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WHAT WAS THE STORY BEHIND SON OF HANUMAN

जानिए कौन था ब्रह्मचारी हनुमान जी का बेटा?

इस लेख में हम आपको बताएंगे आजीवन ब्रह्मचारी रहे हनुमान जी के बेटे के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2022-09-11, 14:47 IST

भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी थे। यह तो आप जानते ही होंगे कि हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन श्री राम की सेवा में बिताया और हर कदम पर उनकी रक्षा के लिए तत्पर रहे थे। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि भगवान हनुमान जी का एक बेटा भी था।

कौन था हनुमान जी का बेटा?

HANUMAN JI SON

हनुमान जी ने अपना जीवन ब्रह्मचारी होकर बिताया था और कभी भी पारिवारिक जीवन को नहीं अपनाया था। लेकिन हनुमान जी का एक बेटा भी था। आपको बता दें कि उनके बेटे का जन्म किसी स्त्री से नहीं हुआ था बल्कि एक मछली से उनके बेटे का जन्म हुआ था। एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई थी तब हनुमान जी ने अपनी पूंछ से पूरी लंका को जला दिया था।

लंका जलाने के बाद हनुमान जी जब अपनी पूंछ में लगी आग को बुझाने समुद्र में उतरे तब हनुमान जी के पसीने की एक बूंद उस समुद्र के पानी में टपकी और उस बूंद को एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिसका नाम पड़ा मकरध्वज।

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कैसे हुई मकरध्वज और हनुमान जी की मुलाकात?

HANUMAN JI AND HIS SON STORY

रामायण में जब भगवान राम से रावण युद्ध में हारने लगा तो रावण ने पाताल लोक के स्वामी अहिरावण को श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण करने के लिए मजबूर किया था। आपको बता दें कि अहिरावण एक मायावी राक्षस राजा था।उसने हनुमान का रूप धारण करके श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण किया और फिर उन्हें पाताल लोक ले गया था।

जब सबको इस बात का पता चला तो भगवान राम के शिविर में हाहाकार मच गया और उनकी खोज होने करना सबने शुरू कर दी थी। हनुमान जी फिर श्री राम और लक्ष्मण को ढूंढते हुए पाताल में जाने लगे। आपको बता दें कि जब हनुमान जी पाताल लोक पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां सात द्वार थे और हर द्वार पर एक पहरेदार था।

सभी पहरेदारों को हनुमान जी ने हरा दिया, लेकिन अंतिम द्वार पर उन्हीं के समान बलशाली एक वानर पहरा दे रहा था। वह वानर दिखने में एकदम हनुमान जैसा लग रहा था। यह देखकर हनुमान जी को आश्चर्य हुआ। उन्होंने जब उस वानर से परिचय पूछा, तो उसने अपना नाम मकरध्वज बताया और अपने पिता का नाम हनुमान बताया।

मकरध्वज के मुंह से पिता के रूप में अपना नाम सुनकर हनुमान जी बहुत क्रोधित हो गए और बोले कि 'यह असंभव है, क्योंकि मैं आजीवन ब्रह्मचारी रहा हूं'। फिर मकरध्वज ने बताया कि जब हनुमान जी लंका जला कर समुद्र में आग बुझाने के लिए जब कूदे थे तब उनके शरीर का तापमान बहुत ज्यादा था।

जब वह समुद्र के ऊपर थे तब उनके शरीर के पसीने की एक बूंद समुद्र में गिर गई थी। उसने यह भी बताया कि फिर उस पसीने की एक बूंद को मछली ने पी लिया था और उसी पसीने की बूंद से वह गर्भवती हो गई थी। फिर उसने ही मकरध्वज को जन्म दिया था'।

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पूर्व जन्म में अप्सरा थी मछली

ऐसा माना जाता है कि वह मछली पूर्व जन्म में कोई थी लेकिन श्राप के कारण वह मछली बन गई थी। बाद में उसी मछली को अहिरावण उसके मछुआरों ने पकड़ लिया और मार दिया था। आपको बता दें कि अहिरावण एक मायावी राक्षस राजा था। कुछ समय बाद वह अप्सरा श्राप से मुक्त हो गई था।

यह सब सुनकर हनुमान जी ने मकरध्वज को अपने गले से लगा लिया। लेकिन अपने पिता के रूप में हनुमान जी को पहचानने के बाद भी मकरध्वज ने हनुमान जी को अंदर नहीं जाने दिया था।

इससे हनुमान जी प्रसन्न भी हुए थे। बाद में हनुमान जी और मकरध्वज के बीच युद्ध भी हुआ और अंत में हनुमान जी ने अपनी पूंछ से उसे बांधकर दरवाजे से हटा दिया था और फिर श्री राम और लक्ष्मण को बंधन से मुक्त कराया था। बाद में भगवान श्री राम ने ही मकरध्वज को ही पाताल का नया राजा घोषित किया था।

तो यह थी हनुमान जी के जीवन से जुड़ी हुई जानकारी।

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Image credit- freepik/unsplash

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