रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम... जानें क्या हैं इस भजन की आगे की असली पंक्तियां

खुद के घर से लेकर फिल्मों तक में सुने 'रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम' भजन को किसने लिखा था और क्या थीं इस भजन की असली पंक्तियां, आइये जानते हैं। 
lines of raghupati raghav raja ram bhajan

रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम... यह एक ऐसा भजन है जो हम सबने कभी न कभी कहीं न कहीं सुना ही होगा। खुद के घर से लेकर फिल्मों तक में इस भजन के बोल सुनाई दिए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर इस भजन को लिखा किसने था और क्या थे इस भजन के असली बोल। हमारे एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें इस भजन से जुड़ी कई हैरान कर देने वाली बातें बताई। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

क्या है रघुपति राघव राजा राम भजन का सत्य?

kya hai raghupati raghav raja ram bhajan ke lyrics

हिन्दू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि 'रघुपति राघव राजा राम' कोई भजन नहीं बल्कि एक श्री राम की बहुत ही सुंदर स्तुति थी जिसकी संरचना श्री लक्ष्मणचार्य द्वारा की गई थी। इस स्तुति को बाद में भजन में भी इन्होंने ही परिवर्तित किया था। अधिकतर लोगों को यही पता है कि इस भजन के बोल 'रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान' हैं। मगर असल में इस भजन के ये बोल कभी थे ही नहीं।

इस भजन की असली पंक्तियां कुछ इस तरह से थीं: रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम, सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालिग्राम, भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम, जानकीरमणा सीताराम जयजय राघव सीताराम।

kya hai raghupati raghav raja ram bhajan ki lines

वाल्मीकि जी द्वारा संस्कृत में रचित 'श्री नाम रामायणम' ग्रन्थ से प्रेरित होकर श्री लक्ष्मणाचार्य जी ने इस भजन का निर्माण किया था। इस स्तुति में श्री राम के उस रूप का वर्णन किया था जब श्री राम वनवास से लौटकर मात सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आ गये थे और श्री राम का राज्य अभिषेक होने के बाद जो उनकी वेशभूषा थी।

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इस भजन की पंक्तियों का अर्थ है: जो रघु कुल के राजा हैं राघव अर्थात राम, जो पतितों यानी की पापियों को पवित्र करने वाले माता सीता के राम, जो सुंदर हैं मेघ के समान श्याम वर्ण यानी कि सांवले या नीले हैं और गंगा, तुलसी एवं शालिग्राम धारण किये हुए हैं, जो भद्र पार्वती के भगवान हैं भद्र पार्वती के समान स्थिर हैं सीता के राम और जो भक्तों के प्रजा के प्रिय हैं, जो जानकी यानी की माता सीता के मन भावन हैं, उन श्री राम की जय उन सिया राम की जय।

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image credit: herzindagi

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