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कैसे फ्रांस से अमेरिका पहुंची Statue Of Liberty? 139 साल पुरानी कहानी यहां जानें

ब्राजील के गुआइबा शहर में तेज तूफान आने के कारण स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी गिर कर टूट गई। ये मूर्ति यूनाइटेड स्टेट्स के न्यूयार्क शहर में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की रेप्लिका थी। यहां हम आपको Statue Of Liberty का पूरा इत‍िहास बताने जा रहे हैं।
Editorial
Updated:- 2025-12-17, 11:48 IST

अमेर‍िका की बात‍ जब होती है तो हमेशा हमारे मन में बड़ी-बड़ी ब‍िल्‍ड‍िंग्‍स के ही ख्‍याल आते हैं। इसके अलावा Statue Of Liberty को भला कैसे ही कोई भूल सकता है। अमेरिका में 26 अक्टूबर, 1886 को सैकड़ों-हजारों लोगों की मौजूदगी में इस स्टैच्यू का अनावरण हुआ था। इसे देखने के ल‍िए लाखों लोग आते थे। ब्राजील के गुआइबा शहर में तेज तूफान आने के कारण 40-मीटर ऊंची Statue of Liberty गिर गई।

ये मूर्ति यूनाइटेड स्टेट्स के न्यूयार्क शहर में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की रेप्लिका है। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि अमेरिका की पहचान और आजदी का बड़ा प्रतीक भी मानी जाती रही है। आज हम आपको इसके पूरे इति‍हास के बारे में बता रहे हैं। आइए जानते हैं-

history of statue of liberty (1)

फ्रांस का तोहफा थी ये मूर्ति

फ्रांस ने अमेरिका को आजादी की याद में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी तोहफे में दी थी। अमेरिका को ब्रिटेन से आजादी 4 जुलाई 1776 को मिली थी। इसी दोस्ती और आजादी के जश्‍न में फ्रांस ने स्‍टैच्‍यू ऑफ ल‍िबर्टी बनाने का फैसला किया था।

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क‍िसने क‍िया था ड‍िजाइन?

इस मूर्ति को फ्रांस के फेमस मूर्तिकार फ्रेडरिक ऑगस्टे बार्थोल्डी ने डिजाइन किया था। इसके अंदर की लोहे की मजबूत बनावट फेमस इंजीनियर गुस्ताव आइफिल ने तैयार की। ये वही हैं जिनका नाम Eiffel Tower से भी जुड़ा है। स्‍टैच्‍यू को भले ही फ्रांस में बनाया गया हो, लेक‍िन इसे लगाने के लिए अमेरिका को न्यूयॉर्क के लिबर्टी आइलैंड पर चबूतरा बनाना था।

टुकड़ों में भेजी गई थी मूर्ति

ये मूर्ति इतपनी बड़ी थी क‍ि इसे एक बार में भेजना नामुमक‍िन था। इसल‍िए फ्रांस ने 350 टुकड़ों में और 214 बड़े बक्सों में भरकर जहाज से अमेर‍िका भेजा था।

1886 में हुआ अनावरण

चबूतरा तैयार होने के बाद 28 अक्टूबर 1886 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का अनावरण किया था। उसी द‍िन से ये अमेर‍िका की पहचान बन गई। ये मूर्ति आजादी का संदेश्‍र देती है।

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  • हाथ में मशाल ल‍िए से स्‍टैच्‍यू आजादी और उम्मीद की रोशनी द‍िखाती ह‍ै
  • दूसरे हाथ में पट्टिका है, ज‍िस पर 4 जुलाई 1776 लिखा है, ये अमेरिका की आजादी की तारीख है
  • सिर पर सात किरणें बनी हुई हैं जो दुनिया के सात महाद्वीप और सात समुद्र हैं
  • पैरों में बनी टूटी जंजीरें गुलामी से मुक्ति का संकेत है

history of statue of liberty (2)

क्यों खास है स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी

करीब 139 साल पुरानी ये मूर्ति आजादी, लोकतंत्र और नए अवसरों की उम्मीद का प्रतीक मानी जाती है। यही वजह है कि दुनिया भर से लोग इसे देखने न्यूयॉर्क पहुंचते हैं। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का पूरा नाम लिबर्टी एनलाइटिंग द वर्ल्ड है। ये नाम रोमन देवी लिबर्टस के नाम पर रखा गया है। इसे बनाने में 2.50 लाख अमेरिकी डॉलर की लागत आई थी। ये मूर्ति इतनी ऊंचाई पर है क‍ि इसके सिर तक पहुंचने के ल‍िए अंदर से 354 सीढ़ि‍यां बनाई गई थीं।

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Image Credit- Freepik

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