Kolkata Doctor Rape Murder Case: कोलकाता में एक महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कर दी गई। इस बर्बरता के खिलाफ पूरे देश में रोष है। डॉक्टर सड़कों पर हैं। पीड़िता का परिवार और पूरा देश ही, न्याय की मांग कर रहा है। बॉलीवुड सेलेब्स हों, नेता हों या फिर आम आदमी, हम सभी यही चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इसी तरह का एक और मामला भी पिछले दिनों सामने आया। जहां, उत्तराखंड के एक प्राइवेट अस्पताल में काम करने वाली नर्स के साथ रेप हुई, उसकी हत्या कर दी गई और उसकी बॉडी कई दिन बाद मिली। इससे पहले भी न जाने कितने ऐसे केस हुए हैं और न जाने कितनी ही ऐसी खबरें लगातार चर्चा में आ रही हैं।
कुछ केस चर्चा में आ जाते हैं...कुछ को न्याय मिल जाता है...कुछ कोर्ट की तारीखों में सिमटे रह जाते हैं और कुछ रेप पीड़िता अपने साथ हुई दरिंदगी के बारे में बात करने से भी डरती हैं। बेशक आजादी के 78 साल बाद भी अगर महिलाएं खुद को आजाद और सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं और हमें आए दिन इस तरह की खबरें सुनने को मिल रही हैं, तो यह एक बड़ा सवाल है। लेकिन जानते हैं इससे भी ज्यादा अफसोस की बात क्या है? इससे भी ज्यादा अफसोस और शर्मिन्दगी की बात यह है कि आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, जो इस दरिंदगी का जिम्मेदार कभी महिला के छोटे कपड़ो को...कभी उसके घर से बाहर निकलने को...कभी पढ़ने-लिखने को...तो कभी न जाने किस-किस चीज को ठहरा देते हैं। कोलकाता केस में भी सोशल मीडिया पर कई ऐसे कमेंट्स आ रहे है, जिन्हें पढ़कर शायद 'शर्म' भी शरमा जाए। चलिए, आपको दिखाते हैं ये कमेंट्स।
निर्भया केस बेशक आपको याद ही होगा। उस केस के आरोपियों को फांसी की सजा हो चुकी है। यह और बात है कि दोषियों के वकील ने उस वक्त उन्हें बचाने और निर्भया व उसके परिवार को ही घटना का जिम्मेदार ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन, तब न्याय की जीत हुई थी। उस वक्त उन दोषियों में से एक ने यह बयान दिया था कि रेप के लिए पुरुष से ज्यादा महिला जिम्मेदार होती है। यकीन मानिए इस स्टेटमेंट के बारे में सोचकर भी दिल में गुस्सा भर जाता है।
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कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप हुआ। लेकिन, जरा इस कमेंट को पढ़िए। ऐसी घटिया सोच के बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे? शायद मेरे पास तो शब्द नहीं हैं। एक लड़की जिसके साथ उसके वर्कप्लेस पर इतनी बड़ी वारदात हो जाती हैं, ये कौन-से लोग हैं, जो उसकी सुंदरता....इस खबर को मिल रहे अटेंशन को लेकर इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर पा रहे हैं।
रेप के लिए लड़की ने ही उकसाया होगा...ये कहने वाले लोग तब कहां चले जाते हैं, तब एक 3 साल की लड़की का रेप होता है।
अनजान लोगों से बात करेगी तो ऐसा ही होगा...ये कहने वाले उस वक्त क्यों नजर नहीं आते, जब परिवार से ही कोई इंसान, लड़की के साथ ऐसा करता है।
टाइट कपड़े पहने होंगे...ऐसा कहने वाले लोगों से माफी चाहूंगी। लेकिन, अखबार के पन्नों को पलटेंगे तो आपको 70 साल की महिला के साथ रेप की खबरें भी मिल जाएंगी।
किसी भी महिला के साथ इस तरह हुए हादसे की खबर आने के बाद एक बड़ा तबका पुरुषों के सपोर्ट में खड़ा हो जाता है। आखिर हो भी क्यों ना, हमारे देश में भले ही पूजा महिलाओं की होती हो। लेकिन, हैं तो हम एक पुरुष-प्रधान देश ही। यहां ही देखिए, इन महानुभाव का कहना है कि बलात्कार की भावना इस तरह के वीडियो देखने से मन में आती है। वैसे ऐसा पहली बार नहीं है। इससे पहले भी कई ऐसे स्टेटमेंट आ चुके हैं, जिनका सीधा सा मतलब होता है कि महिलाओं को खुद को बचाकर रखने, संभालकर रखने की जरूरत है क्योंकि आदमियों से तो गलतियां हो ही जाती हैं।
जहां एक तरफ पूरा देश इस हादसे से सकते में है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सोशल मीडिया पर कोलकाता डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता के वीडियो को सर्च कर रहे हैं। क्या वाकई इन लोगों को इंसान कहलाने का हक है। इतना ही नहीं, एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ने GRWM की वीडियो बनाई है और इस वीडियो में तैयार होते हुए, वह इस हादसे की बात कर रहे हैं। शायद चंद व्यूज के लिए, सही-गलत को ताक पर रख दिया गया है।
हाल ही में, एक सेवानिवृत्त कर्नल ने जिक्र किया कि अपनी बेटी के इंडिया से बाहर बसने के फैसले का समर्थन करते हैं क्योंकि 13 साल पहले जब उनकी बेटी कॉलेज में थी, तो उसके साथ कई हैरेसमेंट की घटनाएं हुई थीं। यहां तक कि एक बार कॉलेज जाते वक्त, एक आदमी ने उससे उसका 'रेट' भी पूछा। यह पढ़कर शायद किसी की भी आंखे शर्म से झुक जानी चाहिए। लेकिन, जरा नजर डालिए, किस तरह लोग एक बार फिर, लड़की को ही गलत ठहरा रहे हैं।
कोलकाता डॉक्टर ने अपनी जिंदगी गवाई। इतना दर्द झेला कि शायद सोचकर भी किसी की आंखों में आंसू आ जाएं। इससे पहले भी न जाने कितनी लड़कियां इस तरह के अपराधों का शिकार हो चुकी हैं। बेशक, ऐसे मामलों में कड़े कानून और कड़ी से कड़ी सजा की जरूरत है। लेकिन, महिलाओं के खिलाफ होने वाले इन अपराधों को रोकने के लिए, सबसे जरूरी हमारी सोच को बदलना है। कहीं ऐसा न हो जाए कि 'देवी' को पूजने वाले इस देश में हमें हमारे लड़की होने पर ही अफसोस होने लगे। आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं।
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