Elderly women literacy Maharashtra

Aajibai Chi Shala Elder Women School: भारत के इस जिले में खुला है बुजुर्ग महिलाओं के लिए स्कूल, नाम ‘आजीबाईंची शाला’

महाराष्ट्र के ठाणे जिले के एक छोटे से गांव फांणने में बुजुर्ग महिलाओं के लिए स्कूल खोला गया है। बता दें कि यह उन महिलाओं के लिए था उन्हें कम उम्र में शादी, खेतों में काम, परिवार पालने और अपना पूरा जीवन दूसरों को प्राथमिकता देने में बिताने के कारण कभी स्कूल जाने का मौका नहीं मिला था।
Editorial
Updated:- 2025-12-10, 12:13 IST

Aajibai chai School For Grandmothers: पढ़ाई-लिखाई या कुछ नया सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती है... इसी बात का उदाहरण समय-समय पर देखने को मिलता रहता है। हालांकि इसके लिए केवल एक बार मौका मिलने की जरूरत होती है। भारत में जहां हर गली-मोहल्ले या शहर में स्कूल हैं, जहां बच्चे जाकर पढ़ाई कर सकें, लेकिन जब बात किसी बुजुर्ग महिला की पढ़ाई-लिखाई की बारी आती है, तो वह इस बात से कतराते हैं कि वह बच्चों के बीच जाकर कैसे पढ़ाई करेंगी, लेकिन आपको बता दें कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के एक छोटे से गांव फांगणे में एक ऐसी अनोखी पाठशाला है, जहां बच्चों को नहीं बल्कि बुजुर्ग दादियों और नानियों की कक्षा लगती है। इस स्कूल का नाम आजीबाईची शाळा यानी दादियों का स्कूल है। यकीनन अब आपको दिमाग में यह सवाल आ रहा होगा कि यह स्कूल किसने और कब खोला? इस लेख में आज हम आपको आजीबाईची शाळा के बारे में बताने जा रहे हैं।

आजीबाईची शाळा स्कूल किसने खोला था?

Elderly women literacy Maharashtra

बुजुर्ग महिलाओं के लिए महाराष्ट्र में खुले इस स्कूल का नाम आजीबाईची शाळा है। साल 2012 में शिक्षक योगेंद्र बांगर ने एक बुजुर्ग महिला को यह कहते सुना कि काश वह प्रार्थना के दौरान पवित्र ग्रंथ पढ़ पातीं। इसके बाद अगले कुछ वर्षों में, उन्होंने परिवारों से बात की, समर्थन जुटाया और दादी-नानी को पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनमें से कई ने तो पहले कभी स्लेट भी नहीं पकड़ी थी। कुछ तो अपना नाम भी ठीक से नहीं लिख पाती थीं।

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आजीबाईची शाळा स्कूल कब खोला गया था?

महिला दिवस 2016 को, एक किसान के बैठक कक्ष में स्कूल खोला गया। वहां पर पढ़ने जाने वाली महिलाओं की यूनिफॉर्म गुलाबी रंग की साड़ियां है। ऐसा इसलिए क्योंकि परंपरा के अनुसार विधवाओं को हरा रंग पहनने की अनुमति नहीं थी।

बता दें कि  ये दादी-नानी पढ़ाई करती हैं, त्योहार मनाती हैं, सभाओं में भाग लेती हैं और 2018 में दो दिन के लिए वाई में पिकनिक पर भी गईं, जो कई महिलाओं के लिए एक अलग अनुभव था।

आजीबाईची शाळा स्कूल में क्या पढ़ाया जाता है?

Phangane village senior education

यहां पर आने वाली महिलाएं ‘अ’ से ‘अनार’ तक लिखना सीखती हैं।  ABC, कविता, पहाड़े, गणित और पेंटिंग तक सीखती हैं। 70, 80, और यहां तक कि 90 साल की उम्र की महिलाएं पढ़ने आती हैं।

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