शारदीय नवरात्रि में सभी भक्त माता दुर्गा के आगमन की तैयारी करने के साथ व्रत और उपवास भी करते हैं। इस दौरान पूरे 9 दिनों तक दुर्गा माता की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धा भाव से पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है और ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरे 9 दिनों तक उपवास के साथ अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन का विशेष विधान है। शास्त्रों में भी कन्या पूजन का विशेष महत्त्व बताया गया है और ऐसी मान्यता है कि इस दौरान किया गया कन्या पूजन पूर्ण रूप से माता दुर्गा को स्वीकार्य होता है और इससे भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि जितना महत्त्वपूर्ण कन्या पूजन करना है उससे ज्यादा सही विधि से इस शुभ कार्य को करना है। इसलिए कन्या पूजन की सही विधि और इसे करने का तरीका सभी भक्तों को जरूर जान लेना चाहिए। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने की सही विधि क्या है और इसका क्या महत्व है।
पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप 9 दिनों तक व्रत और उपवास करते हैं , कलश की स्थापना करते हैं या फिर श्रद्धा भाव से माता दुर्गा की पूजा करते हैं तो आपको कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से ही मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि कन्या पूजन के बिना व्रत और उपवास अधूरा होता है और मां प्रसन्न नहीं होती हैं। वैसे तो यदि आप हर एक दिन किसी एक कन्या का पूजन करें तो ये अत्यंत लाभदायक होता है लेकिन यदि आप ऐसा न भी करें तब भी आपको नवमी तिथि में कन्या पूजन जरूर करना चाहिए।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान 2 साल से 9 साल की उम्र तक की कन्याओं का पूजन करना चाहिए। इस उम्र की कन्याओं को तन और मन से पूर्ण रूप से पवित्र माना जाता है और निश्छल होने की वजह से उन्हें पूजा जाता है। इस उम्र तक की कन्याओं का पूजन व्यक्ति के सभी कष्टों को दूर करता है। माना जाता है कि 2 साल की कन्या के पूजन से दुख और दरिद्रता दूर होती है, 3 साल की कन्या के पूजन से संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है, 4 साल की कन्या के पूजन से सुख-समृद्धि आती है, 5 साल की कन्या के पूजन से व्यक्ति निरोगी होता है, 6 साल की कन्या के पूजन से ज्ञान, बुद्धि और यश मिलता है। 7 साल की कन्या के पूजन से सुख और ऐश्वर्य मिलता है, 8 साल की कन्या के पूजन से विजय प्राप्त होती है और 9 साल की कन्या के पूजन से समस्त बाधाएं दूर होती हैं।(नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट)
यदि आप 9 दिनों तक माता दुर्गा के लिए व्रत उपवास करती हैं तो आप इस विधि से कन्या पूजन करें जो विशेष रूप से फलदायी होगा।
कन्या पूजन के विधान के बारे में पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि अगर नवरात्रि के हर एक दिन एक कन्या का पूजन किया जाए तो यह शुभ होता है। लेकिन हर एक दिन यदि कन्या पूजन न हो सके तब आप नवमी तिथि में 9 कन्याओं और 1 लंगूर का पूजन करके भोजन कराएं। लंगूर को बटुक भैरव का स्वरूप मानकर पूजा करें। नवमी तिथि वाले दिन अपना रोज का पूजा पाठ समाप्त करके और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद भोग लगाएं और सभी कन्याओं को भोजन कराएं।
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उपर्यक्त विधि से किया गया कन्या पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इसलिए इसी विधान से पूजन करें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik and unsplash
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