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National Unity Day: 31 अक्टूबर को ही क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय एकता दिवस? जानें इस दिन से जुड़ा इतिहास

हर साल 31 अक्टूबर को एकता दिवस मनाया जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, यह दिन एकता की भावनाओं को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय अखंडता बनाए रखने के लिए मनाया जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-10-30, 16:05 IST

National Unity Day: हर साल 31 अक्टूबर को नेशनल यूनिटी दिवस, जिसे हिंदी भाषा में राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहा जाता है, बड़े धूमधाम से मनाते हैं। बता दें कि 31 अक्टूबर के दिन ही सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती भी मनाई जाती है। भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को चिन्हित करने के लिए 2014 से यूनिटी दिवस की शुरुआत हुई। इस साल यानी 2025 में हम सेनानी वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहे हैं। बता दें कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने 562 रियासतों का एकजुट किया था, तब जाकर भारत को एक राष्ट्र बनाया था। इसी कारण उनकी जयंती के मौके पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाते हैं।

एकीकरण के लिए जाने जाते हैं सरदार वल्लभभाई पटेल

बता दें कि हमारे देश में न जाने कितने धर्म, जाति, भाषा, सभ्यता, संस्कृतियां आदि जो अपना इतिहास लिए बैठे हैं। ऐसे में भारत इन सभी की एकता को बनाए हुए हैं।

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ऐसे में राष्ट्र की एकता को स्थापित करने के लिए भारत की सरकार ने 2014 में राष्ट्रीय एकता दिवस का प्रस्ताव रखा। ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि सरदार वल्लभभाई पटेल एकीकरण के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में उनकी जयंती पर यदि एकता दिवस मनाया जाए तो कितना अच्छा है।

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लौह पुरुष की एक विशाल मूर्ति का निर्माण

भारत सरकार ने गुजरात में नम्रता नदी के पास भारत के लौह पुरुष की एक विशाल मूर्ति का निर्माण (statue of liberty) भी किया है, जिससे हमारे देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल के संघर्षों और बलिदानों को याद किया जा सके। बता दें कि इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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साथ ही सेमिनार और वेबीनार भी आयोजित होते हैं। जब देश आजाद हुआ तो उसके बाद सरदार पटेल न केवल उप प्रधानमंत्री बने बल्कि गृह मंत्री भी बने थे। इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। वहीं, इनका निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ था। इन्हें भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया है।

नेतृत्व और अनुशासन के लिए जाने जाते थे पटेल

बचपन से ही पटेल नेतृत्व और अनुशासन के लिए जाने जाते थे। अपनी मेहनत और लगन से कानून की पढ़ाई पूरी करके एक सफल वकील बने। इन्होंने न केवल किसानों के लिए बल्कि मजदूरों और आम जनता के अधिकारों के लिए भी बेहद संघर्ष किया। साथ ही इन्होंने देश को राजनीति का असली मतलब भी समझाया। 

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Images: Freepik/pinterest

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