यूनियन बजट 2025 इनकम टैक्स एक्ट 1961 में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है, खासतौर पर TDS और TCS से संबंधित प्रावधानों में। 1 अप्रैल 2025 से TDS सिस्टम में कई बदलाव हुए हैं, जो Interest, Dividends, Rent और Commissions जैसे इनकम के दूसरे सोर्स को प्रभावित करते हैं। ये बदलाव टैक्सपेयर्स के लिए कैश फ्लो में सुधार और टैक्स बोझ को कम करने के उद्देश्य से किए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के भाषण में प्रोफेशनल्स, छोटे इन्वेस्टर्स और सीनियर सिटीजन को राहत देने के लिए कई कैटगिरी में TDS सीमा बढ़ाने पर जोर दिया था।
TDS नियमों में हुए बदलाव(New TDS Rules)
- अब, सीनियर सिटीजन्स की एनुअल इनकम 1 लाख से अधिक है, तो ही टीडीएस काटा जाएगा। इससे पहले यह सीमा 50 हजार रुपये थी।
- 60 से कम उम्र के लोगों के लिए TDS की सीमा 50 हजार रुपये कर दी गई है, जो पहले 40,000 रुपये थी।
- पहले लॉटरी, क्रॉसवर्ड पहेली या घुड़दौड़ से होने वाली इनकम 10 हजार रुपये से अधिक होने पर टीडीएस काटा जाता था, वहीं अब TDS केवल तभी काटा जाएगा जब एकल लेनदेन 10,000 रुपये से अधिक होगा।
- किराए पेमेंट पर टीडीएस डिस्काउंट की सीमा को सालान 2,40,000 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रति महीना कर दिया गया है, जिससे किराएदारों और मकान मालिकों पर TDS का बोझ कम होगा।
- म्यूचुअल फंड और स्टॉक से कैपिटल गेन्स पर TDS की सीमा को 5000 रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया है, जिससे इन्वेस्टर्स को राहत मिलेगी।
- सिक्योरिटाइजेशन ट्रस्ट से इनकम पर धारा 194LBC के तहत टीडीएस दर को 25% या 30% से घटाकर 10% कर दिया गया है, जिसेस ट्रस्टों में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
- अब अगर आप विदेश में किसी को पैसे भेजते हैं, तो TCS (टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स) तभी लगेगा जब रकम 10 लाख से ज्यादा हो। पहले ये सीमा 7 लाख रुपये थी। इसके अलावा, अगर कोई छात्र एजुकेशन लोन लेकर विदेश पढ़ाई के लिए पैसे भेज रहा है, तो TCS नहीं लगेगा।
- अगर किसी व्यक्ति के पास PAN कार्ड नहीं है, तो पहले ऐसे मामलों में ज्यादा TDS लिया जाता था। अब यह नियम हटा दिया गया है।
सेक्शन 206AB और 206CCA को क्यों हटाया गया?
पहले, कोई व्यक्ति अपना ITR दाखिल नहीं करता था, तो उस पर ज्यादा दर से TDS लगा दिया जाता था। यह नियम सेक्शन 206AB और 206CCA के तहत लागू था। इसकी वजह से हर बार किसी को पेमेंट करने से पहले कंपनियों और बिजनेस को यह चेक करना पड़ता था कि सामने वाला ITR फाइल करता है या नहीं। लेकिन अब, 1 अप्रैल 2025 से, ये दोनों धाराएं हटा दी गई हैं।
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