भारत सरकार की सबसे पॉपुलर सेविंग्स स्कीम्स में से एक पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) है, जो लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट वाली स्कीम है और इसमें अच्छा ब्याज मिलता है। लोग आमतौर पर फ्यूचर और रिटयरमेंट के लिए इसे बढ़िया विकल्प मानते हैं। लेकिन मन में कई बार सवाल आता है कि अगर PPF अकाउंट होल्डर अपने खाते में किसी नॉमिनी का नाम नहीं देता है और असमय उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके खाते में जमा पैसों का क्या होता है?
आज हम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं कि अगर कोई PPF अकाउंट होल्डर बिना नॉमिनी बनाए दुनिया को अलविदा कह देता है, तो उसके फंड का क्या होता है और उसके परिजन कैसे उस पर क्लेम कर सकते हैं।
आमतौर पर जब कोई व्यक्ति PPF अकाउंट खोलता है, तो उसे यह सुविधा दी जाती है कि वह अपने खाते में एक से ज्यादा नॉमिनी को जोड़ सकता है। नॉमिनी का होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि अगर दुर्भाग्यवश PPF अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो उसके खाते में जमा रकम पर नॉमिनी का हक होता है। वहीं, अगर अकाउंट होल्डर ने किसी को भी नॉमिनी नहीं बनाया है, तो उसके निधन के बाद खाते में जमा राशि पर उसके कानूनी उत्तराधिकारी क्लेम कर सकते हैं।
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अगर किसी PPF अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है और उसने किसी नॉमिनी का नाम नहीं दिया होता है, तो उसके खाते की रकम कानूनी वारिस या परिजनों को मिल सकती है। इसके लिए परिजनों या कानूनी उत्तराधिकारियों को डेथ क्लेम प्रोसेस से गुजरना पड़ता है।
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सबसे पहले कानूनी वारिस या परिजनों को यह जानना जरूरी है कि PPF अकाउंट में जमा राशि कितनी है। अगर रकम 1 लाख रुपये से कम है, तो क्लेम करना थोड़ा आसान हो सकता है। लेकिन, अगर अकाउंट में राशि 1 लाख रुपये से ऊपर है, तो आपको कानूनी दस्तावेज दिखाने पड़ सकते हैं।
बिना नॉमिनी वाले PPF अकाउंट पर क्लेम करने के लिए आपको PPF अकाउंट होल्डर का डेथ सर्टिफिकेट दिखाना पड़ सकता है। यह सर्टिफिकेट आपको नगर निगम या पंचायत से मिल सकता है। डेथ सर्टिफिकेट को PPF अकाउंट वाले बैंक या पोस्ट ऑफिस में जमा करना होता है।
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आपको Form G भरना होता है। यह एक आधिकारिक फॉर्म है, जिसका इस्तेमाल PPF अकाउंट में जमा पैसे पर क्लेम करने के लिए किया जाता है। अगर अकाउंट का कोई नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी वारिस इस फॉर्म को भरकर क्लेम कर सकता है। इस फॉर्म में आपको PPF अकाउंट होल्डर की जानकारी, दावेदार और मृतक के बीच का रिश्ता, आधार, पैन और एड्रेस प्रूफ जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स संलग्न करने होते हैं। फिर, इसे बैंक या पोस्ट ऑफिस में जाकर जमा करना होता है।
संबंधित बैंक या पोस्ट ऑफिस आपके द्वारा जमा किए गए डॉक्यूमेंट्स को वेरिफाई करता है। जब वेरिफिकेशन पूरा हो जाता है सबकुछ सही पाया जाता है, तो PPF अकाउंट की पूरी रकम को दावेदार के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
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