अफ्रीकी होते हुए भी बोलते हैं गुजराती...जानें भारत की 5 अनोखी जनजातियां और उनके हैरान करने वाले रीति-रिवाज

भारत में एक ऐसी जनजाति है, जो मूलरूप से हैं तो अफ्रीकी लेकिन, उनकी भाषा गुजराती है। आइए, यहां जानते हैं सिद्दी जनजाति के साथ-साथ भारत की 5 अनोखी जनजातियों के बारे में, जो आधुनिकता से दूर अपने रीति-रिवाजों के लिए पहचानी जाती हैं। 
Tribes of India

भारत विविधताओं का देश है। यहां अलग-अलग धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के साथ जनजातीय समुदायों के लोग बसते हैं। देश में लगभग 700 से ज्यादा जनजातियां हैं, जो अलग-अलग हिस्सों में अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ पहचान बनाए हुए है। वहीं, देश में ऐसी भी कई जनजातियां हैं जो आधुनिकता की चकाचौंध से दूर प्रकृति के करीब अपना जीवन जीती हैं।

भारत की जनजातियां सिर्फ संस्कृति ही नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के बारे में जानने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कई बार इन समुदायों की परंपराएं और रीति-रिवाज इतने हैरान कर देने वाले होते हैं, जिन्हें आधुनिक समाज के लिए समझ पाना आसान नहीं होता है। आज हम इस आर्टिकल में आपको भारत की ऐसी 5 अनोखी जनजातियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके सिर्फ रीति-रिवाज और जीवनशैली चौंकाने वाले नहीं हैं, बल्कि उनकी दुनिया भी दिलचस्प है।

भारत की 5 अनोखी जनजातियां

सिद्दी जनजाति

african tribe who speaks gujrati in India

इस जनजाति के बारे में एक दिलचस्प बात है कि यह ऐसे तो अफ्रीकी मूल के हैं, लेकिन बोलते गुजराती हैं। जी हां, सिद्दी जनजाति के लोग गुजराज के जम्बूर गांव में बसते हैं। इस गांव को भारत का मिनी अफ्रीका भी कहा जाता है। सिद्दी जनजाति के लोग अफ्रीका के बंटू मूल से जुड़े हैं। ऐसा माना जाता है कि जूनागढ़ के एक नवाब इन्हें गुलाम बनाकर भारत लाए थे और यहां के राजा-महाराजाओं को सौंप दिया था। तब से ही यह भारत में बस गए। सिद्दी जनजाति के लोग सिर्फ गुजरात ही नहीं, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के भी कई हिस्सों में बसते हैं। हालांकि, सिद्दी जनजाति के लोग कब और कैसे भारत आए इसका कोई फैक्ट मौजूद नहीं है। लेकिन, इस अनोखी जनजाति इतिहास 200 साल पुराना ही माना जाता है।

सिद्दी जनजाति के लोग अपने समुदाय से बाहर शादी नहीं करते हैं, इस वजह से यह अफ्रीकी ही दिखते हैं और अपनी परंपराओं का पालन भी करते हैं।

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बैगा जनजाति

बैगा जनजाति की महिलाएं अपने शरीर पर खास तरह के टैटू बनवाने के लिए मशहूर हैं। इस जनजाति के लोग मुख्य तौर पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के जंगलों वाले हिस्सों में रहते हैं और खेती करते हैं। खेती में वह हल का इस्तेमाल नहीं करते हैं, क्योंकि इनका मानना है कि धरती मां है और उन पर हल नहीं चलाया जा सकता।

सेंटिनली जनजाति

यह जनजाति अंडमान और निकोबार आइलैंड के नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर रहती है। इसी वजह से इन्हें सेंटिनली जनजाति कहा जाता है। इस जनजाति के लोग पूरी तरह से आधुनिक दुनिया से कटे हुए हैं, ऐसे में इनके बारे में ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। हालांकि, यह जनजाति तब सबसे ज्यादा सुर्खियों का हिस्सा बनी थी जब एक अमेरिकी शख्स इनके द्वीप पहुंच गया था और फिर वह मृत पाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि सेंटिनली जनजाति के लोग बाहरी लोगों को खतरा समझते हैं और उनसे दूरी बनाकर रखते हैं। यही वजह है कि सरकार ने नॉर्थ सेंटिनली द्वीप पर इस जनजाति के इलाके में अन्य लोगों के जाने पर भी रोक लगाई हुई है।

डोंगरिया कोंध जनजाति

scheduled tribes of india

इस जनजाति के लोग ज्यादातर ओड़िशा के नियमगिरी पहाड़ों के जंगलों में रहते हैं। यह लोग पहाड़ों को अपना भगवान मानते हैं और उन्हीं की पूजा करते हैं। इस जनजाति के लोग शिकार और खेती से अपना जीवन बीताते हैं और जंगलों में ही रहते हैं। इनके रिवाज और परंपराएं भी जंगल और जमीन से जुड़ी हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस भारतीय जनजाति की लड़कियां नाम में नथ में बड़ी नथ पहनती हैं और लड़के बालों में फूल लगाते हैं।

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चेंचू जनजाति

इस जनजाति को दक्षिण भारत की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जनजाति के लोगों को अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार होता। हालांकि, वह अपनी जनजाति में ही शादी करते हैं और अगर किसी वजह से तलाक लेना पड़े तो आपसी सहमति की जरूरत होती है। किसी कानूनी या कागजी कार्यवाही की नहीं। इतना ही नहीं, इस जनजाति में विधवा विवाह को भी खुले विचारों के साथ अपनाया गया है। चेंचू जनजाति की खास बात यह है कि यह समाज में घुल मिलकर रहते हैं और आधुनिकता से भी जुड़ने का प्रयास करते हैं।

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Image Credit: Freepik and Jagran

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FAQ

  • भारत की सबसे छोटी जनजाति कौन-सी है?

    भारत की सबसे छोटी जनजातियों में से एक राजी जनजाति है। यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपा जिलों में ज्यादातर रहते हैं।