जब भी क्षत्राणियों की बात होती है तो हम जौहर को याद करते हैं। अधिकतर क्षत्राणियों ने जौहर कर अपने सतीत्व की रक्षा की और उन्होंने इसे बहुत ही पवित्र माना, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतिहास की एक रानी ऐसी भी थीं जिन्होंने जौहर करने से इंकार कर दिया था और उसे गलत बताया था? नहीं-नहीं यहां आपको किसी बात से आपत्ति हो इससे पहले मैं आपको बता दूं कि यहां जौहर को गलत इसलिए कहा गया था क्योंकि वो रानी सिर्फ अपने सतीत्व की नहीं बल्कि अपनी मातृभूमि की रक्षा करना चाहती थी।
भारत का इतिहास कई वीरांगनाओं के किस्सों से समृद्ध है जो अपनी मातृभूमि के लिए शहीद हुई हैं। ऐसी ही एक रानी के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं। ये रानी हैं चित्तौड़गढ़ की रानी जवाहर बाई राठौर। युद्ध स्थल में इनकी हुंकार सुन कई क्षत्राणियों ने अपने-अपने हाथों में तलवार उठा ली थी।
रानी जवाहर बाई दरअसल चित्तौड़ के शासक विक्रमादित्य की पत्नी थीं। उनकी सास रानी कर्णावती की वीरता की कहानी भी बहुत बार सुनाई जाती है जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ से कई बार युद्ध को टालने की कोशिश की थी। रानी जवाहर बाई के पति विक्रमादित्य चित्तौड़ के सबसे विफल राजाओं में से एक माने जाते हैं।
रानी जवाहर बाई राठौर युद्ध कला जानती थीं और वो कई मामलों में एक कुशल गृहणी के तौर पर काम भी करती रही हैं।
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जैसा कि हमने बताया महाराणा विक्रमादित्य को चित्तौड़ के इतिहास का सबसे कमजोर राजा माना जाता है।(चित्तूर शहर के बारे में कितना जानते हैं आप?)
इतिहास में उन्हें कायर भी कहा जाता है और साथ ही साथ उन्हें कम बुद्धि वाला भी माना जाता है। ऐसे में उन्होंने अपने आचरण के साथ आस-पास के सामंतों और सरदारों से बैर ले लिया। उनके साथी कम रहे और चित्तौड़ को अकेला कर दिया।
ऐसे में एक बार तो महारानी कर्णावती के कारण युद्ध टल गया, लेकिन चित्तौड़ पर खतरा हमेशा बना रहा। चित्तौड़ से नाराज़ कुछ सरदार बहादुर शाह जफर से मिल गए। चित्तौड़ में दोबारा आक्रमण हुआ और उसके बाद महारानी कर्णावती ने अन्य क्षत्राणियों के साथ जौहर करने के बारे में सोचा। इसके पहले महारानी कर्णावती ने अन्य सामंतों और सरदारों को चित्तौड़ की रक्षा के लिए बुलाया था। कुछ आए पर बहादुर शाह की सेना के आगे एक-एक करके राजपूती सैनिक वीरगति को प्राप्त होने लगे।(पृथ्वीराज चौहान और संयुक्ता की प्रेम कहानी)
ऐसे में सभी क्षत्राणियों ने जौहर की चिता सजा ली और आग की लपटें आसमान छूने लगीं। तभी रानी जवाहर बाई राठौर ने सभी क्षत्राणियों से आह्वान किया कि जौहर करने पर हम सिर्फ अपने सतीत्व की रक्षा कर पाएंगे, लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें आगे बढ़ना होगा। जो महिलाएं लड़ सकती हैं उन्हें लड़ना चाहिए और हमें अगर मरना ही है तो हम युद्ध भूमि में शत्रु का सिर काटकर मरेंगे। महारानी कर्णावती को भी ये बात पसंद आई, लेकिन उनका कहना था कि इनमें से कई महिलाएं गर्भवती हैं और कई लड़ने में असमर्थ।
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ऐसे में जो वीरांगनाएं लड़ सकती थीं उन्होंने लड़ने का फैसला लिया और अन्य क्षत्राणियों ने जौहर किया।
जब महल के द्वार खुले तो मर्दाना वेश में कई वीरांगनाएं तलवारें लिए दुश्मनों के सामने कूद पड़ीं। इन वीरांगनाओं ने लड़ते-लड़ते वीरगति प्राप्त की और अपने सतीत्व के साथ-साथ मातृभूमि की भी रक्षा की।
देश के इतिहास में ऐसी कई वीरांगनाओं की कहानियां हैं जिन्हें कमजोर नहीं माना जा सकता। हमारे देश के समृद्ध इतिहास में ये महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने अपने कर्म को आगे रखा। आपका रानी जवाहर बाई की वीरता को लेकर क्या संदेश है हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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