God Of Vastu: हिन्दू धर्म में जितना महत्व ज्योतिष का है उतना ही वास्तु का भी। इसी कारण से घर, दुकान आदि बनवाते समय ज्योतिषीय गणना के साथ साथ वास्तु का भी अत्यधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है। न सिर्फ घर किसी भी चीज के निर्माण के दौरान बल्कि उसके बनने के बाद भी वास्तु दोष के निवारण के लिए कई उपाय अपनाए जाते हैं।
हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि वास्तु के देवता की पूजा के बिना किसी भी वास्तु उपाय का कोई महत्व नहीं। बिना वास्तु देव की पूजा के घर का वास्तु दोष खत्म नहीं हो सकता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कौन हैं वास्तु के देवता, क्या है उनका महत्व और कैसे हुई उनकी उत्पत्ति।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, वास्तु देवता की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई है। एक बार जब अंधकासुर नामक भयंकर राक्षस के साथ भगवान शिव का भयंकर युद्ध चल रहा था तब उनके शरीर से कुछ बूंदें जमीन पर गिर पड़ीं।
- उन बूंदों से लंबे और ऊंचे कद का एक प्राणी प्रकट हुआ जिसका आकार आकश से पृथ्वी तक का था। उस प्राणी की हुंकार से देवता भयभीत होकर इंद्रदेव के पास पहुंचे। तो वहीं, इंद्र देव भी इतने घबरा गए कि सभी देवताओं के साथ उन्होंने ब्रह्म देव की शरण ली।

- तब ब्रह्म देव ने इस बात को उजागर किया कि वह वास्तु के देवता हैं और उनकी हुंकार से पृथ्वी एवं आकाश में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा (घर से नकारात्मक ऊर्जा हटाने के उपाय) खत्म हो रही है। तब सभी देवताओं ने उनका स्वागत किया। भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न हुए उस महाकाय प्राणी को वास्तु देवता के नाम से जाना जाने लगा।

- ब्रह्मदेव समेत सभी देवताओं ने वास्तु देव को वरदान दिया कि किसी भी घर, गांव, नगर, दुर्ग, मंदिर, बाग आदि के निर्माण के अवसर पर देवताओं के साथ उसकी भी पूजा की जाएगी और इनकी पूजा के बिना किसी भी वस्तु का निर्माण दोषमय होगा।

- खासतौर से इनकी पूजा के बिना किया गया भवन निर्माण हमेशा दोष उत्पन्न करता रहेगा और उस घर की तरक्की भी बाधित होगी। पुराणों और वास्तु शास्त्र में उनके रूप का दिशा के साथ वर्णन मिलता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, वास्तु देवता का सिर ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में है।
- वास्तु देवता का हाथ उत्तर व पूर्व दिशा (पूर्व दिशा में रखें ये चीजें) तथा पैर नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम दिशा में है। बता दें कि, इन्हीं दिशाओं को ध्यान में रखते हुए वास्तु देवता की पूजा और वास्तु दोषों का निवारण किया जाता है। वास्तु देवता की पूजा भगवान गणेश के साथ की जाती है।
तो ये था वास्तु देवता का परिचय, महत्व और उत्पत्ति का सार। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Shutterstock, Pinterest
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