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आरबीआई ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, जानिए ये कदम आपके लिए क्यों है इतना खास

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष&nbsp; 2023-24 में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव न करने का फैसला किया है। चलिए जानते हैं कि आपके लिए यह फैसला कैसे खास है।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-06-08, 15:28 IST

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वित्त वर्ष  2023-24 में कोई भी बदलाव न करने का फैसला किया है  यानी ये 6.5 फीसदी पर स्थिर रहेगी और ईएमआई भरने वालों पर बोझ नहीं बढ़ेगा। आरबीआई के इस फैसले पर हमने बात की है फाइनेंस एक्सपर्टभानु पाठक से। चलिए आपको बताते हैं कि यह फैसला आपके लिए क्यों इतना खास है। 

रेपो रेट क्या होता है?

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रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में बढ़ोतरी देखने को मिलता है। यह फैसला आपके लिए इसलिए है खास-

ईएमआई और होम लोन पर असर 

finance expert on repo rate

यदि रेपो रेट में कोई बदलाव न होने के कारण होम लोन और अन्य लोन पर ब्याज दरें भी स्थिर रह सकती हैं। इस महंगाई के दौर में सस्ती घरों की ब्रिकी पर इसका सीधा असर भी देखने को मिलेगा। यह मध्यम वर्ग के उन व्यक्तियों के लिए अच्छा फैसला साबित हो सकता है, जिन्होंने लोन लिया है या लोन लेने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि इसका मतलब है कि उनकी समान मासिक किस्त (ईएमआई) तुरंत नहीं बढ़ेगी। फाइनेंस एक्सपर्ट और फाइनेंस इंफ्लुएंसर भानु पाठक के अनुसार, रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी के कारण कम या मध्यम आय वर्ग के लिए घर खरीदना मुश्किल हो गया था लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले से ग्राहकों की बढ़ती ईएमआई की चिंता दूर होगी और इससे रियल एस्टेट सेक्टर को भी राहत मिलेगी। 

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उधार लेने की लागत (बोर्रोविंग कॉस्ट)

मध्यवर्गीय भारतीय जो शिक्षा, वाहन, या व्यक्तिगत जरूरतों जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए लोन पर निर्भर रहते हैं उनके लिए उधार लेने की लागत में यानी बोर्रोविंग कॉस्ट में बहुत अधिक वृद्धि नहीं होगी। इससे उनके लिए क्रेडिट कार्ड उपयोग करना और अपने वित्त का प्रबंधन करना आसान हो सकता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट रेट 

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रेपो रेट से बैंक द्वारा दिए जाने वाले इंटरेस्ट रेट पर भी असर पड़ता है। जब रेपो रेट स्थिर रहता है, तो इसका मतलब है कि एफडी दरों में बहुत वृद्धि नहीं हो सकती है। हालांकि इस फैसले के कारण यह उन लोगों को निराशा हो सकती है जो अपनी बचत पर अधिक रिटर्न की तलाश कर रहे हैं, इसका मतलब यह भी है कि मौजूदा एफडी धारकों को ब्याज आय में अचानक गिरावट का अनुभव नहीं होगा। 

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महंगाई पर नियंत्रण होगा

आरबीआई के इस फैसले को महंगाई पर नियंत्रण करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। ब्याज दरों को स्थिर रखते हुए, केंद्रीय बैंक का उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करते हुए आर्थिक विकास को संतुलित करना है। यह आम मध्यमवर्गीय भारतीय के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह उनकी आय की पर्चेजिंग पावर को बनाए रखने में मदद करती है और लीविंग कॉस्ट को भी स्थिर रखती है।

आर्थिक स्थिरता

एक स्थिर रेपो रेट केंद्रीय बैंक की आर्थिक स्थिति पर भी भरोसे को दर्शाता है। मध्यम वर्ग के लिए आर्थिक स्थिरता आम तौर पर सकारात्मक होती है, क्योंकि यह नौकरी की सुरक्षा, आय वृद्धि और व्यापार स्थिरता का समर्थन करती है।

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Image Credit- ani 

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