपना रूप बदला था। अगर वो अपने असली रूप में रहते तो उनके पहचाने जाने की आशंका थी और इसलिए नाम बदलकर मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर में सभी रहने लगे।
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इस दौरान अर्जुन ने अपने एक श्राप को भोगने के लिए बृहन्नला का रूप अपनाया।
दरअसल, अर्जुन को अप्सरा उर्वशी का श्राप मिला था। उर्वशी ने एक समय अर्जुन के साथ समय व्यतीत करने और प्रेमी रूप को स्वीकार करने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन अर्जुन ने इसके लिए साफ मना कर दिया था। अर्जुन का कहना था कि क्योंकि उर्वशी अपने एक मनुष्य अवतार में उसके पूर्वज पुरुरवा की पत्नी थीं इसलिए वो अर्जुन की माता के समान हुईं।
उर्वशी ने लाख कोशिशें की अर्जुन को मनाने की पर अर्जुन नहीं माने। उर्वशी ने कहा कि ये सब नियम मनुष्यों के हैं और उन पर लागू नहीं होते, लेकिन फिर भी अर्जुन नहीं माने और फिर अर्जुन को उर्वशी ने श्राप दिया कि वो महिलाओं के बीच महिला बनकर ही रहेंगे।
यही कारण है कि अर्जुन ने अपने श्राप को अपने अज्ञातवास को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया।
पद्म पुराण के अनुसार अर्जुन क्यों बने थे स्त्री?
पद्म पुराण अर्जुन और कृष्ण की दोस्ती पर और ज्यादा विस्तार से बात करता है और बताता है कि एक दिन अर्जुन ने कृष्ण से उस बारे में पूछा जिसके बारे में ब्रह्मा और शिव को भी ज्ञान नहीं था। पुराण के अनुसार अर्जुन ये जानना चाहते थे कि कृष्ण की कितनी गोपियां हैं, वो दिखती कैसी हैं, वो क्या पहनती हैं, कृष्ण की रास लीला में वो कहां रहती हैं, कृष्ण उनके साथ कैसे समय बिताते हैं।
जब कृष्ण ने उन्हें ये बताने से मना किया और कहा कि कोई भी इसका राज नहीं जान सकता है तो अर्जुन ने कृष्ण के पांव पकड़ लिए। फिर श्री कृष्ण ने पार्थ को त्रिपुरसुंदरी के पास भेजा जिनसे इस सृष्टि की रचना हुई है। देवी त्रिपुर सुंदरी ने अर्जुन से एक कठिन पूजा करवाई और फिर एक तालाब में डुबकी लगाने के लिए कहा।
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डुबकी लगाने के बाद अर्जुन ने अर्जुनी का रूप ले लिया और वो सिर से पांव तक बेहद खूबसूरत गोपी बनकर बाहर आए। उन्होंने संसार को अलग दृष्टि से देखना शुरू किया।
तब अर्जुन की मुलाकात गोपियों से हुई और कृष्ण की लीला का आनंद लिया।
ये वो समय था जब अर्जुन स्त्री रूप में संसार को एक नई निगाह से देख रहे थे।
अर्जुन को लेकर महाभारत की कई कथाओं में से एक ये भी है। जहां वीर अर्जुन एक महिला के रूप में रहे थे। महाभारत से जुड़ी और कहानियां लेकर हम आपके पास आते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Hotstar/ Sahir Sheik instagram/ freepik
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