क्या आपने कभी गुरुद्वारे में शादी अटेंड की है? देखिए मैं आपको पहले एक चीज़ साफ कर दूं कि हिंदू शादी और पंजाबी शादी से अलग सिख शादी होती है। अधिकतर सिख शादियों को हिंदू शादियों से जोड़कर देखा जाता है जबकि ये बिल्कुल अलग होती है। हां, कुछ इवेंट्स एक जैसे होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सारे इवेंट्स एक जैसे ही होंगे। सिख शादियों में कलीरों का बहुत महत्व होता है और कई बार परिवार अपनी चॉइस के हिसाब से रस्मों में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं।
तो चलिए आज सिख शादियों के बारे में थोड़ी सी बात कर लेते हैं और ये जानते हैं कि सिख शादियों में किस तरह की रस्में होती हैं?
1. आनंद कराज
आनंद कराज को शादी की शुरुआत माना जाता है। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब से प्रार्थना पढ़ी जाती है और परिवार के सदस्यों को बुलाया जाता है जो गुरु ग्रंथ साहिब में से शब्द चुनकर सबके साथ बांटते हैं। इस रस्म में कीर्तन का महत्व होता है और कई लोग इस रस्म में शामिल होते हैं।
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2. मेहंदी और कलीरे
दुल्हन के घर में मेहंदी की रस्म होती है और सिख शादियों में भी मेहंदी को बहुत ही जरूरी माना जाता है। मेहंदी की रस्म के बाद दुल्हन के हाथों में कलीरे भी बांधे जाते हैं जो शादी के वक्त तक नहीं उतरते हैं। सिख दुल्हनों के कलीरे तो शादी की रस्म के बाद उतर जाते हैं, लेकिन उनका चूड़ा साल भर तक नहीं उतरता है। चूड़ा सेरेमनी के दौरान पूजा या हवन किया जाता है। पूजा के दौरान ही 21 चूड़ियों के इस सेट को दूध और गुलाब की पंखुड़ियों से साफ किया जाता है।
3. सेहराबंदी और बारात
बारात में वही रस्में होती हैं जो आमतौर पर मनाई जाती हैं। बारात से पहले सेहरा बंदी की एक रस्म भी मनाई जाती है और इसमें पगड़ी और सेहरा कुछ इस तरह से बांधा जाता है जो चेहरे को ढक ले। हालांकि, अब कुछ जगहों पर सेहरे से चेहरा ढकने की रस्म को नहीं किया जाता बस नाम के लिए सेहरा बांधा जाता है। इस रस्म में परिवार का कोई बड़ा पुरुष सदस्य या बहनोई सिर पर पगड़ी पहनाता है।
इसके बाद दूल्हा घोड़ी चढ़कर गुरुद्वारे जाता है और अब मॉर्डन शादियों में दूल्हा मोटरसाइकिल में भी आता है।
4. मिलनी
मिलनी में दोनों परिवार के लोग आपस में मिलते हैं और इस रस्म में परिवार के बड़े एक दूसरे से बातचीत करते हैं। इस मौके पर अधिकतर दुल्हन के परिवार वाले दूल्हे के परिवार वालों को गिफ्ट आदि भी देते हैं। वैसे इस रस्म को कई परिवारों में अब नहीं किया जाता है।
5. अरदास
भगवान की प्रार्थना से ही हर शुभ काम की शुरुआत की जाती है और शादी की शुरुआत भी ऐसे ही होती है। इस समय शादी का धार्मिक महत्व शुरू हो जाता है। इस समय सभी प्रार्थना करते हैं और आने वाले समय की तैयारी में लग जाते हैं।
6. लावन
इस रस्म को शायद आपने टीवी और फिल्मों में भी देखा होगा। यहां दूल्हा-दुल्हन आखिर में गुरुद्वारे की जमीन पर बैठ जाते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब के आगे बैठकर शादी की लावन (शादी की प्रार्थना) शुरू होती है। सिख शादी में जोड़ा गुरु ग्रंथ साहिब के इर्द-गिर्द चार बार फेरे लेता है। इस रस्म में ही नए जोड़े की शादी पक्की होती है और इसे उनकी शादी की नई शुरुआत से जोड़कर देखा जाता है।
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7. सिख्या (सीख)
इस रस्म में समुदाय के बड़े-बूढ़े मिलकर नए जोड़े को कुछ सीख देते हैं और उन्हें धार्मिक महत्व के बारे में भी बताते हैं। इस रस्म में ये बताया जाता है कि सिख समुदाय में शादी का महत्व क्या है। इस रस्म के बाद गुरु ग्रंथ साहिब की प्रार्थना की जाती है, गुरुद्वारे में लंगर होता है और प्रसाद भी बांटा जाता है।
इनके अलावा और भी कई रस्में होती हैं जैसे 'जागो' जिसे संगीत जैसा समझा जा सकता है और गाना-बजाना बहुत ही अच्छे से होता है। इन रस्मों को लेकर बहुत सारी बातें की जाती हैं और सिख शादियों में ढोल-नगाड़ों का बहुत महत्व रखा जाता है। सिख शादी की रस्मों को लेकर आपका क्या एक्सपीरियंस रहा है ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Neha Dhupia and Angad Bedi instagram/ freepik
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