Kolkata Rape and Murder Case:आखिर क्यों कोलकाता विक्टिम की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को लेकर उठ रहे हैं सवाल? जानें क्या आया है सामने

कोलकाता में 31 साल की लेडी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। हाल ही में पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई, जिसने हमारे देश का सिर झुका दिया। इस रिपोर्ट में हुए खुलासे इंसानियत पर कई सवाल खड़े करती है। आइए आपको बताते हैं कि विक्टिम की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या सामने आया।

 
what does the post mortem report of the kolkata victim

कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई। इस शर्मनाक घटना को लेकर पूरे देश में रोष है। डॉक्टर्स की हड़ताल जारी है और सड़कों पर आकर लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। इसमें पीड़िता का परिवार, डॉक्टर और पूरे देश के लोग शामिल हैं, जो लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं।

न्याय कब मिलेगा, यह तो मालूम नहीं, लेकिन हाल ही में आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट हैवानियत पर कई तरह के सवाल खड़ा करती है। यह रिपोर्ट बताती है कि उस दिन महिला को कितना दर्द झेलना पड़ा होगा। रिपोर्ट के मुताबिक मृतक के शरीर पर 14 से ज्यादा चोट के निशान मिले।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक के सिर गाल होंठ नाक दाहिना जबड़ा ठोड़ी गर्दन बायां हाथ बायां कंधा बायां घुटना टखना और प्राइवेट पार्ट पर चोट के निशान मिले हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर कई तरह के खुलासे हुए हैं, जिसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।

पोस्टमार्टम नहीं...हैवानियत की रिपोर्ट

the original name of Nirbhaya

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार 9 अगस्त 2024 को महिला के साथ हैवानियत की सारी हदें पार की गई थीं। रेप करने के बाद महिला की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद महिला का शव दोपहर 12:44 बजे आरजीओएमसीएच (राज्य सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज अस्पताल) में लाया गया और निरीक्षण किया गया। इसमें पता चला कि महिला की लंबाई 5 फीट 2 इंच थी।

महिला बिल्कुल फिट थी, हालांकि, शरीर में रिगोर मोर्टिस (मृत्यु के बाद शरीर में अकड़न) मौजूद थी, जिससे साफ पता चलता है कि मौत कुछ घंटे पहले ही हुई थी। रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि महिला की आंखें बंद थीं, लेकिन इसमें खून के कई धब्बे थे।

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आंखों की पुतलियां फैली हुई थीं, जो यह बताती है कि महिला कितनी दर्द में थी। महिला के नाखून के नीचे नीला रंग भी लगा हुआ है। बता दें कि महिला ने उस वक्त गुलाबी रंग का कुर्ता पहन रखा था, जिसकी स्लिप सफेद थीं। मगर जिस हालत में महिला मिली, इसमें उसकी उसकी ब्रा बगल में खिसकी हुई थी और दोनों स्तन खुले हुए थे।

पीड़िता के नीचे के कपड़े गायब थे और उसके प्राइवेट पार्ट से खून मिला तरल पदार्थ बह रहा था, जिससे साफ पता चलता है कि महिला के साथ यौन उत्पीड़न किया गया है। कोई एक मासूम पर इतना ज़ुल्म कैसे कर सकता है? उस बच्ची ने कितना दर्द सहा होगा ये सोच कर दिल दहल जाता है। वो आखिरी सांस तक लड़ी।

नाखून से खरोंच डाला पीड़िता का शरीर

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पीड़िता ने कितना दर्द सहा होगा इसका अंदाजा पीड़िता के शरीर पर मिले खरोंच के निशानों से लगाया जा सकता है। महिला के शरीर पर कई जगहों पर गंभीर चोटें मिली हैं, जो यह बताती हैं कि महिला ने कितना संघर्ष किया होगा। चेहरे पर...दोनों गालों पर....गर्दन पर नाखून के खरोंच के निशान मिले हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि महिला के नाक के बाएं हिस्से और गर्दन के सामने बाएं हिस्से पर खरोंच के गंभीर निशा मौजूद थे। साथ ही, दाहिने जबड़े और गर्दन के ऊपरी हिस्से पर गोल आकार की लव बाइट पाई गई थी।

सामने आई असली मौत की वजह

पिछले दिनों पुलिस के द्वारा कहा गया था कि महिला ने आत्महत्या की। मगर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि गला घोंटने से मौत हुई है यानी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महिला की हत्या की गई थी। साथ ही, महिला के योनि (Vagina) में जबरन प्रवेश के सबूत मिले हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि महिला के साथ बलात्कार किया गया था या सामूहिक बलात्कार हुआ था। इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि अपराध में कितने लोग शामिल थे। इसके अलावा, महिला के सिर और जबड़े पर कई जगहों पर ब्लीडिंग के निशान पाए गए थे।

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पोस्टमार्टम की ये रिपोर्ट खड़े करती कई सवाल

    1. पोस्टमार्टम की ये रिपोर्ट कई तरह के सवाल खड़ा करती है, जिनके जवाब ढूंढना बहुत जरूरी है।
    2. आखिर क्यों पुलिस ने माता-पिता को सूचित किया कि पीड़िता ने आत्महत्या की है? रिपोर्ट में बताया गया है कि महिला की हत्या की गई है?
    3. आखिर क्यों रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि महिला के साथ बलात्कार किया गया था या सामूहिक बलात्कार किया गया था?
  1. आखिर क्यों पुलिस ने जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार किया? जबकि पीड़िता के घर वालों का कहना है कि शमशान घाट पर 3 शव के होते हुए भी महिला डॉक्टर को जलाया गया।
  2. आरजी कार में अचानक से नवीनीकरण का काम क्यों शुरू करवा दिया गया? क्या सबूत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था?

इस केस को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। पहले इस केस को ढंकने, छुपाने की कोशिश की जा रही थी। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को बचाने और सबूत मिटाने की कोशिश की गई। क्या ये मामला किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है? आखिर क्यों इसे आत्महत्या बताया गया? आखिर क्यों पीड़िता की बॉडी को चार घंटे तक नहीं देखने दिया? आखिर क्यों संदीप घोष को बचाने की कोशिश की गई? उस भीड़ को किसने भेजा था, जो अचानक आधी रात को हॉस्पिटल में बचे हुए सबूत मिटाने आई थी?

यह तमाम सवाल इस ओर इशारा करते हैं कि इस मामले को लेकर जमकर राजनीति हो रहा है। मगर समझना चाहिए कि इस वक्त केंद्र सरकार और राज्य सरकार को टकराने और एक दूसरे पर इल्जाम लगाने के बजाय पीड़िता के इंसाफ पर बात करनी चाहिए।

आखिर हम किस बुनियाद पर विकास के बारे में सोचते हैं?

rape case increase in delhi

आज बहुत कुछ दोहराया जाएगा, फिर से सबको बुलाया जाएगा....

सुबह से लेकर शाम तक बहस की जाएगी, महिला सुरक्षा के मुद्दे पर फिर से बेनाम वादे किए जाएंगे...

दफ्तर से आती वो फिर आज किसी के हवस का शिकार फिर बन जाएगी..

इसके बाद क्या फिर से सब भुला दिया जाएगा..

लेकिन कब तक महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा एक बड़ा सवाल बना रहेगा? देश की सरकार तो एक तरफ महिला सशक्तिकरण का दावा करती आ रही है, लेकिन मैं और मेरी जैसी महिलाएं आखिर कितनी सुरक्षित हैं? बात साफ है कि एक महिला अभी भी अपने देश, शहर, मोहल्ले, गली और घर के अंदर सुरक्षित महसूस नहीं करती है।

साल-दर-साल ये आंकड़े बढ़ते ही चले जा रहे हैं और हम धीरे-धीरे इसी असलियत के साथ जीना सीख रहे हैं जो यकीनन बहुत गलत है। घर के अंदर जब किसी बेटी का रेप होता है, तो उसे चुप रहने की सलाह दी जाती है, गंगा को पवित्र और मूर्ति को देवी मानने वाले इस देश में जब लड़कियों की ही सुरक्षा नहीं हो सकती, तो आखिर हम किस बुनियाद पर विकास के बारे में सोचते हैं?

आप ही बताइए क्या यह विकास है? क्या वाकई हम आजाद हैं?

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