छोटे बच्चे बेहद ही नाजुक होते हैं। खासतौर से, एक नवजात शिशु का ख्याल तो बेहद ही ध्यानपूर्वक रखना पड़ता है। उसे स्तनपान करवाने से लेकर नहलाते समय कई छोटी-छोटी बातों पर गौर किया जाता है। आमतौर पर जब बच्चे को पहली बार नहलाया जाता है तो उसे हाथ में लेते समय ही काफी डर लगता है। कई बार तो मां को लगता है कि कहीं बच्चे को नहलाते समय चोट ना लग जाए।
बच्चे को पहली बार नहलाना यकीनन एक बिग टास्क है। इस दौरान मां को सभी जरूरी सावधानियां बरतनी होती हैं। हो सकता है कि आप भी अभी-अभी मां बनी हों और आपको यह समझ ना आ रहा हो कि आप अपनी नन्हीं सी जान का ख्याल किस तरह रखें। आप उसे किस तरह नहलाएं ताकि उसे कोई परेशानी ना हो। तो चलिए आपके इन्हीं सभी सवालों का जवाब हम आपको इस लेख में दे रहे हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि एक नवजात शिशु को नहलाने का सही तरीका क्या होना चाहिए और उसे नहलाते समय आपको किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए-
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करें थोड़ी देरी
बच्चे के जन्म के बाद उसे कुछ दिन तक ना नहलाने की सलाह दी जाती है। अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं कि शिशु को कोई संक्रमण तो नहीं होगा तो इसके लिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आपका शिशु वर्निक्स में ढका हुआ है। यह ऐसा मोम जैसा पदार्थ होता है, जो त्वचा पर दिखाई देता है और आपके बच्चे को कीटाणुओं से बचाता है।
दें स्पॉन्ज बाथ
शिशु के शुरूआती दिनों में बच्चे को स्पॉन्ज बाथ ही देना चाहिए। खासतौर से, उसका पहला स्नान स्पॉन्ज बाथ ही होना चाहिए। दरअसल, स्पॉन्जिंग एक नवजात शिशु को स्नान करने का सबसे सुरक्षित तरीका है जब तक कि उनकी गर्भनाल न गिर जाए। एक बार जब गर्भनाल गिर जाती है, तो आप अपने बच्चे को एक टब में नहला सकती हैं।
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यूं करवाएं स्पॉन्ज बाथ
शिशु का पहला स्नान स्पॉन्ज बाथ अधिक सुरक्षित माना गया है। इसके लिए आप उनके सिर से शुरू करते हुए शरीर और अंत में डायपर क्षेत्र तक जाएं। स्पॉन्जिंग के जरिए शिशु पूरी तरह से भीगता या पूरी तरह से गीला नहीं होता है। स्पंज को डुबाने के लिए एक कटोरी गर्म पानी का उपयोग करें। सुनिश्चित करें कि जहाँ आप अपने बच्चे को नहला रही हैं, उसे आरामदायक बनाने के लिए पर्याप्त गर्म है। अपने बच्चे को एक गद्देदार या नरम सतह पर रखें और हल्के बेबी साबुन का उपयोग करें। कठोर रसायनों या कठोर साबुनों के उपयोग से बचें। धीरे से बच्चे को थपथपाएं। स्नान के तुरंत बाद अपने बच्चे को लपेटने के लिए एक तौलिया या कंबल का उपयोग करें।
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रखें इन बातों का ध्यान
- भले ही आप घर पर बच्चे को स्पंज बाथ करवा रही हैं, लेकिन फिर भी आपको हर दिन ऐसा करने की जरूरत नहीं है।
- सप्ताह में एक से तीन बार स्पंज स्नान पर्याप्त होता है।
- वैसे तो शिशु के जन्म के बाद उसे हॉस्पिटल में एक बार नहलाया जाता है, लेकिन घर आने के बाद उसे नहलाने की जल्दबाजी बिल्कुल भी ना करें।
- अगर आप बच्चे को टब में नहलाना चाहती हैं तो कम से कम तब तक अवश्य रूकें, जब तक कि उसकी गर्भनाल ना गिर जाए।
- इससे पहले शिशु को सिर्फ और सिर्फ स्पंज बाथ ही करवाएं।
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