बच्चों को बचपन से कहानी सुनने का शौक होता है। हालांकि अब कहानी सुनाने का चलन थोड़ा कम हो गया है। क्योंकि अब इसकी जगह ऑनलाइन स्टोरी और कार्टून्स ने ले ली है। दूसरे पेरेंट्स अपने बिज़ी शड्यूल का दावा करते हुए बच्चों के साथ स्टोरी टाइम स्पेंड नहीं करते। लेकिन शायद वो नहीं जानते कि केवल कहानियां सुनना उनके बच्चे के लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। इससे बच्चे की मेन्टल ग्रोथ होती है। बच्चा कहानी सुनते समय आपसे क्रॉस क्वेश्चन करता है। जिससे उसकी जानकारी बढ़ती है। अगर आप चाहतीं है कि आपका बच्चा में खेल-खेल में आराम से कुछ क्वालिटीज़ डेवलप हों तो आप उसको कहानी सुनाने की आदत जरूर डालें। हो सकता है आपके बच्चे को भी इससे ये फायदे मिल जाएं।
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कहानियों में अलग-अलग स्थानों, देशों और राज्यों का जिक्र होता है। जिससे बच्चे को उन देशों के रीति-रिवाज, धर्म परम्पराओं के बारे में पता चलता है। उनको मज़े-मज़े में बहुत सारी नॉलिज मिल जाती है। जिसको और किसी तरह से याद करने में बच्चों को मुश्किल होती है। इसलिए बच्चों की नॉलिज बढ़ाने के लिए यह सरल व आसान तरीका हो सकता है।
कहनी सुनते वक़्त बच्चे के मन में अनेक तरह के प्रश्न पैदा होते हैं। जिनके जवाब जानने की कोशिश में वह आपसे कई सवाल पूछ सकता है। उसमें अपने मन के विचारों को व्यक्त करने की क्षमता विकसित होती है। जिसका प्रदर्शन करते हुए वह अपनी क्लास में अपनी टीचर से भी तरह तरह के सवाल पूछने लगता है।
कहानियां सुनने से बच्चे में अनेक साजिक गुणों का विकास भी होता है। वह दूसरों की बातों को धैर्य से सुनंना शुरू कर देता है। कहानियां सुनने से वह एक अच्छा श्रोता और वक्ता भी बन सकता है। जिसका लाभ उसको अपनी स्कूल की पढ़ाई में भी मिलता है। साथ ही वह टीचर की कही गयी हर बात ध्यान से सुनता है।
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कहानियां सुनते वक़्त आपके द्वारा बोले गए कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो आपके बच्चे ने पहले कभी नहीं सुनें। इन नए शब्दों को सुनकर वो आपसे इनका मतलब पूछता है। जिससे उसका शब्द ज्ञान भंडार बढ़ता है। वह बड़ी आसानी से बिना मेंहनत के उन शब्दों को याद कर लेता है।
कहानियां सुनने से बच्चे में कहीं न कहीं रीडिंग स्किल भी डेवलप होती है। अगर किसी वजह से आप कभी उसको कहानी नहीं सुना पाते हैं तो वह किताब लेकर खुद कहानी पढ़ने लगता है। जिससे उसको रीडिंग की आदत भी पड़ने लगती है। और किताबें पढ़ते हुए वह शब्दों को अच्छे से पढ़ना और लिखना भी सीख जाता है। आप इसकी रीडिंग और राइटिंग को इम्प्रूव करने के लिए उससे कहें कि वह अपने मन से कोई कहानी लिखे। इससे वह अपने मन के भाव प्रकट करना भी सीख जाता है।
इस तरह आप सिर्फ कहानियां सुनाकर, मजे-मजे में बच्चे के अंदर अनेक गुणों का विकास कर सकते हैं। जो आने वाले समय में उसके भविष्य निर्माण की नींव बन सकते हैं।
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