नेपाल में 'दिवाली' पर होती है कुत्तों की पूजा, जानें इसके पीछे की अनोखी कहानी

पड़ोसी देश नेपाल में हमारे देश कीही तरह मनाई जाती है दिवाली लेकिन ये होती है कुत्तों की दिवाली, जानिए क्या है माजरा।

nepal celebrates dog diwali called kukur tihar main
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पूरे भारत में दिवाली बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। रोशनी का त्‍योहार है दिवाली, जहां दीयों की लौ दिलों को रोशन करती है। दिवाली एक ऐसा त्‍योहार है जिसे हमारे देश में हर राज्‍य, हर प्रांत में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। ये खुशियों से भरा का त्‍योहार है और लोग इसे हर्षों उल्‍लास के साथ मनाते हैं। पटाखों और दीयों की रोशनी से पूरा माहौल जगमगा उठता है। ले‍किन क्‍या आपको पता है कि हमारे देश से सटे हमारे पड़ोसी देश में भी दिवाली मनाई जाती है।

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जी हां, हम बात कर रहे है नेपाल की, यहां भी बड़े ही धूमधाम से दिवाली मनाई जाती है लेकिन एक बात है जो इनके यहां की दिवाली और हमारे यहां की दिवाली में अलग और अनोखी है। जी हां आपने सही सुना, यहां दिवाली काफी अनोखे तरीके से मनाई जाती है। आपको यह जानकर और भी आश्चर्य होगा की दिवाली के दिन यहां कुत्‍तों की दिवाली मनाई जाती है, यानि दिवाली वाले दिन यहां लोग कुत्तों की पूजाकरते है। तो आइए जानें इससे जुड़ी मान्‍यता और इसके शुरू होने पीछे की पूरी कहानी।

आपको बता दें कि नेपाल में दिवाली को 'तिहार' कहते हैं। ये बिल्कुल हमारे देश में मनाई जाने वाली दिवाली जैसी ही होती है, जिसमें दीयों से घर को रोशन किया जाता है। लेकिन नेपाल में दिवाली के अगले दिन भी दिवाली मनाई जाती है और इस त्‍योहार को 'कुकुर तिहार' कहते है। 'कुकुर तिहार' त्‍योहार के दिन लोग कुत्तों की पूजा करते हैं। आपको बता दें कि नेपाल में कुत्तों को काफी अहमियत दी जाती है। दरअसल, इसके पीछे यह मान्‍यता है कि जानवर और खासकर कुत्तों का इंसानों के जीपन में बहुत महत्‍व है और कुत्तों के इसी महत्व को बताने और दर्शाने के लिए यह त्योहार मनाया जाता है।

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अगर हिन्दू मान्यताओं की बात करें तो कुत्तों को यम देवता का संदेशवाहक माना जाता हैं। साथ ही, ऐसा भी माना जाता है कि कुत्ते मरने के बाद भी आपकी रक्षा करते हैं। महाभारत की प्रचलित कथा के अनुसार युधिष्ठिर ने अपने कुत्ते के बिना स्वर्ग में प्रवेश करने से मना कर दिया था।दिवाली में इन खास रंगों को पहनकर करेंगी पूजा तो मां लक्ष्‍मी होगीं प्रसन्‍न

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'कुकुर तिहार' के धार्मिक नियमों के अनुसार इस दिन सभी कुत्तों का आदर किया जाता है, उन्‍हें फूलों की माला पहनाई जाती है, माथे पर अबीर का लाल तिलक लगाया जाता है और उन्हें पूजा जाता है। टीका लगाते समय टीका में थोड़ा सा अक्षत और दही भी मिलाया जाता है, ये ठीक वैसा ही है जैसे इंसानों के साथ किया जाता है। पूजने के अलावा इस दिन कुत्तों को उनके पसंद का खाना भी खिलाया जाता है। इस तरह इस त्‍योहार को मनाते हुए लोग अपने कुत्तों के साथ हमेशा बने रहने की कामना करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि नेपाल में तिहार के 5 दिनों के दौरान सिर्फ कुत्‍तों की पूजा नहीं होती बल्कि इस दिन अन्‍य जानवरों को भी पूजा जाता है, जैसे कि गाय, कौआ, बैल इत्‍यादि।इस दिवाली गणेश-लक्ष्मी जी का आशीर्वाद पाने के लिए घर पर ना रखें ये 7 चीजें

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