जब तक किसी बच्चे को सही गॉइडेन्स और मोटिवेशन नहीं मिलती तब तक वह स्टडी और लर्निंग में अपना टैलेंट नहीं दिखा सकता। वास्तव में पेरेंटिंग एक कला है। अपने बच्चों की कमियों को पहचानना। धैर्य रखकर उनको समझना और उनको दूर करने के लिए प्रयास करना, यह सब पेरेंटिंग के पार्ट हैं। अगर पेरेंटिंग पॉजिटिव है तो निश्चित ही आप न सिर्फ अपने बच्चे के मस्तिष्क का विकास कर रहे हैं बल्कि उसके भविष्य निर्माण में भी उसको एक सीढ़ी आगे चढ़ा रहे हैं। अक्सर देखा जाता है कि बेस्ट स्कूल में पढ़ने के बाद भी कुछ बच्चों को लर्निंग में परेशानी आती है। ऐसे समय पर पेरेंट्स का इन्वोल्वमेंट जरूरी हो जाता है। उनके सपोर्ट से बच्चे पर पॉजिटिव इम्पैक्ट पड़ता है और बच्चा अपनी स्किल को इम्प्रूव करने लगता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे की कंसन्ट्रेशन पॉवर को बढ़ाया जाए जिससे उसकी गिनती भी जिनियस बच्चों में होने लगे।
क्रिएटिव थिंकिंग का विकास
बच्चों को स्मार्ट और जिनियस बनाना है तो उसके अंदर क्रिएटिव थिंकिंग का डेवलप होना जरूरी हो जाता है। इससे बच्चे में किसी भी टॉपिक को एनलाइज कर जजमेंट करने की आदत का विकास होता है। इसके साथ ही बच्चों को निष्पक्ष, तर्कसंगत और तथ्यों पर आधारित ठोस निर्णय लेना सिखाएं।
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क्रिएटिव स्टाइल को बढ़ावा दें
बच्चे हर चीज़ को अपनी इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी के आधार पर समझें। जिससे वो एक प्रॉब्लम के अनेक पॉसिबल सॉल्यूशन ढूढ़ सकें। क्रिएटिवली सोचने से उसकी स्किल शार्प होंगी और वह फ्यूचर में अपनी हर प्रॉब्लम को सॉल्व करने योग्य बन जाएगा या जाएगी।
एक्सरसाइज करने को प्रोत्साहित करें
कहते हैं कि स्वस्थ्य तन स्वस्थ्य मन का आधार बनता है। जब बच्चा फिजीकली फिट होगा तो वह अपने हर काम को इंट्रेस्ट से करेगा। रोजाना एक्सरसाइज करने से वह एक्टिव रहेगा। उसका माइंड स्पीड से काम करेगा। जिससे उसकी कंसंट्रेशन पावर बढ़ेगी।
इमोशन हैंडल करना
जरूरत से ज्यादा प्यार बच्चों को नाजुक बना देता है। अगर बच्चे को स्कूल में अपने क्लासमेट को लेकर कोई परेशानी है तो आप एकदम से इसमें इन्वॉल्व न हों। पहले उसको खुद ही ये सब मैनेज करने को कहें। हो सकता है हर कदम आपका सपोर्ट उसको इमोशनल बना दें। इस तरह छोटी-छोटी बातों को लेकर उसका परेशान हो जाना कंसंट्रेशन में बाधा बन सकता है।
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प्ले मोर, लाफ मोर
हर समय पढ़ना और बिल्कुल न खेलना, इससे आपका बच्चा कमजोर और बुद्धू ही बना रहेगा। बच्चा खुलकर अपने माइंड का यूज़ करे इसके लिए उसका खेलना भी बहुत जरूरी है। खेलने से वह फ्रेश फील करेगा और उसका माइंड स्पीड से काम करेगा। साथ ही बच्चों को खुशनुमा माहौल दें ताकि वह अपने स्टडी रिलेटिड हर काम को एन्जॉय करें।
शायद आप हमारे इन टिप्स का सहारा लेकर अपने बच्चे की कंसंट्रेशन पावर को इनक्रीज कर सकती हैं।
Image Credit:(@bangaloresouth,i.iheart,gannett)
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