Varanasi Masan holi  significance ()

Varanasi Masan Holi 2024: वाराणसी में मसान की होली है कुछ खास, जानें क्या है इसका महत्व

वाराणसी में भभूत होली और मसान होली खेलने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन से ही बाबा विश्वनाथ अपनी नगरी के भक्तों और देवी-देवताओं संग होली खेलते हैं और इसके अगले दिन भस्म की होली खेली जाती है। 
Editorial
Updated:- 2024-02-21, 13:19 IST

(Varanasi masan holi 2024 significance) सनातन धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है और पूरे देश में होली का उत्सव काफी उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में होली का पर्व विभिन्न अंदाज में मनाया जाता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि धर्म नगरी काशी में चिता की भस्म से होली खेलने का विशेष महत्व है। जहां रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली खेली जाती है। अब ऐसे में वाराणसी में होली का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

वाराणसी में मसान होली का महत्व  (Importance of Masan Holi in Varanasi)

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उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहर वाराणसी के महाश्मशान कहे जाने मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली पूरे उत्साह के साथ खेली जाती है और यहां शिव भक्त चिताओं के राख से होली खेली जाती है। वाराणसी में डमरू की गूंज के साथ-साथ शिव भक्त मसान नाथ मंदिर में भोलेनाथ की पूजा विशेष रूप से करते हैं और उन्हें भस्म चढ़ाते हैं। पश्चात एक दूसरे को चिता की भस्म लगाकर मसान होली खेलते हैं।

मसान होली की धार्मिक मान्यता  (Religious belief of Masan Holi)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) सभी गुणों के साथ मणिकर्णिका घाट पर सभी भक्तों को दर्शन देते हैं और भस्म होली खेलते हैं। क्योंकि लोगों का मानना है कि शिव जी को भस्म बेहद प्रिय है और भस्म से ही वे अपना श्रृंगार करते हैं।

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इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव (भगवान शिव पूजा) और मां पार्वती के विवाह के बाद गौना कराकर शिव उन्हें अपने धाम ले आएं और फिर भोलेनाथ से भी देवी-देवताओं के साथ होली खेली, लेकिन इस होली में भगवान शिव के प्रिय गण, भूत-प्रेत, पिशाच, निशाचर शामिल नहीं हो पाएं। ऐसे में होली खेलने के लिए भगवान शिव खुद ही मसान घाट पर आए और सभी के साथ भस्म होली खेली।

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पढ़ें मणिकर्णिका घाट पर मसान मंदिर का इतिहास (history of Masan Temple at Manikarnika Ghat)

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ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि 16वीं शताब्दी में जयपुर के राजा मान सिंह ने गंगा नदी के किनारे मणिकर्णिका घाट पर मसान मंदिर का निर्माण कराया था। धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है और यहां हर रोज ही 100 लोगों का अंतिम संस्कार भी किया जाता है। बता दें, मसान होली पर होली खेलने के लिए विशेष रूप से 4000 से 5000 किलो लकड़ी जलाई जाती है।  

 

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