करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियां रखती हैं और इस पर्व को सुहाग का उत्सव भी माना जाता है। परंपरागत रूप से, यह त्योहार हिंदू विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म में अविवाहित लड़कियों का करवा चौथ व्रत रखना असामान्य और अस्वीकार्य माना जाता है, लेकिन आजकल एक प्रचलित रिवाज की वजह से अब भारतीय समाज द्वारा करवा चौथ पर देवी पार्वती की पूजा करने वाली लड़कियों को उनकी मनोकामनाओं के अनुसार वर पाने के लिए इस व्रत की अनुमति दी जाने लगी है। ऐसा कहा जाता है कि अगर अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की कामना रखती हैं, तो वह करवा चौथ का व्रत अवश्य करें। इसके अलावा कुछ लड़कियां अपने प्रेमी या फिर अपने मंगेतर के लिए भी विवाह से पूर्व इस व्रत को करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। हालांकि शास्त्रों में कुंवारी लड़कियों के लिए व्रत करने का कोई नियम नहीं बताया गया है। यदि आपकी शादी नहीं हुई है और आप इस व्रत को करना चाहती हैं तो ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें इसके नियमों के बारे में विस्तार से।
आरती दहिया जी बताती हैं कि कुंवारी लड़कियां और ऐसी लड़कियां जिनका विवाह तय हो गया है वो करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं। लेकिन उन्हें भी करवा चौथ के कुछ नियमों का पालन करते हुए ही व्रत का पालन करना चाहिए जिससे उन्हें पूजा का पूर्ण फल मिल सके। विवाह से पूर्व व्रत रखने के कुछ नियम अलग होते हैं।
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ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियों को निर्जला रखना चाहिए, इसका मतलब हुआ कि उन्हें व्रत के दौरान पानी भी नहीं पीना चाहिए। लेकिन यदि आपका विवाह नहीं हुआ है और आप व्रत रख रही हैं, तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि व्रत के दौरान पानी जरूर पिएं और फलाहार का सेवन भी करें। हालांकि आपको पूरे दिन अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
करवा चौथ के व्रत में सुहागिनों के लिए सरगी का अलग ही महत्त्व है क्योंकि ये उनके ससुराल से आती है। मुख्य रूप से सास इस सरगी में सुहाग का सामान और खाने की चीज़ें रखकर बहू को देती है। यह करवा चौथ के दौरान पालन की जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण रस्म है। लेकिन जब तक आपका विवाह नहीं हुआ है और आप प्रेमी या भावी पति के लिए उपवास कर रही हैं, तो ये नियम आपके लिए अनिवार्य नहीं है।
करवा चौथ के व्रत में छलनी से चांद देखने की एक विशेष परंपरा है। लेकिन यदि आप अविवावहित हैं और करवा चौथ व्रत का पालन कर रही हैं तो छलनी से चांद न देखें और नियम के अनुसार आपको तारों को ऐसे ही जल देकर पूजा करनी चाहिए और व्रत खोलना चाहिए। दरअसल, चंद्रमा को देखकर व्रत पूरा करने का नियम केवल सुहागन महिलाओं के लिए है और इसी संदर्भ में वराह पुराण में द्रौपदी की कथा भी प्रचलित है।
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यदि आप अविवाहित हैं और अच्छे पति की कामना में करवा चौथ का व्रत करती हैं तो आपको इस दिन मुख्य रूप से माता पार्वती की भगवान् शिव समेत पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भी शिव जी को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इसलिए भगवान् शिव और माता पार्वती का साथ में पूजन मुख्य रूप से फलदायी होता है। अविवाहित लड़कियां करवा चौथ के दिन माता पार्वती एवं भगवान् शिव की पूजा करें तथा कथा सुनें। पूजन के दौरान एक मिट्टी का कलश जल भर कर अपने समक्ष रख कर कथा पूजन करें।
करवा चौथ में एक प्रचलित रिवाज़ है थाली घुमाने का, जो कि सुहागिनों के लिए एक मुख्य रस्म है। लेकिन अविवाहित लड़कियों के लिए इस रिवाज को करना पूरी तरह से वर्जित माना जाता है। अविवाहित लड़कियों को पूजन के दौरान थाली नही घुमानी चाहिए बल्कि केवल अपने करवे पर ही पूजन करना चाहिए।
उपर्युक्त सभी नियमों का पालन करते हुए ही अविवाहित लड़कियों को करवा चौथ का व्रत और पूजन करना चाहिए। जिससे उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति हो और भावी जीवन खुशियों से भर जाए।
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