
चित्रगुप्त पूजा का पावन पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है जिसे यम द्वितीया या भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह पर्व आज 23 अक्टूबर, गुरुवार को है। भगवान चित्रगुप्त को यमराज का सहायक और मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना जाता है। इनकी पूजा करने का मुख्य उद्देश्य जीवन में ज्ञान, बुद्धि और लेखन कार्य में सफलता प्राप्त करना है। साथ ही जाने-अनजाने में हुए पापों के लिए क्षमा मांगकर मृत्यु के बाद यमलोक की यातनाओं से मुक्ति पाना है। सच्चे मन से किए गए उपाय आपके पापों का लेखा-जोखा कम करने में सहायक होते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
भगवान चित्रगुप्त को 'मस्याधार' का देवता कहा जाता है। इस दिन कलम-दवात की पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और कर्मों में शुद्धता आती है। एक नया कागज या नोटबुक लें। पूजा के समय इस पर 'श्री गणेशाय नमः' लिखकर भगवान चित्रगुप्त को समर्पित करें। इसके नीचे कम से कम 11 बार अपने हाथ से 'ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः' मंत्र लिखें।

अपनी कलम, बही-खाते और अन्य लेखन सामग्री को पूजा में रखें और उन्हें चंदन, अक्षत और फूल अर्पित करें। यह उपाय व्यक्ति को अपने कर्मों के प्रति सचेत करता है, लेखन कार्य में सफलता देता है और यह दर्शाता है कि आप जीवन में अब केवल शुभ और अच्छे कर्मों का ही लेखा-जोखा बनाना चाहते हैं।
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चित्रगुप्त पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है अपने पापों के लिए क्षमा मांगना और अच्छे कर्मों का संकल्प लेना। पूजा के दौरान हाथ जोड़कर भगवान चित्रगुप्त से जाने-अनजाने में हुए सभी पापों के लिए सच्चे मन से क्षमा याचना करें। इसके बाद एक कागज पर अपने आने वाले साल के लिए अच्छे कर्मों को करने का संकल्प लिखें।
ज्योतिषीय मान्यता है कि जब आप सच्चे मन से अपने पापों के लिए क्षमा मांगकर भविष्य में अच्छे कर्मों का संकल्प लेते हैं, तो चित्रगुप्त महाराज आपके कर्मों के खाते में इस सकारात्मक बदलाव को दर्ज करते हैं, जिससे पापों का लेखा-जोखा कम होता है और मृत्यु का भय नहीं रहता।
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भगवान चित्रगुप्त को ज्ञान और बुद्धि का दाता माना जाता है। इस दिन दान करना कर्मों को शुद्ध करने का सबसे प्रभावी तरीका है। किसी गरीब छात्र या जरूरतमंद व्यक्ति को कलम, कॉपी, किताब या अन्य शैक्षणिक सामग्री दान करें। किसी मंदिर या गरीब व्यक्ति को फल, खीर या मिठाई का दान करें।

विद्या और अन्न का दान करने से व्यक्ति की बुद्धि में वृद्धि होती है और पाप कर्मों का भार कम होता है। यह दर्शाता है कि आप अपनी कमाई का एक हिस्सा नेक कार्यों में लगा रहे हैं, जिससे आपके कर्मों के खाते में पुण्य की वृद्धि होती है।
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