भारत में मौजूद हर शहर, राज्य और जिले का अपना अलग ही इतिहास रहा है, जिन्हें एक संघर्ष और बलिदान के बाद गाढ़ा गया है। इसलिए हिंदुस्तान का हर राज्य चाहे वो मध्य प्रदेश हो या फिर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात आदि की अपनी एक अलग कहानी है। अगर हम इन राज्यों के इतिहास से रूबरू होंगे, तो कई तरह के साम्राज्यों के बारे में जानेंगे।
ऐसी ही दिल्ली पर राज करने वाले सुल्तान इब्राहिम लोदी का साम्राज्य का इतिहास भी काफी रोचक रहा है। कहा जाता है कि सुल्तान दिल्ली के आखिरी सुल्तान थे जिन्होंने अफगानिस्तान से आकर दिल्ली में राज किया था।इन्होंने दिल्ली पर कई सालों तक राज किया था, फिर मुगलों ने सुल्तान को हरा दिया था।
कहा जाता है कि इब्राहिम लोदी की सल्तनत काफी प्रभावशाली थी, लेकिन आज हम आपको सुल्तान इब्राहिम लोदी के हरम और इसमें काम करने वाली दासियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। वैसे तो इब्राहिम लोदी पर कई तरह की किताबों को लिखा गया है, लेकिन 'History of the Reign of the Lodi Family' में विस्तार से बताया गया है।
हरम एक शाही कमरा या महल होता था, जहां खास महिलाएं या बेगम स्थाई रूप से रहा करती थीं। यानी महल में शाही महिलाओं के लिए रहने की अलग से कमरों की व्यवस्था करना को हरम कहा जाता था।
बता दें कि हरम अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है एक छुपा हुआ कमरा जहां पुरूषों को आने की इजाजत नहीं थी। अब हरम सुल्तान का हो या फिर मुगलों का..महिलाओं को ही रखा जाता था। (हुमायूं की सबसे पसंदीदा बेगम)
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सुल्तान इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत के आखिरी राजा थे। कहा जाता है कि वो सिकंदर लोदी के बेटे थे, जिनकी मृत्यु के बाद इब्राहिम लोदी को गद्दी दे दी गई थी। पंजाब के राज्यपाल दौलत खान लोदी ने इब्राहिम को उखाड़ फेंकने के लिए बहुर को आमंत्रित किया था। इस वक्त ग्वालियर पर कब्जा कर लिया और मेवाड़ के राणा सांगा से हार गया था।
बता दें कि इब्राहिम लोदी का जन्म 1480 दिल्ली में हुआ था और 21 अप्रैल 1526 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। इसके बाद से ही मुगलों का साम्राज्य शुरू हुआ था। (जानें 'मैसूर के शेर' टीपू सुल्तान के बारे में कुछ रोचक तथ्य)
कहा जाता है कि हरम शाही महिलाओं के लिए बनवाया जाता था। इसलिए हरम के अंदर पुरुष या फिर किसी बाहर के आदमी को जाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए हरम में महिलाओं की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता था।
हरम की रखवाली करने के लिए किन्नरों की नियुक्ति की जाती थी। किन्नर हरम का न सिर्फ शाही महिलाओं की देखरेख करते थे बल्कि सारा काम भी देखते थे। (चांदी सी चमकेगी मुगलों की यह दरोहर, जुड़ी हैं कई रोचक बातें)
सुल्तान के हरम में बेगम और तमाम तरह की महिलाएं रहती थीं, लेकिन दासियों को ठूंस-ठूंस के खिलाया जाता था। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों है? क्योंकि सुल्तान के हरम का ये काफी प्रचलित रिवाज था कि दासियों को अपना वजन 150 किलो तक बढ़ाने का आदेश था।
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वजन बढ़ाने के लिए दासियों को खूब भर-भरकर खिलाया जाता था। हरम की महिलाओं के लिए स्पेशल फूड बनाया जाता था। इतिहासकारों के अनुसार इब्राहिम सुल्तान को अपने हरम की महिलाएं खास पसंद नहीं आईं। मगक कहा जाता है कि सुल्तान का दिल 230 किले वाली महिला पर आया था।
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