राम मंदिर निर्माण का काम तेजी से जारी है और हम सभी को रामलला रामलला की मूर्ति की स्थापना का समय जैसे-जैसे निकट आ रहा है भक्तों के मन में उमंग बढ़ती जा रही है। रामलला की मूर्ति जहां अपने आप में ही अनगिनत विशेषताएं रखती है, वहीं इस मंदिर से जुड़े कई तथ्य भी सामने आते हैं। मंदिर के निर्माण में जहां किसी भी स्थान पर लोहा धातु का इस्तेमाल नहीं किया गया है, वहीं इसकी नींव के नीचे कुछ विशेष चीजें लगाई गई हैं।
ऐसे ही जब हम इस मंदिर की संरचना की बात करें तो ये मंदिर नागर शैली में तैयार किया जा रहा है। वास्तव में यह शैली मंदिर की संरचना के लिए विशेष मानी जाती है और इस शैली शैली से तैयार मंदिरों की अलग विशेषताएं होती हैं।
जब भी किसी मंदिर की संरचना की बात होती है तो ये अलग-अलग शैली में तैयार किए जाते हैं। भारत में कई प्रमुख मंदिर इसी शैली में बनाए गए हैं जो भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।
ऐसे ही राम मंदिर की डिजाइन गुजरात की सोमपुरा फैमिली ने तैयार किया है। मंदिर का पूरा नक्शा नागर शैली को दिखाता है। दरअसल यह शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की ही तीन शैलियों में से एक है। यही नहीं इस शैली के साथ मंदिर में राजस्थान से बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। राम मंदिर में राम जी के बाल रूप की मूर्ति रखी जा रही है।
अगर हम नागर शैली की बात करें तो 5वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास उत्पन्न इस शैली ने भारत के कई क्षेत्रों में मंदिर वास्तुकला को प्रभावित किया है। मंदिर वास्तुकला की नागर शैली काफी आरसे से उत्तरी भारत में लोकप्रिय थी।
उत्तरी भारत में अधिकतर मंदिरों का निर्माण एक पत्थर के चबूतरे पर किया जाता है और इसमें ऊपर तक जाने के लिए सीढ़ियां लगी होती हैं। इस शैली की एक विशेषता विस्तृत सीमा दीवारों या द्वारों की कमी होती है। इस तरह की शैली में गर्भगृह सदैव सबसे ऊंचे टावर के नीचे स्थित होता है। इस तरह के मंदिर के शिखर में स्थापित कलश मंदिर शैली की विशेषता है।
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भारत में नागर शैली में बनाए गए कुछ ख़ास मंदिरों में से कोणार्क का सूर्य मंदिर, मोढेरा, गुजरात में सूर्य मंदिर और गुजरात में ओसियां मंदिर हैं। खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर, भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर, पूरी का जगन्नाथ मंदिर। इसके अलावा और भी कई ऐसे मंदिर हैं जो नागर शैली में तैयार किए गए हैं और इनकी संरचना ख़ास है।
वास्तव में भक्तों को अब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इन्तजार है और जल्द ही प्रभु राम मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। वहीं मंदिर की विशेषताएं उसे अन्य मंदिरों से ख़ास बनाती हैं।
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