
उन्नाव रेप केस में 23 दिसंबर, 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला दिया, जो न केवल सवालों के घेरे में आया, बल्कि इस फैसले ने हमारे देश में इंसाफ की तस्वीर को भी मानो धुंधला कर दिया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बदल दिया। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर को सशर्त जमानत दे दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी है। बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। चलिए आपको बताते हैं कि किन दलीलों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बदला है और कैसे पीड़िता पिछले 8 सालों से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी है। इस फैसले में कुलदीप की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दे दी गई थी हालांकि, वो तब भी जेल से बाहर नहीं आ सकते थे, क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उन्हें 10 साल की सजा मिली हुई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी है। बता दें कि हाईकोर्ट के फैसले का काफी विरोध किया जा रहा था और इसे लेकर हमारी लचर कानून व्यवस्था और इंसाफ के सही मायने पर सवाल भी उठे थे। पीड़िता और उनकी मां ने इसे लेकर प्रदर्शन पर किया था। इसके बाद सीबीआई ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों ने इस पूरे केस का रूख बदल दिया। पीड़िता के नाबालिग होने, आरोपी के POCSO एक्ट के तहत दोषी करार दिए जाने और उम्रकैद की सजा समेत कई चीजों का उन्होंने जिक्र किया। इसके अलावा, उन्होंने ये भी साफ किया कि गंभीर अपराधों में केवल लंबे समय तक जेल में रहने को सजा को निलंबित करने की वजह नहीं माना जा सकता है। इन दलीलों के आधार पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी गई।

उन्नाव रेप केस में पीड़िता लंबे समय से न्याय के लिए संघर्ष कर रही है। इस मामले ने न केवल हमारे देश की कमजोर और संवेदनहीन कानून व्यवस्था की कड़वी सच्चाई को उजागर किया था, बल्कि यह भी दिखाया था कि किस तरह पैसे और पॉवर के गलत इस्तेमाल से पीड़िता को बार-बार डराने, दबाने और प्रताड़ित करने की कोशिश की गई। 4 जून, 2017 को नाबालिग पीड़िता ने कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था। इसके बाद काफी वक्त तक पीड़िता की एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। यहां तक कि पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश भी की और पीड़िता के पिता को जेल में डाल दिया गया और वहां उसकी मौत हो गई। इस केस में काफी उतार-चढ़ाव आए और लंबे संघर्ष के बाद पीड़िता को न्याय मिला और 20 दिसंबर, 2019 को कुलदीप को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
काश कोई ऐसी सुबह भी आए जब हमारे देश में कोई महिला रेप का शिकार न हो और अगर किसी के साथ ऐसा होता है, तो उन दरिंदों को तुरंत सजा मिले और कोई भी लड़की इंसाफ की राह तकती न रह जाए। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो, तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। साथ ही ऐसी स्टोरीज पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Courtesy: Freepik, Shutterstock
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