
Difference Between EQ VS IQ: अक्सर माता-पिता यह देखकर परेशान हो जाते हैं कि उनका बच्चा क्लास में तो हमेशा टॉपर रहा है, लेकिन वास्तविक जीवन, नौकरी के इंटरव्यू या सामाजिक चुनौतियों का सामना करने में पिछड़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शैक्षणिक बुद्धिमत्ता या Academic Intelligence और जीवन की सफलता के लिए जरूरी भावनात्मक बुद्धिमत्ता या Emotional Intelligence दो अलग-अलग चीजें हैं। स्कूल में सफलता के लिए जहां रटने की क्षमता, अनुशासन और पाठ्यपुस्तक का ज्ञान चाहिए। वहीं जिन्दगी की दौड़ में आगे निकलने के लिए लोगों को समझना, तनाव सहना और समस्याओं को समझने के लिए व्यावहारिक समाधान खोजना जरूरी है। इसके पीछे मुख्य कारण है IQ और EQ होता है। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि IQ और EQ में क्या अंतर है-

शैक्षणिक बुद्धिमत्ता (IQ) आपके बच्चे की तर्क करने, समस्याओं को हल करने और जानकारी को याद रखने की क्षमता को दर्शाती है। हाई आईक्यू परीक्षा में अच्छे अंक दिलाता है और कॉलेज में प्रवेश में मदद करता है। वहीं भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EQ) वह क्षमता है जिससे व्यक्ति अपने और दूसरों के भावनाओं को पहचानता है, समझता है और उन्हें ठीक से मैनेज करता है। वास्तविक दुनिया में, ईक्यू (EQ) ही आपको टीम वर्क, लीडरशिप, कस्टमर रिलेशन बनाने और असफलता से निकलने में मदद करता है। शोध बताते हैं कि करियर में सफलता के लिए आईक्यू से ज्यादा ईक्यू महत्वपूर्ण है।
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जिन बच्चों को हमेशा टॉप करने की आदत होती है। वे कई बार कुछ महत्वपूर्ण जीवन कौशल विकसित नहीं कर पाते हैं।
असफलता को संभालना नहीं आता- जिन बच्चों का आईक्यू अच्छा होता है वह स्कूल में हमेशा सफल होते हैं, लेकिन जब वे वास्तविक जीवन में किसी प्रोजेक्ट या नौकरी के इंटरव्यू में असफल होते हैं, तो वे आसानी से टूट जाते हैं। उनमें चुनौतियों से फिर से खड़े होने का गुण कम होता है।
सोशल स्किल की कमी- टॉपर अक्सर अपनी पढ़ाई में इतने लीन रहते हैं कि वे दोस्तों और कॉलिग के साथ इफेक्टिव ढंग से बात करना, राय अलग होने पर समझौता करना या लोगों के भावनाओं को समझना नहीं सीख पाते।
रटने पर अत्यधिक निर्भरता- कई टॉपर चीजों को समझने के बजाय रटकर अंक लाते हैं। रियल जीवन की समस्याएं किताबों में नहीं लिखी होतीं। उन्हें हल करने के लिए क्रिटिकल थिंकिंग और क्रिएटिविटी चाहिए, जिसकी कमी अक्सर ऐसे बच्चों में पाई जाती है।
सुरक्षित माहौल की आदत- स्कूल एक सेफ एरिया होता है, जहां माता-पिता और शिक्षक उनका मार्गदर्शन करते हैं। इस सेफ्टी सर्कल से बाहर निकलते ही, उन्हें हर छोटे-बड़े निर्णय खुद लेने पड़ते हैं और वे इस चीज को कई बार संभाल नहीं पाते, जिसके कारण उन्हें जीवन के उतार-चढ़ाव और लोगों को समझ नहीं पाते हैं।

जीवन की सफलता के लिए ज्ञान के साथ-साथ स्किल्स का होना बहुत जरूरी है। किसी नई या अनजानी चुनौती का डरने के बजाय, उसका प्रैक्टिकल हल ढूंढ़ना आना चाहिए। अपनी ताकत और कमजोरियों को जानना और अपने गुस्से या तनाव को सही तरीके से संभालना। टीम में काम करना, दूसरों को साथ लेकर चलना और जरूरत पड़ने पर नेतृत्व की जिम्मेदारी लेना। अब ऐसे में बच्चों के जीवन की सफलता के लिए IQ के साथ EQ जरूरी है।
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Image Credit- Gemini
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