
विवाह पंचमी के दिन यानी कि 25 नवंबर को राम मंदिर पर ध्वजारोहण होगा। धार्मिक दृष्टि से यह बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण आयोजन है। ऐसे में हर भक्त की इच्छा होगी कि राम मंदिर के ध्वजारोहण में हिस्सा ले सकें और उसे साक्षात देख सकें, लेकिन अगर आप अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजारोहण उत्सव में शामिल नहीं हो पा रहे हैं तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। आप उसी उत्साह और श्रद्धा के साथ अपने घर पर ही प्रभु श्री राम और माता सीता की पूजा करके उस उत्सव का हिस्सा बन सकते हैं। घर पर की गई भक्ति, प्रेम और सरलता से की गई पूजा को प्रभु अवश्य स्वीकार करते हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि राम मंदिर ध्वजारोहण के दिन श्री राम और माता सीता की पूजा विधि के बारे में।
पूजा स्थल और पूरे घर को स्वच्छ करें। स्वयं स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। इस पर भगवान राम और माता सीता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अगर आपके पास राम दरबार है तो उसे स्थापित करना सर्वोत्तम है।

फूल, तुलसी दल, फल, मिठाई, अक्षत , चंदन या रोली, दीपक, घी, धूपबत्ती और जल का कलश एकत्र कर लें। हाथ में थोड़े से चावल, फूल और जल लेकर मन में यह भाव लाएँ कि आप किस उद्देश्य से यह पूजा कर रहे हैं। फिर जल को धरती पर छोड़ दें।
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शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। दीपक को भगवान के दाहिनी ओर रखें। हाथ जोड़कर प्रभु श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का मन में ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी पूजा स्वीकार करें और आसन ग्रहण करें।
अगर मूर्ति है तो उन्हें पंचामृत और फिर शुद्ध जल से स्नानकराएं। अगर तस्वीर है तो जल के छींटे लगाएं। भगवान को नए वस्त्र और आभूषण समर्पित करें। भगवान श्री राम को चंदन का और माता सीता को रोली या कुमकुम का तिलक लगाएं।
राम जी को पीले या लाल फूल और माता सीता को लाल फूल अर्पित करें। अक्षत समर्पित करें। ध्यान रहे कि राम जी को तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं। भगवान श्री राम के मंत्रों 'श्री राम जय राम जय जय राम' या 'ॐ जानकी वल्लभाय नमः' का जाप करें।

आप सुंदरकांड के कुछ अंश या रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ भी कर सकते हैं। ऋतु फल और मिठाई का भोग लगाएं। भोग लगाते समय तुलसी दल अवश्य रखें। अंत में घी के दीपक से प्रभु श्री राम और माता सीता की आरती गाएं।
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इस दौरान घर के अन्य सदस्य भी शामिल हो सकते हैं। हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए प्रभु से क्षमा मांगें। भोग को सभी भक्तों और परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में वितरित करें। इस तरह, आप अपने घर को ही राम मंदिर की तरह भक्तिमय बना सकते हैं।
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Image credit: herzindagi
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