स्वरा भास्कर और फहाद अहमद की शादी हो गई। जैसा कि ऐसी शादियों में आम है, उन्हें भी काफी ट्रोल किया गया। एक तरह से देखा जाए तो हमेशा ही हिंदू-मुस्लिम विवाह को लेकर ये एक्ट चर्चा में आया है। पर मैं आपको बता दूं कि देश में होने वाली किसी भी इंटर रिलीजन शादी के लिए ये एक्ट काम कर सकता है। यही नहीं, एक ही धर्म के कई जोड़े भी इस एक्ट की मदद लेते हैं क्योंकि इसमें नियम और कानून काफी अलग हैं।
इस एक्ट के बारे में जानने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट जूही अरोड़ा से बात की। उन्होंने हमें विस्तार से बताया कि आखिर ये एक्ट क्या है और फिलहाल इसमें समलैंगिक शादियों को जोड़ने की बात क्यों उठ रही है।
क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट?
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 एक ऐसा कानून है जिसके तहत भारत का संविधान दो अलग-अलग धर्मों के लोगों को शादी करने की सुविधा देता है। ये सभी इंडियन सिटिजन्स के लिए मान्य है और उनके लिए भी जो भारतीय तो हैं, लेकिन भारत के बाहर रह रहे हैं। इस एक्ट की मदद किसी भी धर्म के लोग ले सकते हैं, बस शर्त ये है कि वो भारतीय हों। इस एक्ट की नींव 19वीं सदी में ही रख दी गई थी जब सिविल मैरिज एक्ट को लेकर पहल की गई थी। इसके बाद, 1954 में ये एक्ट रिवाइज किया गया। नए एक्ट में तीन खास नियम बनाए थे- एक खास तरह की शादियों के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा दी जाए, अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी के लिए सुविधा प्रदान की जाए, शादी के बाद तलाक की सुविधा दी जाए।
इसे जरूर पढ़ें- Supreme Court: वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी नहीं करवा सकते बच्चों का Dna Test
क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट की एलिजिबिलिटी?
- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी भारतीय आवेदन दे सकता है।
- ये एक्ट धर्म के हिसाब से काम नहीं करता है। ये सभी के लिए एक बराबर है।
- ऐसे भारतीय जो विदेशों में रह रहे हैं उन्हें इसके तहत शादी करने की सुविधा है।
- शादी करने वाले जोड़े का बालिग होना जरूरी है। यानी दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की उम्र 18 साल होनी ही चाहिए।
- दोनों को ही मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए।
- दोनों को ही अलग सेक्स का होना चाहिए। हालांकि, अभी सेम सेक्स मैरिज को स्पेशल मैरिज एक्ट में शामिल करने की बात की जा रही है। इसपर अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई फैसला नहीं आया है।
View this post on Instagram
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किस तरह से की जाती है शादी?
- शादी की डेट कोर्ट से ही सेट होती है। आपको जब भी शादी करनी है उसके 30 दिन पहले नोटिस देना होता है।
- नोटिस जिस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दिया गया है, दोनों में से किसी एक को उस डिस्ट्रिक्ट में 30 दिनों तक रहना होगा। यानी आप ऐसा नहीं कर सकते कि नोएडा में रहते हैं और गाजियाबाद कोर्ट से शादी कर ली। दोनों में से किसी एक का गाजियाबाद में रहना जरूरी है।
- नोटिस कोर्ट में डिस्प्ले किया जाता है। 30 दिनों तक अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वो अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है।
- अगर 30 दिनों तक कोई शिकायत नहीं आई तो कोर्ट में शादी की जा सकती है। इसके लिए मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में सिग्नेचर करने होते हैं।
- इस शादी के लिए किसी भी तरह की रस्म फॉलो करने की जरूरत नहीं होती है।
- शादी के लिए तीन विटनेस का होना जरूरी है। इसी के साथ, एक मैरिज ऑफिसर विटनेस को भी वेरीफाई करता है।
इसे जरूर पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'घर बनाने के लिए पैसे की मांग करना भी है दहेज'
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत तलाक
अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई है तो तलाक भी जिला कोर्ट से मिल सकता है। दोनों पार्टीज अपना शादी का बॉन्ड तोड़ सकती हैं।
क्यों स्पेशल मैरिज एक्ट को बदलने की उठ रही है मांग?
जूही जी ने हमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लीगल करने की मांग उठ रही है। अभी इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार दोनों ही तरफ से इसे लीगल करने की मांग को खारिज किया गया है। पर उम्मीद है कि इस मुद्दे पर आगे भी सुनवाई होगी।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।