
शादी की रस्मों में से सबसे जरूरी माना जाता है गणपति पूजन। मान्यताओं के अनुसार विवाह समारोह की रस्में शुरू करने से पहले गणपति की पूजा करना जरूरी माना जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, हमारे देश में किसी भी हिंदू पूजा या समारोह से पहले गणपति की पूजा की जाती है। गणपति को प्रथम पूजनीय देवता का दर्जा दिया गया है और ऐसा माना जाता हैं उनकी पूजा के बिना विवाह की कोई भी रस्म अधूरी मानी जाती है। गणपति की पूजा भक्त किसी भी नई यात्रा या उद्यम को शुरू करने से पहले सभी बाधाओं को दूर करने के लिए करते हैं। गणेश शब्द का अर्थ है गणों के स्वामी और उनकी पूजा सबसे पहले करने से समस्त देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। किसी भी अन्य हिंदू विवाह अनुष्ठान से पहले गणेश पूजा करने के और भी कई कारण हैं जो विवाह की रस्मों को सफल बनाने के लिए जरूरी माने जाते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि विवाह समारोह में क्यों किया जाता है गणपति पूजन और इसका महत्व क्या है।
हिंदू शादी में सबसे जरूरी माना जाता है विवाह की रस्मों के दौरान गणपति का आह्वान करना। गणपति पूजा अन्य हिंदू देवी-देवताओं से पहले की जानी चाहिए। उन्हें ऐसे देवता के रूप में पूजा जाता है जो व्यक्ति के जीवन में समृद्धि लाते हैं। किसी भी विवाह में, गणेश पूजा बाकी विवाह अनुष्ठानों की शुरुआत का संकेत मानी जाती है।

विवाह के दौरान वर-वधू गणपति पूजन करते हैं और इसका मुख्य उद्देश्य उनके आने वाले जीवन के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद प्रदान करना होता है। गणपति को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए उन्हें विघ्नेश्वर भी कहा जाता है। विवाह समारोह के दौरान, गणपति पूजन करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और गणपति अपने भक्तों को सफलता के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। यही नहीं विवाह के बाद नई सफल शुरुआत करने से पहले, नए अनुष्ठानों के प्रतीकात्मक रूप में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इससे दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य बना रहता है और सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
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विवाह समारोह में गणपति पूजन करना एक विशेष भारतीय परंपरा मानी जाती है, जिसमें किसी भी कार्य से पहले भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया जाता है। गणपति को विघ्न विनाशक कहा जाता है और भक्त किसी भी हिंदू धार्मिक अनुष्ठान से पहले उनकी पूजा करते हैं। इसी वजह से हिंदू विवाह में, शादी करने वाला जोड़ा स्वयं और अपने परिवार पर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गणपति पूजा करते हैं। यदि विवाह में कोई बाधा या कठिनाई आ रही है, तो विवाह समारोह में गणेश पूजा से उसे दूर किया जा सकता है। विवाह समारोह में गणेश पूजा, होने वाले जोड़े को उनके वैवाहिक सुखी जीवन के लिए तैयार करती है। हिंदू धर्म के अनुसार, विवाह से पहले गणेश पूजा करने से उनके नए जीवन में समृद्धि, ज्ञान और सकारात्मकता आती है।

गणपति पूजा विवाह से पहले या विवाह के दिन की जा सकती है। पूजा की तैयारी में कई चीजें शामिल होती हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है भगवान गणेश की मूर्ति। इस मूर्ति को शादी के समय ऊंचे मंच पर स्थापित किया जाता है। यह किसी भी सामग्री से बनी हो सकती है, जैसे सोना, चांदी मिट्टी या अन्य सामग्री। गणपति पूजन में मोदक का भोग लगाना जरूरी माना होता है। शादी के दौरान गणपति को 21 की संख्या में मोदक चढ़ाने चाहिए। इसके साथ ही गणपति को लाल फूल, दूर्वा और पान के पत्ते चढ़ाकर पूजन करें। विवाह के दौरान गणपति पूजन पंडित करते हैं मुख्य रूप से यह दूल्हे के आगमन पर किया जाता है।
जब किसी भी विवाह में गणपति पूजन किया जाता है तो उसे पूरी तरह से सफल माना जाता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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