Rangbhari Ekadashi Or Amlaki Ekadashi 2023: फाल्गुन माह को रंगों का महीना कहा जाता है। इसी कारण से फाल्गुन माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल रंगभरी एकादशी 3 मार्च को मनाई जाएगी।
रंगभरी एकादशी को सुहाग की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन यह एक मात्र ऐसी एकादशी है जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।
ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आइये जानते हैं रंगभरी एकादशी के शुभ मुहूर्त, शुभ योग और महत्व के बारे में विस्तार से। साथ ही, रंगभरी एकादशी पर भद्रा काल के बारे में भी जानेंगे।
रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी 2023 कब है (Rangbhari Ekadashi or Amalaki Ekadashi 2023 Kab Hai)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 2 मार्च दिन, गुरुवार (गुरुवार के उपाय) को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से हो रहा है। तो वहीं, इसका समापन 3 मार्च, दिन शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रंगभरी एकादशी का व्रत 3 मार्च को रखा जाना है।
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रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी का पूजा मुहूर्त (Rangbhari Ekadashi Or Amalaki EkadashiKa Shubh Muhurat)
चूंकि इस एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। ऐसे में इस एकादशी का पूजा मुहूर्त भगवान शिव की नगरी काशी में शिव पूजन के हिसाब से तय होता है। लिहाजा इस दिन सुबह से ही भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और उन्हें रंग, अबीर, गुलाल आदि लगाना शुरू होगा।
रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी का शुभ योग (Rangbhari Ekadashi Or Amalaki Ekadashi Ka Shubh Yog)
रंगभरी एकादशी के दिन प्रातः काल से ही सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे जिहें पूजा करने के साथ-साथ पूजा-पाठ (पूजा-पाठ के जरूरी नियम) एक फल के लिए भी सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन सौभाग्य योग सुबह से शाम 6 बजकर 45 मिनट तक और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह से दोपहर के 3 बजकर 43 मिनट तक रहगा।
रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी पर भद्रा (Rangbhari Ekadashi Or Amalaki Ekadashi Par Bhadra Kal)
रंगभरी एकादशी के दिन भद्रा समय दो बार लगेगा। रंगभरी एकादशी के दिन भद्रा काल सुबह 6 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा जो धरती पर मान्य होगा वहीं, सुबह में 8 बजकर 58 मिनट तक भद्रा वास स्वर्ग में माना जाएगा। स्वर्ग में लगने से भद्रा अशुभ नहीं होगी।
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रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी का महत्व (Rangbhari Ekadashi Or Amalaki Ekadashi Ka Mahatva)
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने और उन्हें गुलाल आदि लगाने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। पति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और वैवाहिक जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। पति के साथ जीवन भरपूर प्यार के साथ बीतता है और संतान सुख भी प्राप्त होता है।
तो ये थी रंगभरी एकादशी से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Wikipedia
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