पूजा-पाठ के दौरान पत्नी को पति के किस तरफ बैठना चाहिए

हिंदू धर्म में एक प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पत्नी को पूजा के समय हमेशा पति के दाहिनी तरफ बैठने की सलाह दी जाती है। आइए यहां विस्तार से जानें इस मान्यता के पीछे के ज्योतिष कारणों के बारे में। 

husband wife during puja rituals
husband wife during puja rituals

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को लेकर कई मान्यताएं हैं। जैसे यदि पति-पत्नी पूजा कर रहे हैं तो उन्हें जोड़े में पूजा करनी चाहिए। यदि दोनों गठबंधन जोड़कर पूजा करते हैं तो इसके ज्यादा फायदे हो सकते हैं। इसके अलावा उनकी पूजा में बैठने की स्थिति और दिशा का भी बहुत महत्व होता है।

आमतौर पर किसी भी अनुष्ठान में पत्नी अपने पति के बाईं तरफ ही बैठती है। यदि हम शास्त्रों की बात करते हैं तो पत्नी को पति की अर्धांगिनी और वामांगी माना जाता है। मान्यता है कि स्त्रियों की उत्पत्ति भगवान शिव के बाएं अंग से हुई है और माता पार्वती का स्थान भी उनके बाईं तरफ ही है।

इसी वजह से शादी जैसी रस्मों में पत्नी हमेशा पति की बाईं तरफ ही बैठती है। लेकिन जब हम पूजा-पाठ में पत्नी के बैठने की बात करते हैं तो ज्योतिष उसे हमेशा पति के दाहिनी तरफ बैठने की सलाह देता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें इसके कारणों के बारे में।

पूजा में पत्नी को किस ओर बैठना चाहिए

which side wife should sit on husband

हालांकि पत्नी को पति की वामांगी कहा जाता है, लेकिन पूजा जैसे पवित्र अनुष्ठान में पत्नियों को पति के दाहिनी तरफ ही बैठने की सलाह दी जाती है।

इसके साथ ही उन्हें कुछ अन्य धार्मिक कामों जैसे बेटी के कन्यादान, किसी भी यज्ञ या हवन, बच्चे के नामकरण या अन्नप्रासन के समय भी पत्नियों को पति के दाहिनी ओर ही बैठना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि यदि पत्नी इसके विपरीत दिशा में बैठती है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

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पूजा में पत्नी पति के बाईं ओर क्यों नहीं बैठती

ऐसी मान्यता है कि विवाह जैसे अनुष्ठान में दुल्हन हमेशा दूल्हे के बाएं हाथ की तरफ ही बैठती है क्योंकि बाईं तरफ ह्रदय का स्थान होता है और इस दिशा में बैठने से वो होने वाले पति के ह्रदय से जुड़ जाती है। वहीं पूजा-पाठ का संबंध ईश्वर से माना जाता है और इस दौरान पति-पत्नी का जुड़ाव ईश्वर भक्ति में लगाने के लिए ही उसे पति के दाहिनी तरफ बैठने की सलाह दी जाती है।

दाहिने हिस्से को भक्ति का प्रतीक माना जाता है

husband wife position during puja

ज्योतिष के अनुसार हमेशा से ही दाहिने हाथ को शक्ति और कर्तव्यों का प्रतीक माना जाता रहा है, इसी वजह से सभी काम दाहिने हाथ से ही करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही दाहिने हिस्से को भक्ति का प्रतीक माना जाता है और पूजा-पाठ के दौरान इसी दिशा में बैठने की सलाह दी जाती है। वहीं बायां हिस्सा प्रेम का प्रतीक माना जाता है इसलिए पत्नी को शादी और इसकी रस्मों में बाईं ओर बैठाया जाता है।

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ज्योतिष में है ये मान्यता

हिंदू शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार पत्नी को हमेशा पूजा में अपने पति के दाएं हाथ की तरफ बैठना चाहिए। पूजा-पाठ के लिए यही दिशा सर्वोत्तम है जिससे पूजा में ध्यान केंद्रित करने में भी मदद मिलती है।

पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने और इसके शुभ लाभ के लिए यह नियम पालन करना अनिवार्य माना जाता है। धार्मिक कार्यों में पति-पत्नी के बैठने की दिशा का का ध्यान रखना जरूरी माना जाता है, जिससे जीवन में कई लाभ मिल सकें। ऐसा माना जाता है कि किसी को आशीर्वाद देते समय महिलाएं मां की भूमिका में आती हैं।

दाहिना भाग हमेशा माता के स्थान को दर्शाता है। वाम भाग पत्नी का माना जाता है। पूजा में पत्नी पति के दाहिनी ओर बैठती है और जब विधि से पूजा पूर्ण हो जाती है तब उसे पति के बाएं स्थान पर आने को कहा जाता है।

पूजा पाठ में बैठने की सही दिशा का ध्यान रखना जरूरी माना जाता है जिससे पूजा का पूर्ण फल मिल सके। आपको यह स्टोरी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: unsplash.com, freepik.com

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