आमधारणा है कि जब लोग सरकारी दफ्तर में काम कराने जाते हैं, तो उन्हें अपने काम को कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। रिश्वत देकर काम जल्दी हो जाता है ऐसा हमें लगता है, लेकिन रिश्वत देना भी अपराध की श्रेणी में आता है। अगर आपसे कोई सरकारी कर्मचारी आपके काम को करने के लिए पैसों की मांग करता है, तो आपको पैसे देने से मना करना चाहिए। आप चाहे तो सरकारी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं।
अगर कोई सरकारी कर्मचारी आपसे रिश्वत की मांग करता है, तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं। आपकी शिकायत पर कर्मचारी के ऊपर सरकार की तरफ से कार्रवाई की जाएगा। अगर कर्मचारी पर आपसे रिश्वत मांगने का आरोप साबित हो जाता है, तो उसे कितने साल की सजा होगी और उसे कितने पेनल्टी भरनी होगी, इसके बारे में जान लेते हैं।
भारत में रिश्वत लेने पर कड़े कानून
अब भारत में भ्रष्टाचार को लेकर काफी कड़े कानून बना दिए गए हैं। अगर कोई सरकारी कर्मचारी आपसे किसी भी काम को करने के लिए रिश्वत मांगता है, तो उसको गंभीर सजा मिल सकती है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत रिश्वत लेना आपराधिक अपराध है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत, अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी से रिश्वत की मांग करता है या रिश्वत लेते पकड़ा जाता है, तो उसे रिश्वत लेने के जुर्म में कम से कम 3 साल कैद की सजा हो सकती है, जिसे 7 साल तक भी बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, कर्मचारी ने जितनी रिश्वत ली है उस रकम के आधार पर पेनल्टी भी लगाई जा सकती है।
आईपीसी की धारा
आईपीसी की धारा 171बी और 171ई के तहत, सरकारी काम में अवैध रूप से रिश्वत लेने पर कर्मचारी को कम से कम 1 साल की कैद की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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संपत्ति जब्त
अगर कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत की रकम से कोई प्रॉपर्टी खरीद लेता है, तो सरकार उस पर कार्रवाई करती है। रिश्वत के पैसों से खरीदी गई संपत्ति को सरकार जप्त कर सकती है। इसके साथ ही कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है और भविष्य में किसी भी सरकारी नौकरी के लिए उसे ब्लैकलिस्ट में डाला जा सकता है।
विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें
रिश्वत मांगने या लेने वाले सरकारी कर्मचारी को पेंशन और रिटायमेंट बेनिफिट्स से वंचित किया जा सकता है। अगर आपसे कोई भी कर्मचारी रिश्वत की मांग करता है, तो आप विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 9454401866 पर कॉल करके शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा, आप CBI और लोकपाल विभाग में जाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
रिश्वत के मामलों की जांच
अगर रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया कोई सरकारी कर्मचारी दोषी पाया जाता है, तो इस मामले की जांच आमतौर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा की जाती है। वहीं, केंद्र सरकार का कोई कर्मचारी अगर दोषी पाया जाता है, तो केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा इस मामले की जांच की जाती है। अगर कर्मचारी पर रिश्वत लेने का आरोप सही साबित हो जाता है, तो कर्मचारी को नौकरी से निकाला जा सकता है और अदालत के फैसले पर जेल भी भेजा जा सकता है।
रिश्वत लेने के आरोपी की फैमिली को भी परिणाम भुगतना होगा
पिछले साल मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने एक रिश्वत लेने के मामले में कहा था कि भ्रष्टाचार घर से शुरू होता है और उसमें फैमिली भी शामिल होती है। ऐसे में अगर मुकदमे के दौरान दोषी की मृ्त्यु हो जाती है, उसकी पत्नी या पति को दोषी ठहराया जा सकता है। एक सरकारी कर्मचारी की पत्नी या पति का कर्तव्य है कि वह अपने पार्टनर को रिश्वत लेने से मना करें। अगर कोई रिश्वत लेता है, तो उसका पूरा परिवार इसका आनंद लेता है। ऐसे में गलत तरीके से कमाए गए पैसे से आंनद लेने पर परिवार वालों को सजा भी भुगतनी चाहिए। देश में भ्रष्टाचार अकल्पनीय रूप से व्याप्त है। अगर घर वाले भी भ्रष्टाचार में भागीदार हैं, तो इसका कोई अंत नहीं है।
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कौन-से देश भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सज़ा देते हैं?
आपको बता दें कि चीन में भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सज़ा दी जाती है। साल 2007, 2008 और 2010 में रिश्वत के मामलों में आरोपियों को मारे जाने के मामले काफी चर्चा में रहे थे। वहीं, नॉर्थ कोरिया में साल 2015 में जनरल प्योन को रिश्वत लेने के आरोप के चलते मौत की सजा दी गई थी। चीन, कोरिया के अलावा इराक, ईरान, इजिप्ट और सऊदी अरब में भी भ्रष्टाचार के मामले में सजा-ए-मौत दी जाती है।
साल 2013 में इंडोनेशिया में भ्रष्टाचार का गंभीर मामलों में मौत की सजा देने का कानून लागू किया गया। थाईलैंड, मोरक्को, फिलीपीन्स और म्यांमार में भी करप्शन के मामलों में मौत की सजा दी जाती है। हालांकि, साल 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम रिश्वत लेने के मामले में मृत्युदंड नहीं दे सकते हैं।
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