भारतीय संस्कृति पूरी दुनिया में अपनी विविधताओं के लिए जानी जाती है। भारत को त्योहारों और धार्मिक प्रथाओं की वजह से सभी जगह पूजनीय माना जाता है। वास्तव में भारतीय संस्कृति की विविधता विभिन्न भाषाओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों और त्योहारों में परिलक्षित होती है। यूं कहा जाए कि इस देश में हर दिन एक त्योहार होता है।
होली, दिवाली, क्रिसमस, ईद जैसे कई बड़े त्योहारों से पूरे साल रौनक रहती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे देश में ही कई ऐसे भी त्योहार होते हैं जिनका नाम सुनकर ही आपके मन में कई सवाल खड़े हो जाएंगे। जी हां, भारत में कई ऐसे त्योहार भी मनाए जाते हैं जिनमें आपको कुछ अजीब बातें देखने को मिलती हैं। इन त्योहारों में कहीं लोग अंगारों पर चलते हैं, तो कुछ जगह त्योहार का जश्न पुरुषों पर लाठियां बरसाकर मनाया जाता है। आइए जानें हमारे देश में मनाए जाने वाले कुछ अजीबो गरीब त्योहारों के बारे में।
लट्ठमार होली - वृंदावन, उत्तर प्रदेश
भारत के सबसे अनोखे त्योहारों में से एक है वृंदावन की लट्ठमार होली। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि इसका संबंध लाठियां बरसाने से है तो आपको बता दें कि इस लट्ठमार होली में बरसाना की महिलाएं नंदगांव के पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं और त्योहार का मुख्य आकर्षण यही होता है। ऐसा माना जाता है कि इस होली से पुरुष अपना बचाव करते हैं लेकिन जो भी महिलाओं की लाठियों के बीच आते हैं उन्हें महिला की तरह तैयार किया जाता है और सार्वजनिक रूप से वो नृत्य करते हैं।
लट्ठमार होली की पौराणिक कथा
लट्ठमार होली का उत्सव नंदगांव जिसे श्री कृष्ण का गांव माना जाता है वहां के पुरुषों और वृंदावन के पास बरसाना की महिलाओं के बीच मनाया जाता है। मान्यता है कि होली से पहले के दिनों में, कृष्ण अपनी प्रिय राधा के पास गए थे और अपने दोस्तों को चिढ़ाने लगे थे। उस समय बरसाना की महिलाओं ने लाठियों से कृष्ण का पीछा करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उसी समय से इन गांवों के पुरुष और महिलाएं हर साल उसी प्रथा को फिर से दोहराते हैं और लाठियों के साथ उत्सव मनाया जाता है।
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थिमिथी – तमिलनाडु
अगर आपसे कहा जाए कि किसी त्योहार का जश्न आपको जलते हुए अंगारों पर चलते हुए मनाना है तो आप क्या कहेंगे ? जी हां, यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लगती है लेकिन वास्तविकता यह है कि तमिलनाडु में थिमिथी नाम के पर्व में लोगों को जलते हुए अंगारों पर चलना होता है। इस त्योहार की मान्यता है कि कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद, द्रौपदी ने आग की शय्या पर चलकर और बिना किसी नुकसान के बाहर निकलकर अपनी बेगुनाही साबित की थी। तमिलनाडु में (तमिलनाडु में स्थित शिव मंदिर) उन्हें समर्पित मंदिर हैं, जहां भक्त जलते कोयले पर चलकर उनका सम्मान करते हैं। इसकी मान्यता है कि द्रौपदी को मनाने के लिए, उपासक अपनी देवी का सम्मान करने के लिए जलते कोयले पर नंगे पैर चलते हैं जो इसे भारत का एक असामान्य त्योहार बनाता है।
ग्रामीण ओलंपिक -किला रायपुर, पंजाब
दांतों से ईंटों का एक पूरा ढेर उठाने वाले, बालों से बड़े -बड़े वाहनों को खींचने और मुंह से हल उठाने वाले प्रतियोगी कुछ ऐसी विचित्र गतिविधियों के साथ ग्रामीण ओलंपिक का पर्व पंजाब में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। किला रायपुर स्पोर्ट्स फेस्टिवल के रूप में लोकप्रिय, आयोजनों और गतिविधियों का यह भव्य संगम लुधियाना से लगभग 20 किमी दूर किला रायपुर गांव में होता है। त्योहार हर साल आसपास के क्षेत्रों में ग्रामीणों की मौजूदगी के साथ बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। ग्रामीण ओलंपिक में विभिन्न खेल और गतिविधियां जैसे घुड़दौड़, एरोबेटिक्स, बैलगाड़ी दौड़ और अन्य ग्रामीण खेल शामिल होते हैं।
थेय्यम - केरल
थेय्यम नाम का त्योहार केरल का मुख्य त्योहार है। इसमें लोग दैवीय शक्ति को समर्पित खतरनाक करतब करते दिखाई देते हैं, जो इसे भारत के सबसे अनोखे त्योहारों में से एक बनाता है। इन करतबों में 10-12 मीटर लंबे बालों का मुकुट पहनकर नाचना, अंगारों पर चलना, नारियल के पत्ते पहनकर और कमर में बंधी तार की जलती बत्ती से प्रदर्शन करना शामिल है। आग की लपटों और चिलचिलाती गर्मी के बावजूद इस त्योहार में हिस्सा लेने वाले सभी कलाकार भारी भरकम कपड़ों के साथ अजीबो गरीब श्रृंगार करके प्रदर्शन करते नजर आते हैं।
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भगोरिया महोत्सव - मध्य प्रदेश
इस महोत्सव में विवाह मेले का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है, जहां युवा अपने साथी का चयन करते हैं और उनके साथ भाग जाते हैं, जिसे बाद में समाज द्वारा स्वीकार किया जाता है और पुरुष और पत्नी के रूप में उन्हें मान्यता दी जाती है। भारत में सबसे लोकप्रिय आदिवासी त्योहारों में से एक, भगोरिया मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के खरगोन और झाबुआ जिले में मनाया जाता है। इस पर्व में ज्यादातर भील और भिलाला जनजातियों द्वारा भाग लिया जाता है, त्योहार में बड़े हाट की स्थापना होती है, जो एक विवाह स्वयंवर के रूप में कार्य करता है। पूरे सप्ताह चलने वाला यह उत्सव वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक होता है और इसमें भारी संख्या में भीड़ होती है।
थाईपूसम – तमिलनाडु
तमिलनाडु में थाईपूसम उत्सव के दौरान श्रद्धालु अपना मुंह छिदवाते हैं। इस त्यौहार के लिए ऐसी मान्यता है कि भगवान मुरुगा के उत्साही भक्त अपने होठों को भाले से छेदते हैं या किसी धारदार धातु की वस्तुओं से मुंह छिदवाते हैं और अपनी त्वचा को जंजीरों से जकड़ लेते हैं और वे देवता को सम्मान देने के लिए रथ को खींचने की कोशिश करते हैं। भारत में सबसे असामान्य त्योहारों (दुनिया भर के अजीबो-गरीब रीति-रिवाज) में से एक, थाईपुसम तमिलनाडु में ज्यादातर भगवान मुरुगा के मंदिरों में ही मनाया जाता है। इस त्योहार में पुजारियों और अन्य चुने हुए भक्त जलते कोयले पर भी चलते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिए, भक्त स्नान करते हैं और हल्दी से शरीर में लेप करते हैं।
वास्तव में ये सभी त्योहार भारत की अनोखी प्रथाओं की कहानी बयां करते हैं और भक्तों की भक्ति की बातें बताते हैं। आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर और लाइक ज़रूर करें, साथ ही, ऐसी अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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