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Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

सनातन धर्म में सभी एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है और इसमें पूरे श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करने का विधान है।
Editorial
Updated:- 2022-06-06, 16:12 IST

हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार का अलग महत्व है। किसी भी व्रत को अलग ढंग से मनाया जाता है और उसमें भगवानों की भक्ति और पूजन करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी तिथि में किया गया पूजन भगवान को स्वीकार्य होता है। ऐसी भी तिथियों में से एक है एकादशी तिथि। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशी तिथियां पड़ती है। प्रत्येक माह में 2 एकादशी तिथियां पड़ती हैं।

इनमें से ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यतानुसार महाभारत में भीम ने भी इस व्रत को रखा था। भीम के व्रत रखने की वजह से ही निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी भगवान विष्णु की सबसे प्रिय एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ निर्जला व्रत रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. आरती दहिया जी से जानें इस साल कब है।

निर्जला एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

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इस साल ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी निर्जला एकादशी 10 जून, शुक्रवार के दिन पड़ेगी।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ- 10 जून, शुक्रवार, प्रातः 7:25
  • एकादशी तिथि समापन- 11 जून, शनिवार सुबह 5:45
  • पारण का समय- 11 जून, सुबह 5:45-8:10

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निर्जला एकादशी का महत्व

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  • सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन जल कलश का दान करके शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन प्यासे को पानी पिलाना चाहिए। इस दिन पशु पक्षियों के लिए दाना पानी रखने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • निर्जला एकादशी व्रत के दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र, छाता, चप्पल आदि दान करना चाहिए।
  • इस दिन बिस्तर का दान करना भी अच्छा माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन कपड़े, बिस्तर का दान करने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • इसके साथ ही तरबूज, खरबूजा, आम, केला आदि का भी दान किया जा सकता है। इससे आर्थिक, पारिवारिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या से मुक्ति मिलती है।
  • निर्जला एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने और भगवान् विष्णु का पूजन करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है।
  • यह एकादशी विवाह, सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करती है, साथ ही व्यक्ति मोह-माया के बंधनों से मुक्त करती है।
  • इस व्रत को करने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
  • यह व्रत करने से संतान सुख प्राप्त होता है और संतान पर कोई संकट नहीं आता है।
  • निर्जला एकादशी का व्रत करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

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कैसे किया जाता है व्रत और पूजन

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  • मान्यता है कि इस व्रत को जो भी विधि पूर्वक करता है उस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।
  • ऐसा माना जाता है कि निर्जला एकादशी के एक दिन पहले तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से या नहाने के पानी में गंगाजल (गंगाजल के उपाय) डालकर नहाने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
  • ऐसा माना जाता है कि जो इस एकादशी का व्रत करता है उसे इस दिन जल और अन्न दोनों ही ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • अगले दिन सुबह इसका पारण करना चाहिए। इस एक एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी एकादशी तिथियों में व्रत के समान फल मिल जाता है।

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इस प्रकार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत और पूजन करते हैं उन्हें पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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