दीपावली का पर्व रोशनी से भरा त्योहार माना जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय, अधर्म पर धर्म की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। दिवाली का उत्सव आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में मनाया जाता है। इस उत्सव का आरंभ धनतेरस से हो जाता है और भाई दूज तक इसके त्योहारों की धूम रहती है। यह केवल एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि पूरे पांच दिनों तक चलने वाला पर्व माना है। दीपावली के पांच दिनों में हर दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है और हर आयोजन के लिए विशिष्ट शुभ मुहूर्त भी निर्धारित किए जाते हैं। ऐसे में यदि आप 2025 में दिवाली को सही मुहूर्त और परंपराओं के अनुसार मनाना चाहती हैं, तो इसके कैलेंडर के बारे में पूरी जानकारी लेना भी जरूरी है। अगर आपको पहले से ही दिवाली के सभी पर्वों की सही जानकारी होगी तो आप इसकी पूजा शुभ मुहूर्त के अनुसार कर सकती हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इस साल दीपों के पर्व दिवाली से जुड़ी सभी त्योहारों की सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त विस्तार से।
त्योहार का नाम | तिथि | शुभ मुहूर्त |
धनतेरस | 18 अक्टूबर, शनिवार | 18 अक्टूबर, सायं 5:48 से रात्रि 8:19 बजे तक |
नरक चतुर्दशी | 20 अक्टूबर, सोमवार | 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे से 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 3:44 बजे तक |
दीपावली | 21 अक्टूबर, मंगलवार | 20 अक्टूबर, दोपहर 3:45 से 21 अक्टूबर 2025 सायं 5:54 बजे तक |
गोवर्धन पूजा | 22 अक्टूबर, बुधवार | प्रातः 6:26 से 8:42 बजे तक, दोपहर 3:29 से शाम 5:44 बजे तक |
भाई दूज | 23 अक्टूबर, बृहस्पतिवार | 22 अक्टूबर 2025, रात्रि 08:16 से 23 अक्टूबर 2025, रात्रि 10:46 बजे तक |
दिवाली के पांच दिवसीय पर्व का आरंभ धनतेरस से होता है। इस साल यह पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और धन्वंतरि भगवान की विशेष पूजा होती है। यही नहीं इस दिन धन के देवता कुबेर का पूजन भी विधि-विधान से किया जाता है।
दिवाली से ठीक एक दिन पहले का पर्व छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी कहलाता है, लेकिन इस साल तिथि अधिक होने की वजह से नरक चतुर्दशी 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसे काली चौदस भी कहा जाता है।
इस साल दीपावली का पर्व 21 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करना शुभ माना जाता है। दिवाली का पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की परंपरा है, जिसे अन्नकूट उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा होती है। यही नहीं इस दिन श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है जिसमें 56 भोग शामिल किए जाते हैं। इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
दीपावली उत्सव का आखिरी दिन भाई दूज को होता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह भाई-बहन के अटूट स्नेह का प्रतीक होता है। इसमें बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं। इस साल भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा।
अगर आप यहां बताए मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए दिवाली के उत्सव का पूजन करेंगी तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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