difference between bhajan and kirtan

भजन या कीर्तन, त्यौहारों के दौरान आपके घर में क्या होता है? जानें दोनों का अंतर

जहां भजन एक व्यक्तिगत और शांत अनुभव होता है तो वहीं कीर्तन एक सामूहिक और जोश भरा कार्यक्रम होता है। इसके अलावा, ये दोनों कई प्रकार से अलग हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-09-25, 15:47 IST

भजन और कीर्तन दोनों ही भगवान का नाम जपने के तरीके हैं, लेकिन इनमें कुछ खास अंतर होते हैं। ये दोनों ही भक्ति के मार्ग हैं जो हमें ईश्वर के करीब लाते हैं, पर इनका स्वरूप और तरीका अलग-अलग होता है। जहां भजन एक व्यक्तिगत और शांत अनुभव होता है तो वहीं कीर्तन एक सामूहिक और जोश भरा कार्यक्रम होता है। इसके अलावा, ये दोनों कई प्रकार से अलग हैं। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार से।

क्या होता है भजन?

भजन का मतलब है 'भज' यानी 'भक्ति करना'। भजन अक्सर एक व्यक्तिगत या छोटे समूह में किया जाता है। इसमें भक्त एकांत में या कुछ लोगों के साथ मिलकर भगवान के नाम या गुणों से जुड़े गीत गाते हैं।

bhajan kirtan se kaise alag hai

ये गीत अक्सर शांत और मधुर होते हैं जिन्हें गाकर भक्त अपने मन की बात भगवान तक पहुंचाते हैं। भजन में लय और ताल उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती जितनी कि भावनाओं की गहराई। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मा को शांत करना और सीधे भगवान से जुड़ना होता है।

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क्या होता है कीर्तन?

कीर्तन का मतलब है 'कीर्ति' यानी 'गुणगान करना'। कीर्तन हमेशा एक बड़े समूह में किया जाता है। इसमें लोग ढोल, मंजीरे और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों के साथ मिलकर भगवान का नाम जोर-जोर से गाते हैं। कीर्तन में ताल और लय बहुत महत्वपूर्ण होती है और यह एक लयबद्ध तरीके से चलता है।

इसमें एक व्यक्ति गीत की शुरुआत करता है और बाकी लोग उसे दोहराते हैं। कीर्तन का उद्देश्य केवल भगवान का नाम जपना ही नहीं, बल्कि एक सामूहिक ऊर्जा और उत्साह पैदा करना भी होता है। यह एक सामाजिक और उत्सव जैसा अनुभव होता है।

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क्या है दोनों में अंतर?

भजन और कीर्तन में सबसे बड़ा अंतर उनके स्वरूप और उद्देश्य में है। भजन शांत और व्यक्तिगत होता है, जिसका उद्देश्य आत्म-चिंतन और मन की शांति है। दूसरी ओर, कीर्तन एक सामूहिक और जोशपूर्ण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सामाजिक एकता और सामूहिक भक्ति को बढ़ाना है।

bhajan or kitan mein antar

भजन में भावनाओं की प्रधानता होती है, जबकि कीर्तन में ताल और लय की। भजन एकांत में भी किया जा सकता है, लेकिन कीर्तन बिना समूह के अधूरा होता है।कीर्तन जग कल्याण के लिए होता है और भजन व्यक्तिगत उन्नति के लिए किया जाता है।

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image credit: herzindagi 

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FAQ
भजन करते समय किस दिशा में मुख होना चाहिए?
भजन करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
क्या भजन के बाद भंडारा करना चाहिए?
हां, भजन आयोजन बिना भंडारे के अधूरा माना जाता है। 
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