करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं। यही नहीं इस दिन चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलने का विधान होता है। ऐसे में अक्सर हम महिलाओं के मन में एक यह सवाल भी उठता है कि अगर किसी महिला ने बच्चे को जन्म दिया हो और सोबड़ यानी प्रसवोपरांत अवस्था में करवा चौथ का व्रत रखना शुभ है या अशुभ? यह वो समय होता है जब महिलाओं का शरीर कमजोर होता है और क्योंकि वो शिशु को स्तनपान कराती है इसलिए उसे ज्यादा पोषण की जरूरत होती है। ऐसे में अगर हम सेहत की दृष्टि से देखें तो करवा चौथ या कोई भी व्रत नहीं करना चाहिए। वहीं ज्योतिष में इस बात को लेकर क्या नियम बनाए गए हैं इसकी जानकारी के लिए हमने ज्योतिषाचार्य राधे शरण शास्त्री जी से बात की। आइए उनसे जानें कि सोबड़ काल में करवा चौथ व्रत या इसकी पूजा करना ठीक है या नहीं?
करवा चौथ का व्रत न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व रखता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है जिसका पालन हर एक सुहागिन महिला करती है। यह व्रत पति और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन किया गया निर्जला व्रत और चंद्रमा का पूजन वैवाहिक जीवन में खुशहाली ला सकता है। इस व्रत के दौरान महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला रहती हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं। इस दिन किए गए उपाय और पूजा विधि जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।
सोबड़ का मतलब होता है प्रसव के तुरंत बाद की अवस्था। जिस समय महिला ने बच्चे को जन्म दिया होता है उससे कम से कम 10 दिन तक सोबड़ काल चलता है। इस दौरान महिलाओं के लिए पूजा-पाठ की भी मनाही होती है। इस समय महिला का शरीर पूरी तरह से रिकवरी के दौर में होता है और शारीरिक कमजोरी, ऊर्जा की कमी और हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसे समय में महिलाओं को पूरी तरह से आराम करने की सलाह दी जाती है जिससे उनकी सेहत पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े। इसी वजह से उन्हें धार्मिक कार्यक्रमों से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है।
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ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, जिस समय महिला ने बच्चे को जन्म दिया हो उस समय करवा चौथ या कोई भी व्रत करना शारीरिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। चूंकि करवा चौथ का व्रत निर्जला होता है, इसमें भोजन और पानी का पूर्ण परहेज होता है। सोबड़ के दौरान यह शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यही नहीं धार्मिक दृष्टि से भी इस दौरान यह व्रत न करने की सलाह दी जाती है। अगर आप किसी वजह से व्रत करती भी हैं तो आपको इस दिन निर्जला उपवास न करके फलाहार का सेवन करते हुए व्रत करना चाहिए और इस अवधि में करवा चौथ की पूजा नहीं करनी चाहिए।
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यदि महिला की शारीरिक स्थिति कमजोर है या डॉक्टर ने उसे पूर्ण रूप से आराम करने और पोषक तत्वों से युक्त भोजन की सलाह दी है तो व्रत न करना ही ठीक माना जाता है। कई ज्योतिष ग्रंथों में यह सुझाव दिया गया है कि प्रसव के ठीक बाद महिलाएं करवा चौथ का व्रत आंशिक रूप से या सापेक्ष व्रत रख सकती हैं। जैसे पानी पीकर व्रत करना, व्रत के दौरान फलाहार या हल्का भोजन करना, यदि स्थिति ठीक न हो तो व्रत न करना ही उचित होता है।
ज्योतिष और सेहत दोनों के लिहाज से यदि आपने जल्द ही बच्चे को जन्म दिया है और सोबड़ काल में करवा चौथ का व्रत पड़े तो आपको यह व्रत नहीं करना चाहिए, ऐसा करना शिशु और मां दोनों की सेहत के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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