कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है और उसके पंद्रह दिनों बाद यानी कि कार्तिक की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस साल 8 नवंबर को गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी। आपको बता दें कि सिख धर्म के लोगों कई दिनों से पूर्व ही गुरुद्वारों में सेवा कार्यक्रम कार्यक्रम आयोजित करने लगते हैं।
आपको बता दें कि इस दिन ढोल मंजीरों के साथ प्रभातफेरियां भी निकाली जाती है लेकिन क्या आपको पता है कि गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है? इस लेख में हम आपको इसके बारे में बताएंगे।
क्यों मनाते हैं गुरु नानक जयंती?
सबसे पहले आपको बता दें कि गुरु नानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही हुआ था इसलिए इस दिन को सिख धर्म के लोग मुख्य त्यौहार की तरह से मनाते हैं। आपको बता दें कि गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 में हुआ था। गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी में हुआ था।
गुरु नानक देव जी को सिख समुदाय के पहले गुरु और इस धर्म के संस्थापक भी माना जाता है। आपको बता दें कि उन्होंने कई सारे देशों में भी अपने उपदेश दिए थे इसलिए उन्हें नानक लामा नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी को मानव समाज के कल्याण और उनकी भलाई के लिए समर्पित की थी।
आपको बता दें कि गुरु नानक देव ने मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। फिर गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने। आपको बता दें कि हर वर्ष गुरु नानक जयंती के मौके पर सुबह से शाम तक गुरुद्वारों में प्रार्थना व दर्शन का दौर चलता रहता है।
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क्या है गुरु नानक जयंती का महत्व? (Significance of Guru Nanak jayanti in Hindi)
इस पर्व का महत्व इसलिए है क्योंकि गुरु नानक देव जी का जन्मदिन होने के साथ-साथ इस दिन लोगों की सेवा करना बहुत जरूरी मानते हैं। साथ ही गुरु की शिक्षाओं को याद करने के लिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारों की साफ-सफाई करने के बाद गुरद्वारों को सजाया जाता है।
इसके बाद नगर कीर्तन के साथ प्रभातफेरी भी निकाली जाती है। आपको बता दें कि प्रभातफेरी गुरुद्वारे से शुरू होती है और नगर में फिरने के बाद गुरुद्वारे तक वापस आती है। गुरु नानक जयंती के दो दिन पहले ही गुरुद्वारों पर गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। इसके बाद कई गुरुद्वारों पर लंगर का आयोजन भी किया जाता है।
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गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेकते हैं और वहां अपनी सेवा देते हैं। आपको यह लेख कैसा लगा? यह हमें फेसबुक के कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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