हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, मगर सब में से प्रमुख देवों के देव महादेव यानि भगवान शंकर के भक्तों की सूची लंबी है। शायद यही वजह है कि देश-विदेश में भगवान शिव के कई धाम हैं, जहां शिवलिंग के रूप में उनके भक्तों को भव्य दर्शन मिलते हैं। देश में ऐसे 12 स्थान हैं, जहां मौजूद शिवलिंग को सबसे प्रमुख बताया गया है। इन्हीं में से एक है केदारनाथ के मंदिर में विराजमान भगवान शिव की शिवलिंग।
यह मंदिर इस लिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि वर्ष 2013 में आई भयंकर प्राकृतिक विपदा में, जहां केदारनाथ और आस-पास की हर चीज नष्ट हो गई थी, वहीं इस मंदिर और मंदिर के अंदर की शिवलिंग को जरा सी आंच भी नहीं आई थी। इस वर्ष 16 जून को इस त्रासदी को 9 वर्ष पूरे हो जाएंगे।
विपदा में हुए विनाश की भरपाई तो कभी नहीं की जा सकती है, मगर हम आपको बताएंगे कि केदारनाथ धाम में मौजूद शिवलिंग का महत्व क्या है।
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क्या शिवलिंग का महत्व?
केदारनाथ धाम की कहानी वर्षों पुरानी है, इस धाम का इतिहास महाभारत से शुरू से हुआ था। महाभारत की कहानी तो सभी को ज्ञात है। पांडवों और कौरवों के मध्य हुए युद्ध में जीत पांडवों की हुई थी। मगर अपने भाइयों की हत्या करने के बाद पांडवों को इस पाप से मुक्ति पानी थी। इसके लिए पांडव भगवान शिव की तलाश में काशी से हिमालय तक पहुंच गए। मगर भगवान शिव पांडवों से नाराज थे और वह पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे, जब पांडवों ने भगवान शिव से मिलने की जिद ठान ली तब भगवान शिव का बैल पांडवों से लड़ने के लिए पहुंच गया और भीम ने बैल का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह देखने के बाद बैल के सिर से भगवान शिव प्रकट हुए और पांडवों को क्षमा कर दिया, साथ ही भगवान शिव ने पांडवों को स्वर्ग का मार्ग भी दिखाया। इसलिए कहा जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन करने के बाद मनुष्य को मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
केदारनाथ है अर्धज्योतिर्लिंग
ऐसा कहा जाता है कि केदारनाथ में मौजूद ज्योतिर्लिंग आधी है और इसे पूर्ण बनाती है नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की शिविलिंग। ऐसा भी कहा जाता है कि केदारनाथ का मंदिर सबसे पहले पांडवों ने बनवाया था, मगर ठंडा स्थान होने की वजह से यहां बना मंदिर और शिवलिंग दोनों ही बर्फ के नीचे दब गए थे। इसके बाद इस मंदिर का निर्माण आदिशंकराचार्य ने भी करवाया था। मंदिर के पीछे ही आदिशंकराचार्य ने समाधि भी ली थी। इसके बाद 10वीं शताब्दी में मालवा के राजा भोज ने इस मंदिर को दोबारा बनवाया।
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6 माह तक नहीं खुलता है मंदिर का द्वार
ऐसा कहा जाता है कि खराब मौसम के कारण केदारनाथ धाम 6 माह तक भक्तों के लिए बंद रहता है। इस दौरान मंदिर के पंडित भगवान के स्वरूप विग्रह और दंडी को नीचे ले जाते हैं और मंदिर के अंदर ऐसी व्यवस्था की जाती है कि 6 माह तक अखंड दीपक जलता रहे। आश्चर्य की बात तो यह है कि दीपक जलता हुआ ही मिलता है।
आपको बता दें कि 16 जून 2013 में केदारनाथ धाम में बादल फट जाने से भारी बाढ़ आ गई थी और इस वजह से यह नगरी पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। बहुत सारे भक्तों के जीवन का अंत हो गया था और आजतक इस त्रासदी के निशान इस मंदिर के आस-पास आपको देखने को मिल जाएंगे।
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