मंत्रोच्चारण करते समय इन नियमों का रखें ध्यान

अगर आप ईश्वर की आराधना करते हुए मंत्रोच्चारण कर रही हैं तो ऐसे में आपको कुछ छोटी-छोटी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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ईश्वर की आराधना करने से लेकर अपने मन को शांति प्रदान करने का सबसे आसान तरीका है मंत्रोच्चारण करना। इसकी मदद से आप अपनी चेतना को ईश्वर से जुड़ी हुई महसूस कर सकते हैं और असीम शांति का अनुभव कर सकते हैं। आमतौर पर, मंत्र जाप तीन तरह का होता है- वाचिक जाप, उपांशु जाप और मानसिक जाप। ये तीनों ही तरह के जाप व्यक्ति को ईश्वर से जोड़ने में मदद करते हैं और उनके मन को केन्द्रित करते हैं।

हालांकि, जब मंत्रोच्चारण करते हैं तो उसका पूरा लाभ उठाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि कुछ नियमों का विशेष तौर पर पालन किया जाए। जी हां, जब आप किसी शांत स्थान पर शुद्ध होकर मंत्रोच्चारण करते हैं तो इससे आपको अतिरिक्त लाभ मिलता है। तो चलिए आज इस लेख में आचार्य विकास शास्त्री जी आपको कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको मंत्रोच्चारण करते समय विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए-

जमीन पर ना बैठें

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कुछ लोग सीधा जमीन पर बैठकर ही मंत्रोच्चारण करना शुरू कर देते हैं। जबकि मंत्रोच्चारण हमेशा किसी आसन पर बैठकर ही किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, यह भी ध्यान रखें कि मंत्रोच्चारण से पहले आप उस स्थान को अवश्य साफ करें। साथ ही साथ, आपका आसन भी साफ होना चाहिए। मंत्रोच्चारण के बाद हमेशा आसन को उठाकर सही स्थान पर रखना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करें कि आसन को कभी भी पैर से नहीं उठाना चाहिए।

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शुद्ध होकर ही करें मंत्रोच्चारण

मंत्र जाप से पहले व्यक्ति को शुद्धि पर भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि आप पहले दैनिक क्रिया से निवृत्त हो जाएं और फिर स्नान करके व धुले हुए साफ कपड़े पहनकर ही मंत्रोच्चारण करें। मंत्रोच्चारण करते समय किसी शांत जगह का चयन करें। इससे आपके लिए ध्यान केन्द्रित करना अधिक आसान हो जाता है।

सही हो माला

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मंत्रोच्चारण करते समय जाप करने के लिए माला का इस्तेमाल करना अच्छा रहता है। इतना ही नहीं, माला का इस्तेमाल करते समय आपको यह भी देखना चाहिए कि आप किस देव की पूजा कर रहे हैं। यूं तो जाप करने के लिए तुलसी की माला सबसे उत्तम मानी जाती है, लेकिन विशेष रूप से इष्ट को ध्यान में रखकर माला का चयन किया जाए तो इससे कार्य जल्दी सिद्ध होते हैं।

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मसलन, भगवान शंकर के लिए रूद्राक्ष, देवी लक्ष्मी जी के लिए कमलगट्टे की माला, भगवान विष्णुके लिए हल्दी की माला से जाप करना अच्छा माना जाता है। ठीक इसी तरह, चंद्रमा के लिए मोती की माला, सूर्य देव के लिए माणिक या गुलाबी रंग या लाल चंदन की माला, राहु की शांति के लिए चंदन की माला, केतु के लिए अश्वगंधा के पौधे से बनी माला, बुध के लिए तुलसी की माला और शुक्र के लिए स्फटिक की माला से जाप करना बेहतर रहता है।

समय का रखें ध्यान

आप मंत्र जाप करते हुए समय का भी विशेष रूप से ध्यान रखें। समय के अनुसार ही आपकी बैठने की स्थिति होनी चाहिए। मसलन, अगर आप प्रातः काल मंत्र जाप कर रहे हैं तो आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। वहीं, अगर सांयकाल में आप मंत्र जाप कर रहे हैं तो ऐसे में आपका मुख पश्चिम दिशा में हो तो अधिक अच्छा रहता है।

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Image Credit- freepik

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